Rajnishree Bedi

Drama

5.0  

Rajnishree Bedi

Drama

शहादत

शहादत

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घर में बैठी अखबार पढ़ रही थी। तभी कुछ धुआँ सा महसूस हुआ। उसके साथ ही अचानक शोर सुनाई देने लगा।

मैं घबराई सी बाहर दौड़ी,तो मेरे होश उड़ गए। पास के मंदिर में जबरदस्त आग लगी हुई थी। एक हवन चल रहा था। तो काफी लोग मंदिर के अन्दर बैठे थे।

चीखने की आवाज़ों से दिल बैठा जा रहा था।

आग की लपटें बहुत तेज़ थ। ,दमकल की गाड़ी जब तक आती तब तक सब खाक हो जाता।

तभी एक लड़का आया और बोला.... मैं कोशिश करता हूँ, उनको बचाने की ।

हम सबने कहा ...आग बहुत ज़्यादा है मत जाओ। पर उसने हमारी एक भी न सुनी और जाते जाते कुछ ऐसा कह गया कि हम निरूत्तर हो गए। वह मंदिर की और दौड़ पड़ा

और आग की लपटों में कूद कर,

 एक एक कर लोगो को बाहर लाने लगा।

हम अपनी विस्मित आँखों से उसे देख रहे थे। वो काफी जल चुका था। लेकिन हिम्मत एक वीर सैनिक सी थी।

उसकी मेहनत और हिम्मत से सारे लोग बाहर आ चुके थे। मगर वो 80 प्रतिशत जल चुका था।

उसे और सबको तुरन्त अस्पताल ले जाया गया। मगर अफसोस वो नहीं बच स्का।

उसकी आखिरी बात ....मेरे ज़हन में आज भी घूमती है । "हर इंसान के अंदर एक वीर होता है। उसे हर वक़्त शहादत की भावना अपने दिल मे रखनी चाहिए। हर मुसीबत की जगह खुद को सीमा पर तैनात सिपाही समझना चाहिए। शहादत के लिए वर्दी की नही... हिम्मत, हौसले,त्याग और बलिदान की जरूरत होती है"।

बेशक तिरंगे में न लिपट पाऊँ,लेकिन सबको बचा के मर जाऊँ ...तो अपने जन्म को सफल मानूँगा। सही तो कहा उसने, सही मायने में असल शहादत, देशभक्ति तो यही है।


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