प्रेम
प्रेम


राम लल्ला के मंदिर से जब दर्शन करके आऊँ
गृह कपाट खोलो स्वामिनी मैं तुमको गुहार लगाऊँ
तुम द्वार खोल कर मुझको याद दिलाओ
संध्या वंदन बाकी है जल्दी पूजा घर में आओ
ये दिवस जाने कब आएगा इसकी प्रबल प्रतीक्षा है
तुम्हारे प्रेम में तुम्हारे साथ काशी जाने की इच्छा है।