Meena Singh "Meen"

Romance Fantasy Inspirational

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Meena Singh "Meen"

Romance Fantasy Inspirational

वो तुम हो (पार्ट-8)

वो तुम हो (पार्ट-8)

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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि मयंक रागिनी को उसकी ग़लतफहमी से बाहर निकालने के लिए राघव की डायरी में लिखी राघव की फीलिंग्स उसे दिखा देता है। इधर अंजलि को जब रागिनी की फीलिंग्स और मयंक की उन्हें मिलाने की कोशिश का पता चलता है तो वो खुद भी इन दोनों को मिलवाने की कोशिश में लग जाती है। अंजलि मयंक से उनकी मीटिंग के लिए बात करती है और दोनों वापिस कैंटीन में आकर अपने-अपने दोस्तों के साथ बैठ जाते हैं। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-

मयंक के बैठते ही शुभम ने कहा क्या कहा भाभी ने ? मयंक मुस्कुरा गया और कहने लगा कुछ नहीं कहा ? नितिन ने कहा क्या ? ? ? कुछ भी नहीं कहा ? लेकिन उन्होंने तो कहा था कि कुछ बात करनी है ? राघव ने कहा मयंक सब ठीक है ना ? मयंक ने कहा हाँ मेरे यार सब ठीक है और जो ठीक नहीं है, वो भी ठीक होने वाला है। क्या पहेलियाँ बुझा रहे हो, इस बार शुभम ने सीरियस होकर कहा था ? मयंक ने कहा कुछ नहीं उसने कहा है कि उसकी मम्मी ने कल उसके लिए मंदिर में कोई पूजा रखी है और............तुझे वहाँ जाना है शुभम ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा। मयंक ने कहा हाँ लेकिन उसने तुम सबको भी बुलाया है। शुभम खुश होकर हाय कितनी प्यारी है मेरी भाभी, हम दोस्तों को अलग नहीं करना चाहती। नितिन ने कहा तो कल कॉलेज की छुट्टी ? ? ? राघव ने कहा तुम लोग चले जाना मैं नहीं आ पाऊंगा ? क्यों सभी ने उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा। उसने कहा मैं कॉलेज आ जाऊँगा तुम सब के लिए नोट्स बना लूँगा। वैसे भी मुझे पूजा पाठ में कोई रूचि नहीं है। मयंक ने कहा तेरे बिना तो फिर मैं भी नहीं जाऊँगा। राघव ने कहा क्यों भाई मैं क्या तेरी गर्लफ्रेंड हूँ जो तू मेरे बिना कहीं नहीं जाएगा ? मयंक ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दिया। काफी देर तक राघव को मनाना पड़ा और आखिरकार वो साथ चलने के लिए तैयार हो गया। मयंक ने मन ही मन कहा धन्यवाद प्रभु ये राघव भी बड़ी ही टेढ़ी खीर है।

ॉदूसरी तरफ अंजलि ने रागिनी से कहा मैडम कल आपको अपने प्यार का इजहार करना है। अच्छे से तैयारी कर लेना, कल लड़का क्लीन बोल्ड हो जाना चाहिए। रागिनी ने कहा लेकिन वो कैसे ? अंजलि ने कहा कल तुम दोनों की मीटिंग करवा रहे हैं हम। हम कौन .......रिया ने अंजलि की तरफ देखते हुए कहा। अरे मैं और मयंक..........क्योंकि मयंक को इस बारे में पता था तो इसलिए मैंने उसकी हेल्प ली है। कल वो राघव को लेकर आ जायेगा और फिर तुम उससे अपने दिल की बात कह देना। रागिनी ने पलट कर राघव की तरफ देखा लेकिन तब तक वो चारों वहाँ से जा चुके थे। अंजलि ने कहा कल तेरे सामने होगा तब जी भर के देख लेना। अभी चलते हैं और टाइम और जगह मैं फ़ोन करके बताती हूँ।

नाज़िया ने कहा अंजलि क्या प्यार सच में होता है ? अंजलि ने मुस्कुरा कर कहा हाँ बिलकुल होता है लेकिन हासिल होगा या नहीं ये पता नहीं होता। रागिनी ने उदास होते हुए कहा अगर उसने मना कर दिया तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे बहुत बुरा लगेगा। अंजलि ने कहा मना और हाँ ये बाद में देखा जायेगा अभी मिशन सिर्फ इतना है “प्यार का इजहार”। रिया ने कहा रागिनी तू कल उसके सामने कह पाएगी ना कि तू उससे सच्चा प्यार करती है ? रागिनी ने मुस्कुराते हुए कहा वो तो उसके सामने जाने के बाद ही पता लगेगा। अंजलि को कहीं खोया देख नाज़िया ने उससे कहा चलें घर भी जाना है। अंजलि और नाज़िया ऑटो में एक साथ निकल गए। रागिनी और रिया भी बस में चढ़े और एक साथ अपने घर के लिए निकल गए। अंजलि ने नाज़िया को उसके घर के बाहर छोड़ा और ऑटो अंजलि के घर की तरफ बढ़ चला था। अंजलि ने अपने बैग से अपना मोबाइल फ़ोन निकाला और थोड़ी देर सोचने के बाद मयंक को फ़ोन करने लगी।

मयंक ने फ़ोन देखा और खुश हो गया। उसने फ़ोन उठाया और कहा हेलो! क्या प्लान किया है, दूसरी तरफ से अंजलि ने पूछा ? ?......मयंक ने कहा मैं अभी घर नहीं पहुँचा हूँ। घर पहुँच कर कॉल करता हूँ। अंजलि ने कहा ओके थोड़ा जल्दी करना क्योंकि मुझे रागिनी को इन्फॉर्म भी करना है। मयंक ने कहा ओके। राघव और मयंक बाइक पर थे। राघव ने मयंक को मुस्कुराते हुए देखा तो पूछ बैठा अंजलि का फ़ोन था ? हाँ कहकर मयंक बाइक चलाने लगा और जल्दी ही उसने राघव को उसके घर के पास छोड़ दिया और खुद अपने घर की तरफ बढ़ गया था। मयंक सोच रहा था कि राघव और रागिनी को मिलवाने के लिए इतनी मेहनत कर रही है। इसका मतलब अंजलि प्यार में बिलीव तो करती है। तभी उसे अंजलि की आज की बातें याद आई तो मयंक एक बार फर हँस पड़ा था। उसने खुद से ही कहा मयंक इतनी आसानी से आई लव यू बोलने वालों में से नहीं है। बेटा तुझे बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। उसका प्यार पाना इतना आसान नहीं होगा। अपनी इन्ही उधेड़बुन में वो अपने घर पहुँच चुका था।

घर पहुँच कर उसने देखा अभी उसकी मॉम क्लीनिक से नहीं आई थी और पापा तो वैसे भी रात को ही आयेंगे। उसने बसंत काका से कहा काका एक कप कॉफ़ी चाहिए ? काका ने कहा अभी लाया मालिक। बसंत काका के इतना कहते ही मयंक ने कहा नहीं चाहिए। काका मुड़े और मुस्कुरा दिए, अच्छा बेटा अभी कॉफ़ी लेकर आता हूँ। ये हुई ना बात मयंक ने मुस्करा कर कहा। जाइये अब जल्दी लेकर आइये और काका कुछ खाने के लिए भी ले आना। काका के नीचे जाते ही मयंक ने अंजलि को फ़ोन मिलाया लेकिन अंजलि ने फ़ोन काट दिया। मयंक को थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने फिर से कॉल किया। अंजलि ने फिर से फ़ोन काट दिया तो मयंक को बेचैनी सी होने लगी थी। तभी उसके फ़ोन पर एक मेसेज आया उसने देखा तो हँसने लगा था। उसने उस मेसेज को कई बार पढ़ा और हर बार हँस पड़ता था। तभी काका वहाँ कॉफ़ी और कुछ खाने का सामान लेकर आ गए। मयंक ने कहा काका क्या मेरी शक्ल बंदर जैसी है ? काका ने सुना तो बोले नहीं बेटा आप तो बिलकुल फिल्म के हीरो जैसे लगते हो। मयंक ने कहा अच्छा काका आप जाइये और गेट बंद कर दीजिये।

मयंक ने कॉफ़ी उठाई और जैसे ही पीने लगा उसके फ़ोन पर फिर से एक मेसेज आया। उसने देखा इस बार लिखा था कॉल मी! मयंक ने कॉफ़ी साइड में रख दी और फ़ोन मिला दिया। अंजलि ने तुरंत ही फ़ोन उठा लिया तो मयंक ने कहा हाय नकचढ़ी बिल्ली! अंजलि ने सुना तो बोली शट अप! मयंक ने कहा अच्छा अपनी बारी में शट अप मुझे अभी क्या मेसेज भेजा ? अंजलि ने कहा तो वो तो तुम हो ना ? अंजलि मुस्कराते हुए कहने लगी माँ ने कहा था कि बंदर को बंदर कहो तो वो चिढ़ जाता है बिलकुल तुम्हारी तरह। मयंक ने कहा अच्छा मेरी मॉम ने बताया था कि नकचढ़ी बिल्ली कहने से कोई सारा दिन मुंह फुला कर रखता था।

अंजलि को तो ऐसा कुछ याद नहीं था तो उसने कहा अच्छा ठीक है अब काम की बात करो। क्या प्लान बनाया कल का ? मयंक ने उसे जो प्लान बनाया था वो सारा वैसा का वैसा उसे बता दिया और पूछने लगा तो कैसा लगा मेरा प्लान ? एकदम घटिया, बंदर ही हो तुम सच में। अब मैं कौन सी पूजा कहाँ से करवाऊंगी। तुम्हें जरा भी अक्ल है कम से कम मुझसे पूछ तो लेते, अब मैं क्या करूँ ? मयंक ने कहा अरे रुको मेरी पूरी बात तो सुनो। अंजलि ने कहा अभी कुछ रह गया क्या इस घटिया प्लान में ?

मयंक ने कहा मैंने उन्हें तुम्हारे घर पर नहीं बल्कि एक मंदिर में बुलाया है। उस मंदिर के पीछे पार्क है तो वहाँ इन दोनों की मीटिंग करवा देंगे। अंजलि ने सुना तो कहने लगी पहले क्यों नहीं बताया ? तुमने तो मेरा दिमाग ख़राब कर दिया था। मयंक ने कहा अभी दिमाग ठीक है ? अंजलि ने कहा क्या मतलब ? नहीं वो तुम्हारा दिमाग जल्दी ख़राब हो जाता है ना ? मयंक ने गुस्से में कहा था। अच्छा मैं फ़ोन रखता हूँ। बाय बोलकर मयंक ने फ़ोन काट दिया और खुद से ही कहने लगा क्या लड़की है ये जब देखो गुस्सा। तभी उसका फ़ोन फिर से बजा उसने देखा स्क्रीन पर अंजलि का नाम शो हो रहा है। उसने गुस्से में फ़ोन उठाया और कहा अब क्या है ? अंजलि ने कहा कुछ नहीं वो तुमने टाइम तो बताया नहीं ? सुबह 10 बजे और कुछ मयंक ने गुस्से में कहा ? अंजलि ने कहा नहीं बंदर महाराज बस तुम्हारी इतनी कृपा ही काफी है बाकी काम मैं खुद ही कर लूँगी। बाय बोलकर अंजलि ने फ़ोन रख दिया।

मयंक ने देखा उसकी कॉफ़ी भी ठंडी हो गयी है। वो गुस्से में चुपचाप बिस्तर पर लेट गया था। खुद से ही बातें करते हुए कहने लगा ये सच में नकचढ़ी है, सही नाम रखा था मैंने इसका। लेटे हुए उसे कब नींद आ गयी पता ही नहीं लगा। उधर अंजलि कल के लिए सब कुछ प्लान करने लगी थी। जिस मंदिर की बात मयंक ने की थी वो अंजलि के घर से करीब 15 मिनट की दूरी पर था। अंजलि ने किसी को फ़ोन किया और उसे कुछ चीजें अरेंज करने को कहा और कल सुबह 8 बजे तक उसी मन्दिर के बाहर उसे मिलने के लिए कहा। उसने रागिनी को उसके घर लैंडलाइन पर फ़ोन किया तो फ़ोन उसकी भाभी ने उठाया हेलो कौन बोल रहा है ? अंजलि बात कर रही हूँ रागिनी से बात करनी थी ? तभी रागिनी भी वहाँ आ गयी उसकी भाभी ने रिसीवर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा ये लो किसी अंजलि का फ़ोन है। हेलो अंजलि, हाँ सुन रागिनी तुझे मेरे घर के पास एक काफी बड़ा शिव मंदिर है, सुबह 10 बजे वहीं पहुँचना होगा। रागिनी ने कहा ओके लेकिन अंजलि मुझे थोड़ी घबराहट हो रही है। अंजलि ने कहा अरे यार जब प्यार किया तो डरना क्या ? चल बाय बड़ी तैयारी करनी है मुझे कल के लिए और तू लेट मत हो जाना।

अंजलि ने फ़ोन रखा और मन ही मन प्रार्थना करने लगी कि सब ठीक से हो जाये। राघव और रागिनी को एक साथ सोचकर उसने कहा कूल जोड़ी होगी दोनों की। तभी नैना जी ने डिनर के लिए आवाज दी। नैना को इतना खुश देखकर अमिताभ जी ने कहा और नैना कैसा रहा आज का दिन ? आज किसी से कोई झगड़ा तो नहीं किया ? झगड़ा किया न, उसके बिना तो मैं रह ही नहीं सकती, अंजलि ने बड़े आराम से खाते हुए कहा। नैना जी और अमिताभ जी अंजलि को घूरने लगे तो उसने कहा अरे रिलैक्स उस बंदर से झगड़ा किया और किसी से नहीं। नैना जी ने कहा अंजलि तुम मयंक की बात कर रही हो ? और किसकी वही तो बंदर है। अमिताभ जी ने कहा बेटा बुरी बात ऐसे नहीं बुलाना उसे अब तुम दोनों बड़े हो गये हो। अंजलि ने अमिताभ जी की तरफ देखा और कहा और अगर वो मुझे नकचढ़ी बिल्ली कहेगा तो मैं भी उसे बंदर ही कहूँगी, समझे आप। नैना जी ने कहा क्या उसने तुन्हें ऐसा कहा क्या ? और नहीं तो क्या ? कहकर भाग भी गया वहाँ से।अमिताभ जी और नैना जी एक-दूसरे की तरफ देख मुस्कुराने लगे थे तो अंजलि ने कहा क्या ऐसे क्यूँ मुस्कुराया जा रहा है ? कुछ नहीं बेटा बस कुछ याद आ गया था, चलो तुम जल्दी खाना खाओ। अंजलि ने खाना खाया और जाने लगी तो कहा माँ कल सुबह मुझे जल्दी जाना है। नैना जी ने कहा क्या मतलब जल्दी क्यों ? वो माँ कल मुझे शिव मन्दिर जाना है। बस और सवाल नहीं मुझे नींद आ रही है, गुड नाईट कहकर अंजलि सीढियां चढ़ती हुई ऊपर चली गयी थी।

अपने कमरे में पहुँच अंजलि ने अपनी डायरी और पेन उठाये और आकर बालकनी में बैठ गयी थी। उसने आसमान की तरफ देखते हुए कहा हाय कितना प्यारा आसमान मगर इस पूरे आसमान में मेरा चाँद अधूरा-सा क्यों है ? वो मुस्कुराई और करने लगी आज चाँद से ही कुछ सवाल:-

मुमकिन हो अगर तो तुझे छू जाना चाहती हूँ,

बन चाँदनी तेरी कुछ पल इतराना चाहती हूँ,

फलक का चाँद भी तन्हा है ये जानती हूँ मैं,

हो इजाज़त ये अकेलापन मिटाना चाहती हूँ।

मुमकिन हो अगर तो तुझे छू जाना चाहती हूँ।

यूँ बादलों के बीच तू जब-जब चमकता है,

हो बेताब मेरा दिल ना जाने क्यूँ धड़कता है,

कर तदबीर अब कोई छुपा मेरा चाँद है कहीं,

सदा-ए-दिल है उसे अब ढूँढ लाना चाहती हूँ।

मुमकिन हो अगर तो तुझे छू जाना चाहती हूँ।

ये धड़कन मेरी अब मेरे ही इख़्तियार में नहीं है,

सब कहते हैं जहाँ में वो सच्चा प्यार अब नहीं है,

रेगज़ार भी हो जाये दिल पर तिश्नगी तो रहती हैं,

लिख नई इबारत इस दिल को जगाना चाहती हूँ।

मुमकिन हो अगर तो तुझे छू जाना चाहती हूँ।

जरुरी आज फिर से दो दिलों का मिलना देखा है,

प्यार के लिए फिर से किसी का खिलना देखा है,

उनके दिल-ए-जज्बात उनके ही रूबरू रखकर,

उनके होठों पर नगमें प्यार के सजाना चाहती हूँ।

मुमकिन हो अगर तो तुझे छू जाना चाहती हूँ।

कितना मुश्किल ना जाने ये इजहारे इश्क होगा,

उनका मिलना यक़ीनन उस खुदा ने लिखा होगा,

किसी की आँखों में इक पल हमने भी यही देखा,

उन आँखों के वो सपने खुद से मिलाना चाहती हूँ।

मुमकिन हो अगर तो तुझे छू जाना चाहती हूँ।

अंजलि ने डायरी बंद की और दोबारा आसमां की तरफ देखा और सल्यूट करते हुए कहा तो चाँद जी गुड नाईट हम तो चले सोने, आप भी सो जाइए। कल हमें बहुत काम है। अंजलि अपने बिस्तर पर जाकर धम्म से गिरी और सो गयी।

दूसरी तरफ मयंक नींद से उठ बैठा और अपने इधर-उधर देखने लगा। उसने देखा अंजलि उसकी कॉफ़ी लेकर बालकनी में खड़ी है। वो उठा और उस तरफ आया। क्या देख रही हो और ये कॉफ़ी तो ठंडी हो गयी थी ? कोई जवाब न मिलने पर मयंक कुछ बडबडाया और अंजलि ने कहा डरते हो मुझसे ? नहीं तो......मयंक ने तपाक से कहा। तो फिर ये गाल पर हाथ क्यों लगा रखा है ? मयंक ने देखा तो अपना हाथ अपने गाल से हटा लिया था। अंजलि मुस्कुराई और कहने लगी बुरा सपना देखा क्या ? हाँ मयंक ने धीरे-से कहा तुमने सपने में मुझे थप्पड़ मार दिया। अंजलि ने हैरान होते हुए कहा मैंने थप्पड़ मार दिया लेकिन क्यों ? मयंक ने अपनी नज़रे चुराते हुए कहा क्योंकि मैंने तुम्हें वो.......................क्या वो अंजलि ने जोर से कहा तो मयंक ने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा चिल्ला क्यों रही हो मॉम आ जाएँगी ? तो मैं क्या करूँ तुम पहले ये बताओ क्या किया तुमने सपने में जो मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा ? अंजलि कॉफ़ी कर कप साइड में रख अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखकर मयंक को घूरने लगी थी। मयंक ने कहा वो मैं.................अंजलि मयंक को ऐसे डरते हुए देख हँसने लगी और कहने लगी कितने बड़े डरपोक हो तुम, हद है यार! तभी मयंक ने आगे बढ़कर अंजलि के गालों पर किस कर लिया और कहा ये किया था मैंने और इसलिए तुमने मुझे थप्पड़ मार दिया था। अंजलि ने मयंक को घूरकर देखा और कहा क्या घूर रही हो डरता नहीं हूँ मैं ? तभी एक थप्पड़ फिर लगा और इस बार मयंक सच में नींद से जागा था। उसने देखा बालकनी में कोई नहीं है और उसकी कॉफ़ी वहीं रखी है। फिर उसने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के 6 बज रहे थे। उसने खुद से ही कहा बेटा मयंक ये लड़की तो सपने में भी थप्पड़ मारती ही दिखाई देती है। अब भी वक़्त है सोच ले जरा। लेकिन अगले ही पल वो मुस्कुरा उठा था क्योंकि उसने सपने में अंजलि को किस कर दिया था और ये सोच कर वो खुद ही शरमा रहा था।

मयंक आकर बालकनी में खड़ा हुआ और राघव को फ़ोन किया। उसे पता है राघव सुबह जल्दी उठा जाता है। हेलो मयंक सब ठीक है इतनी सुबह-सुबह फ़ोन, तू ठीक तो है ना ? हाँ यार ठीक हूँ मैं तू मंदिर कब तक पहुंचेगा ? 10 बजे बोला था तूने तो तभी पहुँच जाऊंगा, वैसे सच बताऊँ मेरा मन नहीं है। मयंक ने कहा क्यों ? क्योंकि वहाँ वो भी होगी ? कौन वो ?...........मयंक जानता था लेकिन वो जानबूझकर राघव का दिल टटोल रहा था। रागिनी.............राघव ने कहा तो मयंक ने कहा तुझे उससे क्या प्रॉब्लम है ? तू तो उसे पसंद करता है फिर उसके आने से तो तुझे खुश होना चाहिए। राघव ने कहा नहीं यार खुद के दिल पर काबू पाना आसान काम नहीं है। मैं नहीं चाहता मेरी पसंद मेरी चाहत में बदल जाए। कुछ नहीं दे पाऊँगा मैं उसे सिवाय परेशानियों के।

मयंक ने कहा तू पागल है तेरे हालात सदा ऐसे ही थोड़े रहने वाले हैं। पढ़ाई पूरी होते ही जैसे ही कोई अच्छी नौकरी मिलेगी ये हालात बेहतर हो जायेंगे। रागिनी अच्छी लड़की है और तुझे बहुत चाहती है। राघव एक पल को चुप हो गया और फिर कहने लगा यार मेरे हालात जानने के बाद अगर उसने मुझे मना कर दिया तो मुझे बहुत बुरा लगेगा। मयंक ने कहा जो प्यार करते हैं वो हर हालत में साथ निभाते हैं। तू उसे अपने हालात बता अगर वो समझती है तो तुझे ये भी पता लग जायेगा कि उसका प्यार सच्चा है या नहीं। सच्चा प्यार करती होगी तो तेरा हाथ थाम लेगी और अगर नहीं तो फिर तुझे कम से कम ये अफ़सोस तो नहीं रहेगा कि तूने उसे अपने दिल का हाल कहा ही नहीं। राघव को मयंक की बात कुछ ठीक लगी तो कहने लगा लेकिन मैं उससे कब कहूँगा। वैसे भी वो मुझसे नाराज़ है मेरी तरफ देखती भी नहीं है। मयंक ने कहा वो सब तू मुझ पर छोड़ दे लेकिन जैसे ही रागिनी तुझे दिखे उससे अपने दिल का हाल कह देना। राघव ने कहा ह्म्म्म.....क्या सच में कह दूँ ? मयंक ने कहा हाँ मेरे यार दिल की बात कहने में कभी देर नहीं करनी चाहिए।

राघव ने कहा वैसे मेरे लव गुरु आप ये शुभ काम कब करने वाले हैं ? आई मीन आप अपने दिल की बात अपनी “वो तुम हो” को कब बताएँगे ? मयंक मुस्कुराया और कहने लगा शायद मुझे उसे कुछ कहना ही ना पड़े। क्यों भाई बिना कहे कैसे जानेगी ? मुझे लगता है वो जानती है, उसकी आँखें मुझसे हर बार कुछ कहती हैं। राघव ने कहा भाई आँखों के चक्कर में मत रहना, शब्दों का सहारा लेकर बात कर ले। या तो वो तुझे पीट देगी या फिर तुझ पर अपना दिल हार देगी। राघव हँसा और कहने लगा वैसे अंजलि बहुत अच्छी है, आई मीन गुस्सैल है लेकिन और लड़कियों से काफी अलग है। मयंक ने कहा रागिनी पर ध्यान दे, मेरी वाली तेरी भाभी है। राघव हँसा और कहने लगा इतनी जलन, बेटा तू तो बड़े गहरे पहुँच चुका है।

मयंक ने कहा गहरे वो मुझे हर जगह दिखाई देती है। आज तो उसने सपने में ही मेरे गाल पर एक थप्पड़ चिपका दिया था। राघव बहुत जोर से हँसा और कहने लगा क्या किया था तूने, कहीं किस-विस तो नहीं कर ली थी ? मयंक ने सुना तो मुस्कुरा गया और कहने लगा चल ठीक है राघव तू मुझे उसी बुक शॉप के पास मिल जाना, मैं वहीं से तुझे पिक कर लूँगा। मंदिर हम दोनों साथ ही चलेंगे। ठीक है कहकर राघव ने फ़ोन रख दिया था। मयंक ने कहा आज तो राघव और रागिनी का मामला सेट हो जाना चाहिए फिर मेरी बारी होगी।

“इश्क के दरिया में उतर चुका हूँ बड़े गहरे,

वापसी का रास्ता अब तय नहीं कर पाऊँगा,

उनकी चाहतों में डूब जाने की है मेरी तमन्ना,

कि पूरी ना हुई तो मुमकिन है मैं मर जाऊँगा।”

क्रमश:


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