Rajnishree Bedi

Drama

5.0  

Rajnishree Bedi

Drama

सच्ची मुस्कान

सच्ची मुस्कान

2 mins
491


बहुत ही ज़िद्द करके अपने माँ-बाप की इकलौती लाडली बेटी प्रिया, दीवाली पर पटाखे लेने दुकान पर पहुंची।

बहुत मना किया कि प्रदूषण फैलेगा। पर ज़िद्दी प्रिया पर कोई असर न हुआ।

पाँच हज़ार के पटाखे खरीद कर वे बेहद खुश थी।

रात को सोते समय भी उन पटाखों को एक टोकरी में डाल अपनी आँखों के सामने रखा

और उसे निहारते-निहारते,ख्वाब सजाते सो गई।

आधी रात को फुसफुसाहट की आवाज़ सुन वो नींद से जाग गई। उसे लगा चोर उसके पटाखे चुराने आये है।

उसने डरते-डरते कान लगाए,तो आश्चर्य से उसकी आंखें फ़टी रह गई।

वो फुसफुसाहट चोरों की नही पटाखों की थी।

वो आपस मे अपना दुख बांट रहे थे।

रॉकेट रुआंसा होकर बोला:- कल ये मुझे जला देंगे। मैं अनजाने ही किसी के घर या कपड़ो में घुस कर उनका नुकसान कर दूँगा। अनार बोला;-और मैं समय से पहले या बाद में जलकर किसी की आंखों की रोशनी छीन लूँगा।

दो हज़ार की लड़ी बोली:-इतनी महंगी हूँ पर 10 मिनिट में जल के राख हो न जाने कितना प्रदूषण फैला दूँगी। बुज़ुर्गों और अस्थमा के मरीजो को समय से पहले ही मार दूँगी। मासूम बच्चे अनाथ हो जाएंगे। कहीं पर माँ-बाप सन्तान विहीन हो जाएंगे। गलती इंसान की और बदनाम हम होंगे। ये इंसान आख़िर हमे बनाता क्योँ है? अपनी क्षणिक खुशी के लिए इतना पैसा बर्बाद ...उफ्फ। काश ये पैसा गरीबों का पेट भरने में इस्तेमाल होता जो नित भूख से मर रहे हैं। सब मिल कर तेज़-तेज़ रोने लगे। ये सब सुन,प्रिया बहुत रोई। उसने निश्चय किया,कि वो अब कभी पटाखे नही जलाएगी।

सुबह उठते ही वो ज़िद्द करके उसी दुकानदार के पास वापिस गयी और पटाखे वापिस किए। फिर बाज़ार से खाना और खिलौने ले, गरीब बच्चों में बांटे और ये अहसास किया कि "असली दीवाली यही है, जो गरीबो के चेहरों पर 'सच्ची मुस्कान' लाए।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama