Rajnishree Bedi

Others

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Rajnishree Bedi

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जीवनसाथी

जीवनसाथी

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जीवनसाथी जीवन भर साथ निभाने वाला।यही सुना था सबसे।मगर कैसा होगा,कभी भी नहीं सोचा था।आखिरकार मैं विवाह बन्धन में बंधी..तो जीवनसाथी का अर्थ समझ आने लगा।मेरी छोटी-बड़ी गलतियों को माफ करना,सब्ज़ी में नमक कम हो तो चुपचाप खा लेना।मेरे व्यस्त होने पर अपने कपड़े भी इस्त्री कर लेना।ये सब उसकी अच्छी आदतों में शुमार था।खामोश रहना उनकी सबसे बड़ी खूबी थी।चाहे मैं जितना भी चिल्ला लूँ।उनकी नज़र में मैं इक छोटे बच्चे की भांति थी,जो नादान है।

एक दिन मेरे मेरे पेट मे जोरों का दर्द हुआ।मै दर्द से कराहने लगी।अचानक एक भयंकर दर्द के साथ ही, मैं बेहोश हो गयीऔर मेरा रक्तचाप बिल्कुल कम हो गया।जब होश में आई तो पता चला कि मैं अस्पताल में थी और मेरा एक ऑपरेशन हुआ था । मेरे पास मेरे रिश्तेदार बैठे थे।पर मेरी नज़रें इन्हें ढूंढ रही थी।

पर मैं शर्म के कारण पूछ न पाई।घण्टों बाद मुझे पता लगा कि ये,ऑफिस के काम से बाहर गए हैं।मैं बहुत रोई,इनकी लापरवाही देख कर इनसे बात करने की इच्छा खत्म हो गयी ।सोचने लगी सात दिन निकल गए, ये नहीं आए।अब सिर्फ *तलाक* ही इसकी सज़ा हो सकती है।वो दिन भी आ गया ,जब मुझे अस्पताल से छुट्टी मिल गयी।मैं बेहद नाराज़ ,निराश और क्रोधित थी।

मेरी सास कार तक मुझे लाई और दरवाज़ा खोल दिया।इनको देखते ही मेरे पसीने छूट गए और आँखों से अश्रुधारा बहने लगी।ये बेहद बीमार लग रहे थे।तभी मेरी सासू माँ बोली।इसी ने तुझे अपनी एक किडनी देकर जीवनदान दिया है।रक्तचाप कम होने की वजह से किडनी फेल हो गयी थी।मैंने खुद को बहुत कोसा ओर मन ही मन कहने लगी।यही होता है सच्चा 'जीवन साथी'।



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