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Vimla Jain

Romance Tragedy Action

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Vimla Jain

Romance Tragedy Action

यह लाल इश्क और मलाल इश्क और आत्मसम्मान

यह लाल इश्क और मलाल इश्क और आत्मसम्मान

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यह लाल इश्क और मलाल इश्क और आत्मसम्मानतरु और तरुण की कहानी लाल गुलाब की तरह खिला हुआ प्यार और मलाल के कांटे लिए थी। कॉलेज के दिनों से ही तरु डॉक्टर तरुण को पसंद करती थी। तरुण उसके पिता के पारिवारिक मित्र का बेटा था। वह उसकी कास्ट और शहर का था, जिससे यह रिश्ता घरवालों की नजर में भी सही बैठता। जब भी दोनों मिलते, एक-दूसरे को लाल गुलाब देते और घंटों बातें करते। तरु अक्सर उससे मिलने का बहाना ढूंढती, कभी हॉस्पिटल में तो कभी फोन पर।

समय बीतता गया। तरु की पढ़ाई पूरी हुई और वह भी डॉक्टर बन गई। हालांकि दोनों के बीच कभी खुलकर बात नहीं हुई थी, लेकिन तरु को विश्वास था कि जब सही समय आएगा, तो वे अपने परिवार से बात करेंगे।

पर किस्मत ने दूसरा ही खेल रच दिया। एक दिन उनके परिवार के पुराने मित्र, जो मुंबई में रहते थे, तरु के घर आए। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी के लिए डॉक्टर तरुण को पसंद कर लिया है। तरुण भी इस रिश्ते के लिए सहमत हो गया है। यह सुनते ही तरु के दिल को ऐसा झटका लगा कि वह बेहोश-सी हो गई।

तरु ने तरुण से बात की। उसने पूछा, "तुमने मुझसे प्यार किया, फिर किसी और से शादी कैसे कर सकते हो?"

तरुण का जवाब बेहद कठोर था। उसने कहा, "प्यार अपनी जगह है, लेकिन जिंदगी एक सौदा है। उस लड़की के पिताजी बड़े उद्योगपति हैं। वे मुझे गाड़ी, बंगला, पैसा, सब देंगे। तुम क्या दे सकती हो? तुम्हारे पिता तो ईमानदार अफसर हैं, जो रिश्वत तक नहीं लेते। मैं तुम्हारे साथ जिंदगी भर तंगहाली में रहूंगा। यह मेरा फैसला है, और अब जो करना है, तुम करो।"

तरु का दिल टूट गया। वह आंसुओं में डूब गई, लेकिन उसने अपने स्वाभिमान को गिरने नहीं दिया।

उसी शाम, वही उद्योगपति परिवार तरु के घर अपनी बेटी के बड़े भाई के लिए तरु का हाथ मांगने आए। तरु के पिता ने पहले इस रिश्ते को नकारने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "हम साधारण लोग हैं। आपकी और हमारी बराबरी नहीं है।"आप रोज गाड़ियां बदलते हैं हम तो साइकिल भी नहीं बदल सकते हैं आपकी हमारी कहां बराबरी।

पर उद्योगपति ने उन्हें मनाने की हर संभव कोशिश की।

तरु से पूछा गया तो उसने सोचा, "तरुण ने मुझे जिस पैसे के लिए छोड़ा, क्यों न मैं उसी पैसे से उसे उसकी गलती का अहसास करवाऊं?" और उसने हां कर दी।

शादी धूमधाम से हुई। तरु के ससुराल वाले बेहद अच्छे थे। शादी के बाद तरु ने अपने पति को अपनी बीती कहानी बताई। पति ने सारा दहेज—चाहे वह कार हो, मकान हो, या सोना—बहन के नाम कर दिया।

तरू के पति तरू कीसच्चाई और अच्छाई पर फिदा हो गए

उनको लगा इसने मेरी बहन के भविष्य को देखते हुए अपने प्यार की सच्चाई भी नहीं छुपाई और सब बता दिया कितनी सच्ची और अच्छी लड़की है और वह उसे और ज्यादा प्यार करने लगा। हर बात में उसकी सलाह लेने लगा ‌।

कुछ समय बाद तरुण की शादी हुई।

तरु ने उसे देखकर अपने फैसले पर गर्व महसूस किया।

जिस पैसे और संपत्ति का लालच था, वह वही सब चीजें दान के रूप में तरु और उसके परिवार से प्राप्त कर चुका था।

परंतु अब उन पर उसका हक नहीं था।

तरुण को शायद मलाल हुआ होगा, लेकिन अब मलाल का कोई मतलब नहीं था। तरु ने अपने जीवन में प्रेम के लाल रंग से अधिक आत्मसम्मान और खुशी के रंग को महत्व दिया था।

मैं इस कहानी के जरिए बहुत ही भावपूर्ण और समाज की कड़वी सच्चाई को दर्शाने की कोशिश करी है। यह न केवल बेवफाई और स्वार्थ का मार्मिक चित्रण करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आत्म-सम्मान और बुद्धिमत्ता से कैसे एक स्त्री अपनी परिस्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ सकती है।

कहानी में भावना, संघर्ष और संतोष का मिश्रण यह कहानी संवेदनशीलता और नारी सशक्तिकरण का संदेश देती है। तरु का चरित्र प्रेरणा देता है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन हों, हमें अपने आत्मसम्मान और विवेक को बनाए रखना चाहिए

आपका क्या कहना है कैसी है यह कहानी एकदम सच्ची है क्या तरू ने ठीक करा


स्वरचित सत्य कथा



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