ये कैसा प्यार
ये कैसा प्यार
रवि का हंसता-खेलता छोटा सा परिवार था।एक विधवा मां,प्यारी सी पत्नी और छोटी सी फूल सी बच्ची।सब बहुत खुश थे।रवि और मेघा की यह अरेंज मैरिज थी।मेघा के पिता बहुत गरीब थे।दहेज विरोधी रवि ने एक बार में ही मेघा को पसंद कर लिया था। विवाह के सारे इंतजाम भी रवि ने ही किए थे।पत्नी बहुत ही सुन्दर और सुघड़ थी।तीन साल बाद एक प्यारी सी बेटी ने उनके जीवन की रिक्तता को भर दिया था। रवि और मेघा एक दूसरे के बिना एक पल भी न रह पाते। दोनों का प्यार मिसाल बन गया था। लेकिन बुरा वक्त कहकर नहीं आता।
हुआ यूं कि मेघा के वुआ जी-फूफा जी भी इसी शहर में रहने आ गए,वे पैसे वाले लोगथे।मेघा का उनसे लगाव कुछ ज्यादा था।उन लोगों का आना-जाना बढ़ा तो मेघा के स्वभाव में परिवर्तन आने लगा।पता नहीं ये रवि का दुर्भाग्य था या मेघा की बेवकूफी।परिवार में आए दिन झगड़े होने लगे।जो मेघा अपने भाग्य को सराहती नहीं थकती थी,वही अब भाग्य को कोसती रहती कि ऐसे गरीब घर में उसका ब्याह हुआ।रवि समझ नहीं पा रहा था कि इतनी अच्छी-खासी तनख्वाह के बावजूद मेघा के मन में ये ख्याल कहां से आ रहे हैं।झगड़े बढ़े तो दूरियां भी बढ़ी और फिर मेघा अपने फूफाजी के घर चली गई।रवि ने बहुत कोशिश की समझाने की लेकिन जब दिमाग में फितूर पल जाए तो कुछ कहां समझआता है।रवि जब भी बात करना चाहता तो उसे दूर रहने की हिदायत दी जाती और धमकी भी जान से मारने की।
रवि समझ नहीं पा रहा था कि उससे कहां गलती हुई।
बात अब घर की नहीं रही थी ।थाना, कोर्ट और महिलाआयोग के चक्कर काटना जैसे उसकी नियति बन गई थी।अपनी बेटी का फूल सा चेहरा देखने के लिए वह तरस गया था और इसी अवसाद में वह जहर खरीद लाया कि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।तभी उसके आफिस के कुछ लोग उससे मिलने आ गए।उसकी स्थिति को देख वे उसे अपने साथ ले गए। उनमें से एक व्यक्ति के बहुत करीब था रवि।जब उन्होंने उससे उसकी तकलीफ़ और आफिस न आने का कारण पूछा तो उसने सब कुछ बयान कर दिया।
उन्होंने उसे हौंसला दिया और गलत कदम न उठाने की सलाह। रवि का मन हल्का हो गया था। वह बार-बार एक ही बात कह रहा था कि -"क्या यही प्यार है"
तब वह सज्जन उसे समझाते हुए बोले-प्यार अपनी जगह है रवि , लेकिन यदि आंखों पर भ्रम का पर्दा पड़ जाए तो प्यार समझ नहीं आता , निसंदेह तुम्हारी पत्नी आज भी तुमसे उतना ही प्यार करती होगी लेकिन अभी उसे बात समझ में नहीं आएगी।
जब तुम्हारी कोई गलती नहीं तो तुम अपने प्राणों से खिलवाड़ क्यों करना चाहते हो, मां के विषय में सोचो और उनकी हर बात का जबाव दो ।हां तुम्हारी बच्ची का इसमें कोई दोष नहीं है लेकिन उन लोगों को वास्तविकता का पता चलना ही चाहिए।
रवि ने उनकी बात सुनी, आत्महत्या का विचार त्याग कर वह इस झगड़े को सुलझाने में लग गया। बात बनने लगी थी,अब पत्नी का रोज फोन आने लगा था कि वह बहकावे में आ गई और घर वापस आना चाहती है। वह उसे बहुत चाहती है और उसके बिना नहीं रह सकती , रवि भी उसकी बात से सहमत हैं ,पर उसने मेघा से एक प्रश्न का जबाव मांगा है कि-जब वह उससे इतना प्यार करती थी तो फिर इतना अविश्वास क्यों ? क्या उसका प्यार यही था कि उसने अपने हंसते-खेलते परिवार को अपने हाथों विवाद में उलझा दिया ?
