आईना
आईना
महेश बाबू क्या हालचाल? अरे आइये सतीश बाबू आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये? और आपके हुक्का गुड़गुड़ाने की आदत गयी नहीं अब तक, अब तो सिगरेट का जमाना है, अरे आज के सिगरेट, शराब में वो बात कहाँ जो हमारे समय के हुक्का, बीड़ी , महुआ, ताड़ी में हुआ करते थे, नयी पीढ़ी कितनी तरक्की कर ले पुरानी पीढ़ी को कहाँ मात दे पाएगी? और अपना सुनाओ सब कुशल मंगल? हाँ, और गाँव की बात कहो भाई?
रामशरण बाबू का क्या हालचाल है? सुना जमींदारों ने धोखाधड़ी से अंगूठा लगा उनकी सारी जमीन कर्जा ना चुकाने पे हथियाने की कोशिश की साथ ही साथ घर की बहू बेटियों पर भी बुरी नजर थी। हाँ भाई पर उसका बड़ा बेटा अभिषेक बहुत काबिल निकला, कलक्टर बन गया और सारा कर्ज चुका दिया, हाँ छोटा निकम्मा निकला, बाप की जमीन जोतना ही रास आया, ठीक तो है सतीश बाबू माँ बाप के पास भी तो कोई रहना चाहिए। क्या ठीक है महेश बाबू बहुरिया घूँघट तो 1 गज का निकालती है और जुबान 2 गज लंबी है, प्रेमचंद की "बूढ़ी काकी " जैसी हालत कर रखी है अपनी सास की आजकल की पढ़ी लिखी लड़कियाँ समझदार होवे हैं अनपढ़ है न इसलिए, पर उसकी भी कौनो गलती नाही असल में दुई बार लड़की होने के कारण उसकी गर्भ से ही बच्चा गिरा दिया गया इसलिए थोड़ा पगला सी गयी है अब हम लोग के समय से चला आ रहा लड़का लड़की का भेद भाव इतना जल्दी और पूरी तरह से तो नहीए खत्म हो पायेगा। और उ घनश्यामदास की बीवी अब नहीं रही बड़ा दुख सहा बेचारी ने हमारे समय में तो मुँह खोल नहीं पाते थे तो जबरदस्ती की शादी थी उनकी पर पत्नी सिर्फ घर की बहू बन कर रह गयी साथ तो उन्होंने अपनी प्रेमिका से ही निभाया, हाँ भाई पर कुछ भी कहो हमारा समय ज़्यादा अच्छा था, कम से कम ई मीडिया नहीं था तो हर बात ढकी छुपी रह जाती थी तभी तो हम अपनी नैतिकता और सभ्यता पर इतना विश्वास दिला देते हैं नयी पीढ़ी को नहीं तो हमें जो हमारे खुद की सभ्यता पर इतना विश्वास है उसकी गंध तो कब का कपूर की भाँति उड़ चुकी होती।