वफादारी
वफादारी
पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी ने 2 साल पहले बेहद ही प्यारे दो कुत्ते पाले।
सुबह शाम उनके खाने पीने घुमाने और नहलाने का ध्यान रखते।
कुत्ते भी उन्हें बेहद प्यार करते। शर्मा जी ज़रा देर से आते तो वे उनके साथ लिपट कर अपनी चिंता और प्यार का इज़हार करते।
मूक थेलेकिन अपने तन की भाषा से सब समझा देते।
शर्मा जी को अचानक एक दिन दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
घर के सभी सदस्य अस्पताल में शर्मा जी की तीमारदारी में व्यस्त रहने लगे। खाना एक साथ ही कुत्तों को परोस देते।
दोनों कुत्तों ने खाना नही खाया बस उनकी आंखें शर्मा जी को तलाश रही थीं।
शर्मा जी बचाया न जा सका उनकी मृत देह को देख उनके पैरों के पास आ एक कुत्ते ने दम तोड़ दिया।
घर मे पहले ही बहुत दुःखद माहौल था।
सब उसकी वफादारी की मिसाल देने लगे कि शर्मा जी की मौत की वजह से ही ये दुख से मर गया है।
उन्होंने कुत्ते को बाहर आँगन में रख दियादूसरा कुत्ता उसके पास बैठ कर तब तक भूखा प्यासा रोता रहा जब तक उसके खुद के प्राण नहीं निकल गए।
शायद यही है सच्ची मोहब्बतजो वफादारी के रूप में कुत्ते ने मालिक से कीऔर दूसरे कुत्ते ने मित्र के रूप में दूसरे कुत्ते से की।