जब किताबें थीं अपने हाथों में, तब लगता था खुद के हैं हम। जब किताबें थीं अपने हाथों में, तब लगता था खुद के हैं हम।
फिर नीचे गिरे पल्ले को देखकर बोला ,"अरे यह कैसे गिर गया।" फिर नीचे गिरे पल्ले को देखकर बोला ,"अरे यह कैसे गिर गया।"
अपने हंसते-खेलते परिवार को अपने हाथों विवाद में उलझा दिया ? अपने हंसते-खेलते परिवार को अपने हाथों विवाद में उलझा दिया ?
तो मेरे मन मैं सवाल उठा "क्या मैं अंधविश्वासी और सनकी हूँ तो मेरे मन मैं सवाल उठा "क्या मैं अंधविश्वासी और सनकी हूँ
मेरे आँसू मेरे मन में बरसों के जमे मैल को धो रहे थे.... अंधियारी रात बीत चुकी थी और हल्का हल्का उजाल... मेरे आँसू मेरे मन में बरसों के जमे मैल को धो रहे थे.... अंधियारी रात बीत चुकी थी...
जीवन फिर चल पड़ा नए साथी के साथ आज बस रत्ना की जगह स्नेहा थी। जीवन फिर चल पड़ा नए साथी के साथ आज बस रत्ना की जगह स्नेहा थी।