सुरभि शर्मा

Drama Action

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सुरभि शर्मा

Drama Action

अन्नपूर्णा

अन्नपूर्णा

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चार साल हो गए पर आज तक खाना बनाना नहीं आया तुम्हें बहु कभी नमक ज्यादा तो कभी कम, कभी तेल ज्यादा तो कभी हल्दी तो पता नहीं कब इस घर में स्वादिष्ट खाना मिलेगा जब से मेरी बेटी की विदाई हुई है अच्छे खाने के लिए तरस गया हूँ जब वो आए तो जरा तौर तरीके से ढंग का खाना बनाना सीख लेना उंगलियों को चाट चाट कर खाने के चटकारे लेते हुए किशोर जी हर दिन की तरह आज फिर अपनी बहू को जली कटी सुना रहे थे और भरी आँखों के साथ सुप्रिया सारी बातें सुन रही थी ये कोई नयी बात नहीं थी उसके लिए हर दिन खाने के समय यही तमाशा होता, हाँ पर उन्हें अन्न का एक दाना भी फेंकना पसंद नहीं था और घर के सारे सदस्यों को भी हिदायत थी कि अन्न देवता का रूप होता है उसका अपमान नहीं होना चाहिए

ऐसे तो जब भी घर में कोई मेहमान आता तो सुप्रिया के हाथों की खाने की बड़ाई ही करते थे पर पता नहीं क्यों ससुराल में हर समय उसके बनाए खाने में मीन - मेख ही निकाली जाती जबकि वो स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अच्छे से अच्छा भोजन बनाने की कोशिश करती |

खाना चख कर उसके स्वाद का पता लगा घर वालों को परोसना कुलक्ष्मी की निशानी थी इसलिए वो खाना चखती भी नहीं थी कि अगर कभी नमक थोड़ा कम - ज्यादा हो गया हो तो पता चल सके और खाने में इन छोटे छोटे नुक्स को लेकर इतना हंगामा किया जाता जैसे उसे छोड़ बाकी सब मास्टर शेफ हो घर में,

ऐसे ही बेइज्जती सहते हुए और आँसू बहाते हुए सुप्रिया के दिन बीत रहे थे, सुप्रिया को अपने भाई की शादी में मायके जाना था और सासू माँ की तबीयत ठीक न थी तो हैदराबाद से घर संभालने सुप्रिया की देवरानी आई, अगले दिन खाना परोसते समय किशोर जी ने उसके साथ भी वही हरकत शुरू की उस दिन उसने चुपचाप सुन लिया कि शायद सच में खाने के स्वाद में कोई कमी रह गयी हो, पर धीरे धीरे उसे समझ आ गया कि ससुर जी को खाने में बेवजह नूक्स निकालने की आदत है, वो चुप रहने वालों में से नहीं थी

अगले दिन किशोर जी ने खाने में नूक्स निकालते हुए जैसे ही कहा कि मेरी बेटी से खाना बनाना सीखो सुप्रिया की देवरानी तपाक से बोली जी आज खाना दीदी ने ही तो बनाया है आज शाम में आई वो तो मैंने सोचा उनसे अच्छा खाना बनाना सीख लूँ और आपको आज उनके हाथ के स्वादिष्ट खाने का सरप्राइज भी दे दूँ सामने अपनी बेटी को देख किशोर जी का चेहरा देखने लायक था अब

सुप्रिया मायके से वापस आ गयी थी और आज फिर खाना परोसने के बाद डरी सहमी सी खड़ी थी कि उसके कानों में आवाज पड़ी बहू खाना बहुत अच्छा बना है एक पल के लिए तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ वो हैरत से अपनी देवरानी को देखे जा रही थी जो उसे मुस्कुराते हुए कह रही थी कि आज से इस घर में अन्न के साथ साथ अन्न परोसने वाली अन्नपूर्णा का भी आदर होगा|


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