यात्रा
यात्रा


इंडियन रेलवे वाकई में इंडियन होती अपने पूरे कल्चर मे।अपने रखरखाव में,अपनी सफाई में और अपने खानपान में भी।अपनी यात्रा में कम्पलीट भारतीयता दिखाती है।चाहे कन्याकुमारी हो या कश्मीर हो,हर तरह से इंडियन।
एक बात जान लीजिये आप।इंडियन रेलवे पूरे भारत की गरीब से गरीब जनता का भी ध्यान रखती है।कोई भी लोग हो,चाहे अमीर हो या गरीब हो।सब को वह उनकी मंज़िल तक पहुंचाती है।इंडियन रेलवे के की यही खासियत मुझे अपील करती है।
ट्रैन में भिखारी? यह सवाल नही बल्कि यह एक आश्रर्य होगा अगर किसी ट्रैन में कोई भिखारी नही होगा।
कभी कभी लगता है की अगर इंडियन रेलवे नही होती तो इतने भिखारियों के हाल क्या होते?कैसे उनको उनकी मंज़िल हासिल होती?उन भिखारियों के तरह तरह के भिखारी दिखाई देते है पूरी ट्रैन में।मजेदार बात तो यह होती है कि बहुत मजबुुरी से वह टॉयलेट की पास वाली जगह पर सिकुड़ते हुए बैठ जाते है चाहे वे जीतने भी हो।
पता नही उनकी जिजीविषा कैसी होती है जो आम तौर पर बाकी के इतर क्लास के लोग सोच नही पातें है वे काम ये सब कर लेते हैं।कभी कभी इन भिखारियों को देखकर लगता है इनकी जिंदगी जीने की स्टाइल बहुत बेफिक्र और मस्तमौला होती है।न कल की चिंता और न आज की परेशानी...
बस जिंदगी को जीते जाओ बिल्कुल बेफिक्री से और बेबाकी से...और करते रहो कही से भी,किसी भी समय और कही के लिए भी बस यात्रा और यात्रा.....