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Prakash Chavhan

Abstract

3  

Prakash Chavhan

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शुभविचारी शुभ येतंच...

शुभविचारी शुभ येतंच...

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*वहिवाट बदलती 

येऊ येऊनी गाळ 

सुरु तिजला तिथे 

मग अडथळ्याचं मार्ग *

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*पार होतं ते पण 

संघर्ष सराव सरावानं 

मग सवय लागें जिवा 

विष पचवाय अनुरूपं*

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*वहिवाट बदलली 

लढ लढता एक 

संकट जेव्हा सर्वांचं 

विसरली जातं धर्म *

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*मानव मानवता खरी म्हणे 

मरता दिसू लागें सत्य 

श्रीराम सारखं जिणं योग्य

बंधन मर्यादेचं वाईटास खरें *

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*जीव जगते सुखानं 

कितीही बदलली वहिवाट 

उडी मारून अडथळ्याची 

शुभविचारी शुभ येतच...*

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