बाप
बाप
बाप तो बापच। बापाची महती।
वर्णावी हो किती। मुखाने या।।१।।
बापाविन नाही। ओळखच जगी।
बापच तो त्यागी। सर्वस्वच।।२।।
बापालाच ठावं। किती खातो खस्ता।
मिळे काजू, पिस्ता। बापामुळे।।३।।
घराचंही छत। सर्वांची सावली।
बापच माऊली। सर्वांचीच।।४।।
बाप माझा देव। बाप पांडुरंग।
गाऊया अभंग। बापाचेच।।५।।
आपला जनक। बाप जन्मदाता।
बापच विधाता। ब्रह्म-विष्णू।।६।।
विठ्ठल-रुक्मिणी। शंकर-पार्वती।
राधा-कृष्ण होती। बाप माझा।।७।।
बापाची आरती। अभंग पोवाडे।
भजनही गडे। बापाचेच।।८।।
बापाविन जगी। काहीच हो नाही।
बाप सर्व काही। जगामध्ये।।९।।
