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Dr. Nisha Mathur

Inspirational

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Dr. Nisha Mathur

Inspirational

“आज़ादी का आज़ाद जश्न”

“आज़ादी का आज़ाद जश्न”

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आज़ादी का आज़ाद जश्न है थोड़ी आज़ादी बाकी है।

अच्छे दिन वो कब आएंगे,  दीदार तमन्ना बाकी है।

 

हम लकीर के फकीर बने है नियमों को बदलना बाकी है। 

काला अक्षर भैस बराबर  सबको अभी शिक्षा बाकी है।

 

ऊँट के मुँह में जीरा आया  अभी काफी सुविधाएं बाकी है

एक और एक ग्यारह हो जाये दिलों का मिलना बाकी है। 

 

अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते कुछ के दिखलाना बाकी है।

आस्तीन के सांप बहुत है उनसे भी तो  बचना बाकी है।

 

ईद दूज के चांद हो गए अभी कुछ ऐसे नेता बाकी है। 

काठ की हांड़ी कभी चढ़ेगी पोलमपोली अभी बाकी है।

 

सीधी अंगुली घी ना निकले  तो टेडी करना बाकी है।

कफन को सिर पे बांध चुके है कुछ ऐसे योद्धा बाकी है।

 

जख्म जले पर नमक  छिडकते कुछ ऐसे इंसा बाकी है।

दाई से खुद के पेट छुपाते अभी ऐसे नालायक बाकी है।

 

सोने की चिड़िया का भारत स्वर्णिम खुशहाली बाकी है। 

गागर में सागर भर लेंगे किस्मत का पलटना बाकी है।

 

मेंढकी को जुखाम हो गया अभी गोली देना बाकी है।

छाती पे तेरे मूंग दलेंगे  ऐसे जांबाज अभी बाकी है।


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