सुरभि शर्मा

Action Inspirational

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सुरभि शर्मा

Action Inspirational

मेरी कहानी मेरी जुबानी

मेरी कहानी मेरी जुबानी

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ए मेरे वतन के लोगों... की गूंज पूरे विद्यालय में जोर से गूंजती,अन्न जहाँ का हमने खाया, वो है प्यारा देश हमारा भारत माता की जय जयकार होती मार्च पास्ट होता उसके बाद शीशे के सामने खड़े होकर मेरी हफ्तों की तैयारी में किए गए जोशीले भाषण की बारी होती शब्दों के जोश और भावों की चिंगारी का धुंआ मैं जिस तरह उड़ाती की विद्यालय में पाँच मिनट के लिए बिल्कुल सन्नाटा पसर जाता, औऱ ये तब टूटता जब मैं सैल्यूट करते हुए जय हिंद, जय भारत बोलती और फिर कुछ देर मैं तालियों की गड़गड़ाहट में मंत्रमुग्ध सी खो जाती, तारीफ पाने का नशा ही कुछ ऐसा होता है |हाथ में लड्डू मिलते और मन जाता हमारा स्वतंत्रता दिवस 

उस समय आजादी का अर्थ और देश प्रेम किसे कहते हैं इसका अर्थ मेरे लिए उतना ही था, जितना कि किताबों में लिखा होता है, कि हम पर अंग्रेजो का शासन था, शहीदों ने जान देकर हमें आजादी दिलाई अब हम आजाद हैं और अपने देश से प्रेम करते हैं 

फिर जब बातें व्यवहारिक अर्थ पर समझने लगी तो आजादी और देश प्रेम के अर्थ ने मेरे दिमाग में एक बहुत बड़ा भूचाल खड़ा कर दिया कि क्या सड़क पर यूँ आराम से कूड़ा फेंक देना आजादी है? दूसरों का मजाक उड़ाने के मोके खोजते रहना आजादी है? अन्न, पानी जैसे अनमोल प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग करना हमारी आजादी है? अपनी थोड़ी देर की सुविधा के लिए प्लास्टिक जैसे हानिकारक चीजों को उपयोग कर प्रकृति को नुकसान पहुंचाना हमारी आजादी है? अपने अशिष्ट व्यवहार से सरकारी संसाधनो को नुकसान पहुंचाना क्या ये हमारी आजादी है? और उसके बाद हर दुरवयवस्था के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना क्या ये हमारी आजादी है? और ये है हमारा देश प्रेम

तब से समझ आने लगा कि शब्दों से नहीं अब कर्मों से देश प्रेम जताना है अब प्लास्टिक का उपयोग लगभग न के बराबर करती हूँ, सामान लेने जाती हूँ तो कपड़े का बैग ले कर जाती हूँ, कभी कार से लंबे सफर के लिए जाती हूँ तो साथ में बायो डीग्रेडएबेल गेरबेज़ बैग साथ रखती हूँ, जिससे जरूरत पड़ने पर किसी भी तरह का कचरा सड़क पर न फेंकना पड़े, पक्षियों को दाना डालती हूँ, छोटे से फ्लैट में रहने के वाबजूद कुछ पौधे लगा के रखे हैं क्योंकि मैं प्रकृति से प्रेम करती हूँ अपने देश से प्रेम करती हूँ अन्न और पानी के दुरुपयोग से खुद को बहुत बचाती हूँ और अब मैं शान से सबसे कह पाती हूँ कि हाँ मैं हूँ देशभक्त और ये मेरा भारत है।


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