दिल को तुम्हारी पुकार
दिल को तुम्हारी पुकार
प्रस्ताविक:
फिल्म ''नवरंग'' का गीत ''तुम मेरे मैं तेरी, तेरे चरण कमल की चेरी'' इस लय पर नीचे लिखें कविता के शब्द गायें जा सकते हैं
पहले प्यार का अनुभव और अहसास भुलायें नहीं भूलता। हर इंसान के पहले प्रेम को समर्पित।
दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आये जीवन में मेरे बहार
दिल में बसी हैं यादें तुम्हारी, दिल को तुम्हारी पुकार
मानो न मानो, दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आये
अहसास पाया, उनसे जो मैंने, दिल में जगी थी इक आशा
सीखी थी मैंने, उनको देखकर, प्यार की पहली परिभाषा
दिल भी व्यथित, मन भी अनियंत्रित, दिल में चुभी थी कटार
मानो न मानो, दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आयें
दिल में सजायी, तस्वीर तेरी, सांसो में प्रेम की ज्वाला
प्रेम करना सबके बस नहीं, हलक न उतरे ये हाला
पीड़ा वो गहरी, भावनायें बहरी, जख्म कुरेदे बार-बार
मानो न मानो, दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आये
यादों में तेरी, जागी कई रातें, थमती रही मेरी सांसें
बढ़ती बेचैनी, मायूसी दिल की, रोती रही मेरी आँखें
ना रोक पाया, ना भूल पाया, प्यार के वो सपने हज़ार
मानो न मानो, दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आयें
भुलायें न भूलें, यादों के हसीं वो पल, सपने संजोयीं हुयी रातें
दिल को लुभाये, मन को हँसाये, छेड़ी थीं प्यार की जो बातें
बातें वो छूटीं, रातें वो रुठी, दिल को ना अब हैं करार
मानो न मानो, दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आये
छोड़ो सभी ये वादों के बंधन, दो दिल ये मिल जायें
मिलन धरा का, हो जाये गगन से, दो प्राण एक हो जाये
खुशियों को चूमें, गम को हम भूलें, जीवन के बीते न ये शाम
मानो न मानो, दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आये
आओ चलें हम, आगे बढ़ें हम, प्रेम -राग सब गायें
जीवन का निर्मल संगीत, सबके मन को थिरकाये
जीवन के रंग में सब भीग जायें, तरंगों की उड़े फुहार
मानो न मानो, दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आये
आसमां में हम दो हैं तारें, संग मिलकर हम चमके
सागर सीप छिपे, हम दो हैं मोती, चमक हमारी दमके
तन से अलग पर मन से एकरूप, बंधन अटूट अपार
मानो न मानो, दिल को तुम्हारी पुकार
बिन तेरे, ना आये