मैं इश्क़ लिखूँ ....
मैं इश्क़ लिखूँ ....
मैं इश्क़ लिखूँ ....तुम अपना नाम समझना!!
जो लिखूँ मैं शबनम, तुम भीगे बाल समझना!!
मैं शराब लिखूँ... आंखों का अपने जाम समझना!!
और जो मैं लिखूँ गुलाबी, तुम अपने दो गाल समझना!!
मैं जन्नत लिखूँ ...तुम साथ मेरे बिताई वो शाम समझना!!
जो मैं इश्क़ लिखूँ ....तुम अपना नाम समझना!!
मैं नटखट लिखूँ , ज़ालिम तुम अपना तिल समझना!!
मैं नाजुक लिखूँ, तुम मासूम सा अपना दिल समझना!!
मैं ईनाम लिखूँ , तुम अपना मुस्कराना समझना!!
और मैं आग लिखूँ, तुम मुझे साड़ी में दिख जाना समझना!!
तेरे आग़ोश में ही तुम मेरा संसार समझना!!
जो मैं इश्क़ लिखूँ ....तुम अपना नाम समझना!!
मैं छाँव लिखूँ.... अपना दुपट्टा काला समझना!!
मैं सादगी लिखूँ....तुम गले का धागा समझना!!
मैं तुम्हारा नाम लिखूँ... तुम ख़ूबसूरती का पैमाना समझना
और जो लिखूँ मैं आदित्य ...
तुम अपना पागल दीवाना समझना!!
तुम्हें चाहना ही तुम मेरा ईमान समझना!!
जो मैं इश्क़ लिखूँ ....तुम अपना नाम समझना!!
मैं कशिश लिखूँ , तुम अपने बालों का खुलना समझना!!
मैं उफ्फ!! लिखूँ, तुम हमारी निगाहों का मिलना समझना!!
मैं शबाब लिखूँ, तुम जुबाँ पे मेरी ज़िक्र अपना समझना!!
और जो मैं लिखूँ उकूबत, तुम मुझसे बिछुड़ जाना समझना!!
तुमको ही लिखना मेरी लेखनी का तुम काम समझना
जो मैं इश्क़ लिखूँ ....तुम अपना नाम समझना!!
मैं इश्क़ लिखूँ ....तुम अपना नाम समझना!!

