शमशान
शमशान
जाकर तू शमशान में देख, जलती चिता को पायेगा ।
उनमें तू मिलने की ख़ातिर, वापस लौट कर आयेगा ।।
घमण्ड चूर करके तेरा, काँधों पर लाया जायेगा ।
फिर देह तेरी को नहलाकर, धूँ-धूँ जलाया जायेगा ।।
अपने कुछ क्षण रो लेंगे, फिर चुप हो कर रह जायेंगे ।
तूने किए जो वादे थे, सब धरे यहीं रह जायेंगे ।।
तेरे ख़्वाबों की पुड़िया, तेरे संग भस्म हो जाएगी ।
चिता एक और जलाने की, अदा रस्म हो जाएगी ।।
जाने फिर भी तू किस, अभिमान में ज़िंदा रहता है ?
दिए ईश्वर के नश्वर तन में, कौन दरिंदा रहता है ?
सच्चाई का छोड़ हाथ, भगवान बना तू फिरता है ।
झूठे इस सम्मान की ख़ातिर, जगह-जगह तू गिरता है ।।
अपने तेरे डगर देखते, कुछ संग समय बिताने को ।
रुपयों पैसों की ख़ातिर, तू व्यस्त किसे रिझाने को ?
स्वप्न नहीं सच्चाई है, एक दिन जल ख़ाक हो जायेगा ।
धर्म निभा ले मनुज का प्यारे, तेरा जन्म पाक हो जाएगा ।।