एक हवा का झोंका
एक हवा का झोंका
एक हवा का झोंका लगा था अभी तेरी चूनर भी सर से सरकने लगी
मैने चुपके से छत पर बोलाय तुझें तेरी पायल निगोड़ी छनकने लगी
दिल ने चाहा था हाथ थाम कर तेरा मैं डगर पर यू ही चलता रहू
हाथ तेरा जो थामा था मेरे हाथ में तेरी चूड़ी खन खन खनकने लगी
आओ देखों चमकते हैं चाँद तारे सभी कितने हाशि लगते है सभी
मैं जब तक दिखाता चाँद तारे उसे बिंदिया तारों के जैसे चमचम चमकने लगी
जैसे तारों के संग आसमा मिल रहा आओ ऐसे ही मिल जाये हम
सोचा आगोश में आज भर लू तुझे मेरी आँख अब क्यों फड़कने लगी
तेरा तन हैं कोमल कली की तरह मन हैं चंचल मछली की तरह
दोनों हाथों से मैंने जो थामा तुझे तेरी कम्मर सज़र सी लचकने लगी
तुझको कहना तो चाहा प्यार के बोल तीन पर न जाने ज़ुबा क्यों अटकने लगी
देखा जबसे तुझे दिल दिवाना हुआ लगता जैसा जगत से बेगाना हुआ
हुश्न और इश्क का ये मुज़स्समा देखकर
मेरी नजरें क्यों अब भटकने लगी
प्यार में मैने तुझको माना खुदा प्यार ही कि मैंने माँगी दुआ
तेरी इबादत जो कि नाम तेरा लिया तेरी रहमतें मुझ पर बरसने लगीं
तेरे मिलने की कोई भी हसरत नहीं तू मिले तो किसी की जरूरत नही
ग़ज़ल में तेरा कर के बयान हमनशीं शायरी अब धर्म की चमकने लगी।