Sajida Akram

Romance

4.5  

Sajida Akram

Romance

यादों के झरोखों से

यादों के झरोखों से

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'हिना रब्बानी जानी-मानी हस्तियों में शूमार हैं। "यूनिवर्सिटी में डायरेक्टर पद"पर है । 40साल का वक़्त कैसे निकल गया । ज़िन्दगी ने कई उतार-चढ़ाव दिखाए । अम्मी-अब्बू का एक्सीडेंट में यूं अचानक चले जाना।


 "धाय मां" को चाय की प्याली का बोला कि मेरी स्टेडी रूम में ला दें । "धाय मां"ने बचपन से ही हिना की देखभाल कि थी। अम्मी-अब्बू के जाने के बाद हिना को "धाय मां"ही उसकी हर सुख-दुख की साथी थी ।

 आज फुर्सत में फाइलें देख रही थी ,कि कॉलेज की पुरानी डायरी मिल गई , पन्ने पलटते हुए शारिक़ की यादों के झरोखों में गुम सी हो गई।


"हिना जिस फेमिली से थी,जहाँ लड़कियों की ज़्यादा पढ़ाई पर ज़ोर नहीं दिया जाता है, हिना की स्कूल की पढ़ाई तो पूरी हो गई। अम्मी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी, आगे की पढ़ाई के लिए घर में ज़िक्र करेंगे,क्योंकि घर में मर्दों की ही हुकूमत चलती थी, रही-सही कसर दादा अब्बू पूरी कर देते थे। हमेशा अब्बू और बड़े भाई और चच्चा जान को नसीहत करते रहते थे।घर की औरतों को ज़्यादा छूट नहीं देंना चाहिए। हिना तो पहले से ही नर्वस थी ।घर में इस तरह के ख़्यालात सुन कर उसकी रही-सही उम्मीद भी ख़त्म हो गई। 


एक दिन उसकी सबसे प्यारी फुप्पी आई, घर में दादा अब्बू और बड़े भाई यानि हिना के अब्बू सब ही फुप्पी की सलाह को मानते थे।  हिना ने फुप्पी से कहा कि मेरी पढ़ाई के लिए दादा अब्बू और अब्बू को आप मना लें। हिना की पढ़ाई का फुप्पी ने ज़िक्र किया ,अब्बू आप हिना को पढ़ने के लिए शहर भेज दें। 


"आजकल लड़कियों की पढ़ाई बहुत ज़रूरी है। आप मुझसे ज़्यादा जानते हैं। हिना अंदर सब सुन रही थी दादा अब्बू ने हिना को बुलाया, बताओ तुम आगे पढ़ना चाहती हो।


"हाँ दादा अब्बू मैं मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेना चाहती हूँ ,मेरा "पी.एम.टी".के इंटरेन्स टेस्ट में अच्छे मार्क्स है आप परमिशन दें तो...,"

 

' अब्बू ने कहा हम देखतें है ,कौनसा मेडिकल कॉलेज मिलता है ।उस हिसाब से सोचेंगे ठीक है, हिना को तो इतना ही काफी था ,क्योंकि घर में कोई जिक्र ही नहीं हो रहा था। 


आगे की पढ़ाई का उसने अंदर फुप्पी को गोद में उठा कर चारों तरफ घूमा दिया। फुप्पी चींखती रही..., लड़की पागल हो गई है।मुझे गिराएगी क्या...? मगर हिना तो जैसे नाच रही थी उसे तो ऐसा लग रहा था, पंख लग गए हो। 


कॉलेज में एडमिशन के बाद हिना धीरे-धीरे सब स्टूडेंट्स साथ मिक्स होने कि कोशिश करती । शहर की मार्डन लड़कियां हिना के हिजाब और सादे कपड़ों की वजह से मज़ाक बनाती थी **बहन जी**कहती थी। मेडिकल काॅलेज के सीनियर लड़कों में "एक लड़का था  शारिक़ जीनियस भी था और सब दोस्तों में हरदिल अज़ीज़, बहुत हंसमुख। 


 शारिक़ की निगाह हिना पर पड़ी तो बस देखता ही रह गया। हिना भले ही कितना ही सिम्पल आए ,पर गज़ब का हुस्न दिया था, उसे रब ने ...,कई लड़कें आहें भरते थे,मगर सब एक दूसरे को तसल्ली देते रहते बेटा सोच भी मत "हिना किस चिड़िया" का नाम है।शारिक़ अब लगातार हिना से मिलन की कोशिश करता, हिना हमेशा शारिक़ को देखकर रास्ता बदल लेती। लड़कियों को रब ने कुछ अलग ही इन्द्रियाँ दी होती है, जैसे उनकी दो आंखें पीछे भी हो, वो फौरन अलर्ट हो जाती है, कोई उनका पीछा कर रहा है । शारिक़ ने ठान लिया था चुपचाप से एक दिन लाइब्रेरी में जाकर हिना को प्रपोज किया। हिना घबरा गई, देखिए मैं यहाँ पढने आई हूँ, प्लीज मुझे परेशान न करें।शारिक़ का हिना को प्रपोज़ करने का क्लास की लड़कियां को पता चला तो, आहे भरने लगी 'अरे इतना हेंडसम लड़का हम लड़कियों को छोड़कर', उस बहनजी जैसी लड़की में क्या दिखा जो उससे प्यार कर बैठा। 


 हिना ने अपनी दोस्त को कहा "मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, वो ज़रूर मेरे पीछे पड़ा हुआ है, मैं तो सिर्फ पढ़ाई करने आई हूँ। मेरे घर वाले मेरी पढ़ाई छुड़ा देंगे। "

 'मगर कहते हैं कि "न न करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे"।आखिर हिना को भी धीरे-धीरे शारिक़ की तरफ झुकाव होने लगा।हिना अक्सर पढ़ते-पढ़ते ख़्यालों में खोने लगी।शारिक़ कभी उसको काफ़ी के लिए केंटिन में चलने का कहता। 


 हिना भी प्यार के ख़ुबसूरत अहसास में खोने लगी,कहतें, ख़ुबसूरत लम्हें बड़ी तेज़ी से निकल गए तीन साल हो गए हिना का घर छुट्टियों में आना-जाना रहता । हिना छुट्टी से लोटी तो शारिक़ कई दिनों तक नहीं दिखा, हिना भी अपनी थर्ड इयर की पढ़ाई में मसरूफ़ हो गई ,फिर भी शारिक़ की कमी शिद्दत से याद आ रही थी। शारिक़ का फाइनल हो गया था उनको दूसरे हास्पिटल में इंटरनल शिप चल रही थी हिना को लगा उसमें ही बिज़ी होगा। 

शारिक़ कई दिनों के बाद आया और उसने जो कहा उसको सुनकर...; हिना के पैरों तले ज़मीन निकल गई । हिना की सोचने-समझने की ताक़त ही नहीं रही ,बेजान सी हो गई।


शारिक बताता रहा कि मैं अपने घर फुप्पी की बेटी की शादी में गया था । वहां ऐसे हालात बने लड़के वाले बारात ही नहीं लाए ,ऐन वक़्त पर लड़का भाग गया। लड़के वालों ने फोन पर ख़बर दी, माफ़ी मांगते रहे।अब्बू ने मुझसे कहा ख़ानदान की इज़्ज़त बचा लो बेटा तुम शादी कर लो। मेरी बहन की बेटी से प्लीज़ ..., मैं शॉक में ना ये बता सका की मैं किसी से प्यार करता हूं।


अब तुम ही बताओ। अब्बू को कैसे मना करता।हिना को कंविंस करता रहा ।"शारिक हमारा प्यार ऐसे ही बना रहेगा ; ज़िन्दगी में हमें मिलना नसीब ना हो पर हम प्रामिज़ नहीं तोड़ेगें। 



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