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Dr Vijay UPADHYE

Inspirational

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Dr Vijay UPADHYE

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हल्दीघाटी 'रक्त-तलाई' के जाबाज़ वीर: 'हाथी रामप्रसाद'

हल्दीघाटी 'रक्त-तलाई' के जाबाज़ वीर: 'हाथी रामप्रसाद'

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मेवाड़ गौरव रक्षण की लड़ाई

विश्व प्रसिद्ध हल्दीघाटी लड़ाई

मेवाड़ पर जब विपदा गहरायी

राजपूत वीरो ने कमर कसायी

मुग़ल-राजपूत संघर्ष कहलायी

इतिहास नें जँहा करवट बद्लायी

हल्दीघाटी में सेना टकरायीं

दिल्ली तख़्त को धूल चटायी

राजपूतो ने वीरगति पायी

मुग़लों ने जहां मुंह की खायी

युद्ध ने रक्त की नदियाँ बहायी

युद्ध-भूमि भी रक्त से नहायी

लहू से भरी, मानो तलैया बनायी

यही भूमि, ''रक्त-तलाई'' कहलायी


राजपूत सेना संख्या में कम

पर साहस शौर्य कहीं से न कम

इनकी हिम्मत देख आसमाँ भी दंग

युद्ध में हावी केसरिया रंग

वीरों के समान, पशु भी लड़ें

वझिर प्यादे संग हाथी घोड़े

यहाँ करे गजसेना की बात

युद्ध में जिसने छोड़ी छाप

महाराणा का वीर प्रिय साथी

''रामप्रसाद'' गजसेना युद्धपति हाथी

युद्ध का जब प्रथम चरण आया

''लूगा'' हाथी ने मोर्चा संभाला

हुआ ''गजमुक्त'' हाथी से युद्ध

प्रथम वार में भेजा परलोक सीध

''लूगा'' हाथी बलशाली साहसी

माहुत मरा, तो करनी पड़ी वापसी

अब आयी वीर ''रामप्रसाद'' की बारी

दुश्मन संग, रखीं उसनें जंग जारी

दुश्मन से लोहा लेने की ठानी

उनके समान, कोई दूसरा न सानी

सूंड में पकडे पिच्यासी किलो तलवार

घोड़े, हाथी, सेना पर निरंतर वार

रणभूमि में प्रचंड विध्वंस मचायें

दुश्मन को लोहे के चने चबवायें

चक्र-व्यूह भेद मचाई तबाही

शत्रु सेना में मची त्राहि-त्राहि

सेना पर किया भीषण प्रहार

जान माल संग करें शत्रु संहार


दुश्मन हाथी उनपर टूटे

राम का क्रोध सब पर फूटे

''राजराज'' ''पंजरणमदार'' या ''गुलफ़ाम ''

रामप्रसाद के आगे सब नाकाम

तेरह हाथियों का किया काम तमाम

दुश्मन भी करें, इस शौर्य को प्रणाम

सबकीं नाक में दम कर डाला

दुश्मन मोर्चा ध्वस्त कर डाला

घटी घटना, जिसका न अनुमान

जिस हादसे ने बदला , युद्ध परिणाम

''मर्दाना'' की तलवार से, चेतक का पाँव हुआ घायल .....(इस घटना का निचे विवरण दिया गया है)

फिर भी राणा को लें भागें, शत्रु देख हुए कायल


शत्रु सेना का अब मनोबल हर्षाया

राम को दबोचने का जाल बिछाया

अब चौदह माहुतों नें चक्रव्यूह बनवाया

सात हाथियों का घेराव करवाया

रामप्रसाद को चक्र-व्यूह में फसवाया

गोली मार कर माहुत मरवाया

संघटित प्रहार से हुयें पराजित

सेना बीच घिरें, कियें गए बन्दित

कैदित राम को दिल्ली भिझवाया

''पीरप्रसाद'' नामकरण करवाया

बादशाह को ''विजय भेंट'' चढ़वाया

गन्नो संग उत्तम भोजन परोसाया

स्वामिभक्त ने सब प्रलोभन ठुकराया

देह छोडनें का मन बनाया

अन्न जल त्यागा, छोड़नें हेतु प्राण

अठारहवे दिन लिया महानिर्वाण

जिस तख़्त आगें, राजाओंने शीश नवाया

वो सुलतान, एक हाथी को झुका न पाया

स्वामी-भक्तों की फ़ौज, जिस राजा संग साथ

ऐसे राणा को जितना, बस की नहीं बात

बादशाह यें सब सोच, हुआ नतमस्तक

मेवाड़ गौरव का ऊँचा रहा मस्तक

अब्दुल कादिर बदायूंनी लिखें युद्ध दास्ताँ

वीर रामप्रसाद की शौर्य-पराक्रम महानता।



अर्थ:

तलैया= छोटा तालाब

'लूगा '' ''रामप्रसाद'' = महाराणा प्रताप की गजसेना के प्रमुख हाथी

''मर्दाना'' = मानसिंह का हाथी

''गजमुक्त'',''राजराज'',''पंजरणमदार'',''गुलफ़ाम '' = मुग़लों के मुख्य आक्रामक हाथियों के नाम

चेतक = राणा प्रताप का प्रिय घोडा

प्रलोभन = लालच

परलोक सीध = यमलोक पहुचाना


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