Abhilasha Chauhan

Tragedy

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Abhilasha Chauhan

Tragedy

अब पछताए होत का

अब पछताए होत का

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बड़ी भाभी किसके साथ रहेगीं..?इस बात को लेकर दोनों देवरों में बहस छिड़ी थी.… पता नहीं इस बहस का कोई

हल निकलने वाला था...!या बड़ी भाभी को अपनी-अपनी मजबूरियों की दास्तान इस बहाने सुनाई जा रही थी। बड़ी

भाभी पत्थर की बुत बनी बैठी थीं। उन्हें होश भी नहीं था कि क्या हो रहा है...??

बड़े भैया का देहांत हो गया था,उनकी अपनी संतान तो थी, नहीं,अब बड़ी भाभी ही बची थीं।यह वही भाभी थीं ,जो सोलह साल की उम्र में ब्याह के घर आईं थीं,आते ही उनकी झोली में पांच बच्चों की सौगात आ गई थी।भाभी मां बन गई

थी ।छोटा देवर कोई तीन साल का रहा होगा।उसके जन्म के समय ही सासू जी का देहान्त हो गया था,तब बड़े भैया पंद्रह

साल के थे ,फिर तीन बहनें और दो भाई...! ससुर जी अकेले पड़ गए, उन्होंने खुद ब्याह करने के स्थान पर बड़े भैया का

ब्याह कर दिया ।बहू आ गई .. सौभाग्य से बहू परिवार को साथ लेकर चलने वाली मिली...! फिर दो साल के अंदर ससुर जी भी अनंत यात्रा पर चल दिए।

अब सारा दारोमदार बड़े भैया और भाभी पर आ गया। रात-दिन मेहनत की। पुश्तैनी जमीन बेची , बहनों की अच्छे घर

में शादी की और भाईयों को पढ़ाया-लिखाया,अच्छे घर में ब्याह किया।अब सब शहर में नौकरी कर रहें हैं। लेकिन

चिंता और रात-दिन की मेहनत बड़े भैया को लील गई।

जिसने इनके के लिए अपना जीवन दांव पर लगाया यहां तक की अपनी संतान पैदा करने के बारे में नहीं सोचा ,आज

वहीं एक अदद प्राणी को लेकर बहस कर रहे थे।भाभी कमरेेे बैैठी सब सुुन रही थी,मन में कुछ टूूट रहा था और फिर.....?

चलो,भाभी से पूछते हैं कि वे किसके साथ रहेंगी ?

कहते हुए दोनों देवर -देवरानी भाभी के कमरे की ओर चल दिए..देखा,भाभी कमरे में नहीं थीं...!अब ये कहां चली गईं.?

भाभी ओ भाभी...!

कोई जबाव नहीं मिला,पूरा घर ढूंढ लिया...!!

कहां गई होंगी ..?

तभी छोटे देवर की पत्नी जोर से बोली...इधर आओ ,देखो

ये क्या है.….?सब भाभी के कमरे में पहुंचे...देखा कुछ कागज ,थोड़े से जेवर,और घर की चाबियां रखी थी।

टूटे-फूटे शब्दों में.................! एक कागज पर चंद लाइनें लिखी थी....ये सब आपस में बांट लेना...! हमें ढूंढने की कोशिश न करना...!तुम्हारे भैया कभी तुम्हें दुखी नहीं देखना चाहते थे,मुझे लेकर आपस में मत लड़ो,ये उनका अपमान होगा।खुश रहना।मैं कभी तुम लोगों को लड़ते हुए नहीं देख सकती। इसलिए.....

ये पढ़ कर सबके चेहरे लटक गए ,अपनी कृतघ्नता का पश्चाताप उनके चेहरों पर दिखाई दे रहा था,भाभी का एक-एक उपकार याद आ रहा था और साथ में उनका दृढ़निश्चयी

स्वभाव भी ,कि अब अगर उन्हें ढूंढ भी लिया तो शायद ही

वह किसी के साथ रहे लेकिन अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत..!


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