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Dr Vijay UPADHYE

Inspirational

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Dr Vijay UPADHYE

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भक्त ''गजराजन केशवन''

भक्त ''गजराजन केशवन''

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केरल में, बसे हाथियों का संसार

उन्हें मिलता वहां, असीम प्रेम प्यार

पुत्र समान, लोग करते दुलार

हाथी उनके, सखा- परिवार

पूजतें उन्हें हर त्यौहार उत्सव

हाथी - केरल संस्कृति गौरव


दर्शन करों कभी, गुरुवायुर धाम

''गजराजन केशवन'' का सुनोगे नाम

पालकी यात्रा में, पाते प्रथम सम्मान

ईश्वर समकक्ष, मिलता था मान

जीवन भर, सेवा में समर्पित

अंत समय, प्रभु चरणों में अर्पित

दिन एकादश, किया निर्जल उपवास

आरती, शंख ध्वनि संग अंतिम प्रवास

सूंड उठा कर की, वंदन मुद्रा

भक्ति में डूब, ली चिर निद्रा

भक्त-सूचि में आप रहेंगे अग्रणी

''गजराजन केशवन'' - भक्त शिरोमणि!


अर्थ:

क्रूर = निष्ठुर, निर्दयी

निष्ठुर, निर्दयी = कठोर दिल, दुष्ट, बेरहम

अननस= पाइनापल फ्रूट

सत्त्व = अंश, मात्रा, प्रमाण, मौजूदगी

उपज = सोच

सहज = सरलता सें

उस रोज = उस वक्त, उस समय

गोंठ = धमाके के बाद कुछ पल के लिए शरीर का गोंठ (सहम) जाना

रक्तरंजीत = खून सें लथपथ

उदर = पेट

छटपटाना = तड़पना

दर करीब = पल पल मृत्यु के करीब पहुंचना

शिखर = चरम

आयाम = उपलब्धिया, प्रगति के नए डाइमेंशन्स

मेंढा = भेड़ (नर जाती)

राजसी आखेट = शिकार (नवाबी शौक)

''निसर्ग'' ''अम्फान'' = समुद्री तुफानो के नाम

टिड्डी दल जंजाल = टिड्डीयोंके झुण्ड ने आसमान में कई राज्यों में अभी कुछ दिन पूर्व उत्पात मचाया था

जंचते = अच्छे लगते


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