विरह पीड़ा
विरह पीड़ा
पास आकर दूर ना जाओं
विरह की पीडां, तड़पायें आज
रूठें मन को कैसे मनाऊँ
सांझ सवेरे, स्मरातीं वो याद
पास आकर......
सावन की बारिश की रिमझिम फूहार
सागर की लहरों कीं, भीषण हुंकार
बादल की गरज, में हैं तेरे ही गीत
सागर की लहरें दें, तेरी हीं तान
पास आकर......
नभ में चमकते हैं, तारें हज़ार
प्रीत से मिलतीं, दिल को खुशियां अपार
जब छीन जाता किसीसे कोई प्यार
दिल हो मायूस, चेहरे पे न हो हास
पास आकर......
मृग को होती हैं, कस्तूरी की आस
सुलगें मन को होतीं, प्रीत की प्यास
मृग मन चाहें, प्रेम की कस्तूरी
शीतल करतीं जो, मन की सब आस
पास आकर......
नीला गगन, क्यूँ हैं हताश
तड़पता यौवन, क्यूँ हैं निराश
गगन को खलतीं हरदम, बादलों की कमीं
यौवन चाहें बस अनुराग
पास आकर दूर ना जाओं
विरह की पीडां, तड़पायें आज
रूठें मन को कैसे मनाऊँ
सांझ सवेरे, स्मरातीं वो याद
पास आकर......
फिल्म: झनक झनक पायल बाजैं
गीत : नैन से नैन नाही मिलाओ, देखत सूरत आवत लाज

