ये दोस्ती
ये दोस्ती
अल्हड़पन के लंगोटिये, ५० साल से साथ चल रहे हैं
दोस्ती की किताब में रोज़, नये अध्याय लिख रहे हैं
हमारी दोस्ती जगह, जाति, धर्म, वंश से अनजान है
विद्वानों की फौज का जीवन में अहम् योगदान है
सभी एक-दूसरे की शान है, आधार जैसी पहचान है
सब दोस्त जब तक साथ है, हर मुश्किल आसान है
दो हज़ार का पता नहीं, कभी दो रूपए को लड़ते थे
खाई में धकेल कर, बचाने भी खुद ही कूद पड़ते थे
सबके सामने पर्दा, अकेले में बातों से नंगा करते थे
दिन भर टाँग खींचते थे, रात भर साथ-साथ पढ़ते थे
वक़्त के साथ सबकी जिंदगी नये सिरे में ढल गई
समय सिमट गया, जिम्मेदारी और दूरियाँ बढ़ गई
आधुनिक संचार सेवाओं ने इसमें कमाल कर दिया
दूरियों को ख़त्म करके, दोस्ती में धमाल कर दिया
एक दूजे की स्वतंत्रता, निजता, जरूरतों का ध्यान
ताक़त को उजागर और कमजोरी ढकना सीख गये
समय और भाषा पे संयम, तू से तुम पर आ गये
“योगी” दोस्ती वही है, दोस्ती के अंदाज़ बदल गये
हे गोविन्द, तू भी एक सखा है, ये भूल मत जाना
हम दोस्तों का साथ कल भी ऐसे ही बनाये रखना ।।