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सुरभि शर्मा

Romance

3  

सुरभि शर्मा

Romance

ये इश्क़

ये इश्क़

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इन हसीन रातों से, इक दिन चाँदनी ने पूछा मीत मेरा, चाँद मेरा बोलो ना कब आएगा, शाम सिंदूरी सजाएगा, बोलो ना, बोलो ना, बोलो ना....... 

क्या यार प्रिया नीचे जिया की मेहंदी की रस्में चल रही है और सब नाच-गा के मस्ती कर रहे हैं और तू यहाँ छत पर बैठ कर ये उदास गजल सुन रही है चल नीचे।

तू जा सारिका मैं थोड़ी देर में आती हूँ।

नहीं मेरे साथ चल, अरे जीजू की याद आ रही है तो तू ही कॉल कर ले ना यहाँ से क्या हो जाएगा, अगर पहले तू ही सुलह की पहल कर लेगी तो।

सारिका जब मेरी गलती नहीं है तो मैं क्यूँ झुक जाऊँ, दो महीने हो गए मुझे यहाँ आए हुए पर एक बार भी उन्होने मुझे कॉल नहीं किया, फिर मैं क्यूँ करूँ।

पर प्रिया यहाँ तेरे आते ही दूसरे दिन जीजू ने कॉल किया था पर तूने ही गुस्से में रिसीव नहीं किया था, और पति पत्नी में तो थोड़ी कहासुनी होती रहती है और तू ही तो बोलती है कि जब तू बीमार पड़ती है तो जीजू रात भर तेरे लिए जागते हैं, कोई तुझे कुछ भी बोलता है तो तेरे साथ खड़े रहकर सबको जवाब देते हैं तो जो तुझे इतना प्यार करता है क्या हुआ अगर उसने गुस्से में थोड़ा कभी कुछ बोल दिया तो, तू ही थोड़ी नरमी दिखा देती।

नहीं सारिका जहाँ मैं गलत नहीं वहाँ मैं नहीं झुक सकती और छोड़ ये सब बातें, नीचे चल रस्में चल रही है।

जिया की विदाई भी हो गयी अब तक तो सब ये समझ रहे हैं कि मैं शादी की तैयारियों में मदद करने के लिए इतना पहले आ गयी, पर अब सबको सच बताना पड़ेगा सारिका की मैं घर छोड़ के आयी हूँ, यार होली तक रुक जा और एक बात कहूँ, जीजू के साथ बिताए खूबसूरत पल याद कर शायद तेरा अहम उनके प्यार के आगे फीका पड़ जाए।

सारिका चाहती तो मैं भी दिल से सुलह ही हूँ पर दिमाग इजाजत नहीं दे रहा क्या करूँ यार, काश ये एक बार फोन कर मुझसे फिर से बात करते, ये दूरियाँ प्यार की अहमियत समझा रही हैं, दिल को पर मैं अपने दिमाग को नहीं समझा पा रही, क्या करूँ कुछ मत कर, थोड़ी टेंशन कम ले और चल होली की गुझिया बनानी है अभी। 

अरे प्रिया, दामाद जी शादी में तो ऑफिस में व्यस्त होने के कारण नहीं आ पाए पर होली में तो आएंगे ना, बात हुई तेरी, हाँ माँ बात तो हुई पर शायद वो होली पर भी ना आ पाए ज्यादा व्यस्त हैं, अभी साफ झूठ बोल गयी माँ से, भरी हुई आँखो के साथ, पर माँ तो माँ होती है उनकी नजरों से बच्चों की परेशानी कहाँ छुपी रहती है !

हैप्पी होली प्रिया, चल होली खेलने।

नहीं सारिका तू जा मेरा मन नहीं, तेरे बिना मैं कोई त्योहार नहीं मनाती तू जानती है ना।

अच्छा बाबा चल, पर शाम मे मैं कहीं नहीं जाऊंगी, जिद मत करना।

ठीक है तू छत पर सुनते रहना अपनी गजलें पर अभी चल ! 

कब आओगे मेरे प्रियतम, तड़प रही तेरी चाँदनी शीतल 

तारों बीच भी खड़ी अकेली, मत खेल मुझसे अमावस पूनम पहेली 

बोलो ना कब आओगे, शाम सिंदूरी सजाओगे "

आ गया हूँ मेरी जान, पीछे से रोहित ने प्रिया के गालों पर अबीर लगाते हुए कहा तो प्रिया ने चौंक कर पीछे देखा और कंधे पर सर रख कर रो पड़ी, इतना नाराज हो गए कि एक बार फोन करना भी जरूरी नहीं समझा शुरु हुआ शिकायतों का सिलसिला। 

अरे मेरी जान अपनी जान से कोई नाराज हो सकता है क्या। वो तो मैं तुमसे इसलिए बात नहीं कर रहा था कि तुम इतनी नाराज हो कि अभी बात और बढ़ेगी, इसलिए शांत होने के लिए थोड़ा टाइम लिया हुआ था।

मम्मी, पापा जिया, सारिका सबसे बात हो रही थी, और तुम्हारे प्रति मेरे इश्क़ का रंग इतना कच्चा नहीं है कि इन छोटी छोटी बातों से उतर जाए, झगड़े तो हर पति पत्नी मे होते हैं, कभी तुम झुक जाओ कभी मैं यही तो प्यार का असली रंग है, और कभी कभी प्यार के रंग को गहरा करने के लिए थोड़ी दूरियां भी कभी कभी जरूरी है, बस इतनी सी तो बात है, हाँ आइ एम सॉरी रोहित मुझे भी समझना चाहिए था मैं भी अपना इगो ले के बैठ गयी थी।

कोई बात नहीं जान छोड़ो ये सब, चलो इन होली के रंगों के साथ अपने इश्क़ की दुनिया को और खूबसूरत बनाते हैं।

हैप्पी होली स्वीट हार्ट ओह रोहित, यहां नहीं इस तरह मत छेड़ओ ना ओह प्लीज ! 

और कहीं से मधुर संगीत की आवाज आ रही थी,

इश्क़ है इश्क़ है हाँ यही इश्क़ है.....



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