जागा उरली ना कुठ पुन्हा शोध
जागा उरली ना कुठ पुन्हा शोध
*कुण कुणाच्या आनंदात
जग गुंतलेलं फिरत असतं
ओढ कशाची का असेना
शोधत जीवना संबंधी मर्म*
----------------------------------------
*मना मधी कुठ स्वप्न रंगलेलं
वेचत वेळी धडपड चालते
गोड तिखट खारट स्थिती
मृग सुखाचे करते उलाढाल*
----------------------------------------
*खाली वरी जिणं पथावर
संघर्ष असतो कमी जास्तीचा
जीव मात्र तेच वयानं पोखवत
तरी मन चंचल आसेवर असतं *
----------------------------------------
*सुख सुखाचं नसतं अति भोग
तराजू तोलतो कर्म काळ
किती लढला कशासाठी रिकामा
जागा उरली ना कुठ पुन्हा शोध*
----------------------------------------