अंश
अंश
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*सैल सोडून
सैर करावं
नभ नभात
मन विमानं*
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*भावं विभोरं
दारं उघड
पक्षी पिंजरा
सोड लादणं*
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*कळ कळतें
तरी वेढतं
लोभ लोभात
कसं जीवन*
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*तोड जंजीर
ही पायातली
झेप उंचीची
बाजै असावी*
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*सैल सोडून
पंख आकाशी
वैद्य स्वतःचा
मनो लपलं*
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*सोड चिंताच
तु जग स्वैर
घे अनुभवं
जिणं एकदाचं*
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*सुख चांगल
दुःख सारतं
किती धरला
तरी सुटतं*
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*धर सोड ही
सदा चालतं
पण राजा तु
मन देहाचा*
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*कर स्वीकार
अंश ब्रह्माण्ड
तु उच्च कोटींचा
चितशील ते होईलं*
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*म्हणून जश्न मनवावं
जन्मदिवसाचं
आनंदी आनंद
जगामधि वाटवावं*
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