ख्वाब
ख्वाब
एक छोटा - सा घर
वो लड़की
कलकल करती नदी
फूलों से भरा बगीचा
दूर तक फैले
वो खेत - मैदान
वो अकेली लड़की
संपूर्ण है
नदी संग बहती
उन्मुक्त है
पेड़ो संग खेलती
बेफिक्र है
फूलों संग बतियाती
मस्त मग्न है
खेतों में दौड़ती
आज़ाद है
वो लड़की
ना किसी की फ़िक्र
ना किसी का डर
ना कोई झिझक
ना कोई बन्धन
हँसती - खेलती
झिलमिलाती
वो लड़की
और उसकी दुनिया
सब 'ख्वाब' ही तो है !