घडी चालली वयाची
घडी चालली वयाची
*घडी चालली वयाची
जुनी रीत विसरुनी
नवं करती संसार
आड सारूनी झटतें *
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तोल तोलते तराजू
जिणं मोजतं घटिका
बसं बसवत आली
सदा शांतता शिकवं
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शोध लागते अंतरीं
गंगा रहस्यी अथांग
प्रकाश वेळेचे सूर्य
बसलें ठिकठिकाणी
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अवतीच फिरे काव
घर घरात घडीत
सुटेना साव स्वतःच
नाही धरिला देवता
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येतील जातील रूप
सर्व वेळाहुनि भिन्न
आजन्म संघर्ष इथं
क्रांतीविना जीवन शून्य
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