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Pandit Dhirendra Tripathi

Inspirational

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Pandit Dhirendra Tripathi

Inspirational

पीरियड

पीरियड

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पीरियड्स महावारी रजस्वला

आखिर क्या है ये बला !!

तुम जो अपनी मर्दानगी पर

इतना इतराते हो

दरअसल बाप तुम

इसी क्रिया से बन पाते हो

कुछ मर्दों को नहीं है

फिर भी तमीज़

उनके लिए है ये बस

उपहास की चीज़ !!

हम 21 वीं सदी में जी रहे हैं

चाँद को छू कर उसका

नूर पी रहे हैं

पर व्हिस्पर आज भी

काली पैकेट में दिया जाता है

जैसे हमें कोई छूत

की बीमारी ऐसे

सबसे अलग कर दिया जाता है

चुपचाप दर्द पीना भी सीखा देते हैं

किसी को पता ना चले घर में

ये भी समझा देते हैं !!

भाई पूछता है पूजा क्यों नहीं की

तो सर झुका कर उसको

समझाना पड़ता है

चाहे दर्द में रोती रहूँ

पर पापा को देख कर

मुस्कुराना पड़ता है

पेट के निचले हिस्से

को जैसे कोई निचोड़ देता है

कमर और जाँघ की हड्डियाँ

जैसे कोई तोड़ देता है

खून की रिसती बून्द

के साथ तड़पती हूँ मैं

और जिसे तुमने नाम

दे दिया "क्रेम्पस" का

उसमें सोफे पर निढाल

हो कर सिसकती हूँ मैं !!

अब तुम पुरुष कहोगे

कि इसमें हमारी क्या गलती

हमारा क्या दोष है ?

तो सुनो तुमसे हमारी

ना कोई शिकायत ना

कोई रोष है

बस जब तड़पे दर्द से

तो "मैं हूँ ना" ये एहसास

करवा देना

गर्म पानी की बोतल

ला कर तुम दर्द मिटा देना

जो लगे चाय की तलब

तो एक कप चाय बना देना

पैड खत्म हो जाये तो

बिना झुँझलाये ला देना !!

"तो मैं क्या करूँ" कह कर

मुँह मोड़ कर जाना मत

"रेड अलर्ट" "लाल बत्ती"

जैसे शब्दों से चिढ़ाना मत !!

बालों में तेल लगा कर

पीठ को सहला कर

बस ज़रा सा प्यार जता देना

हम जो धर्म निभाते हैं

महीने के 27 दिन

तुम सिर्फ 3 दिन ही निभा देना !!


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