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Prakash Chavhan

Tragedy Others

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Prakash Chavhan

Tragedy Others

घडी चालली वयाची

घडी चालली वयाची

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*घडी चालली वयाची 

 जुनी रीत विसरुनी 

नवं करती संसार 

आड सारूनी झटतें *

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तोल तोलते तराजू 

जिणं मोजतं घटिका 

बसं बसवत आली 

सदा शांतता शिकवं 

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शोध लागते अंतरीं 

गंगा रहस्यी अथांग 

प्रकाश वेळेचे सूर्य 

बसलें ठिकठिकाणी 

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अवतीच फिरे काव

घर घरात घडीत 

सुटेना साव स्वतःच 

नाही धरिला देवता 

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येतील जातील रूप 

सर्व वेळाहुनि भिन्न 

 आजन्म संघर्ष इथं 

क्रांतीविना जीवन शून्य

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