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Meena Singh "Meen"

Romance

4  

Meena Singh "Meen"

Romance

वो तुम हो (पार्ट-6)

वो तुम हो (पार्ट-6)

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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि एक तरफ मयंक की चाहत हर बीतते पल के साथ बढती ही जा रही थी। वो अंजलि को अपने आस–पास महसूस करने लगा था लेकिन अंजलि अभी इस एहसास से बिलकुल बेखबर थी। राघव भी रागिनी के बारे में सोचने लगा था लेकिन उसके हालात उसकी सोच पर विराम लगा दिया करते थे। रागिनी थोड़ा दुखी थी लेकिन राघव की तरफ ध्यान देना उसने छोड़ दिया था। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-

राघव, नितिन और शुभम, मयंक के पापा के ऑफिस में होने वाली पार्टी में पहुँच चुके थे। मयंक को वहाँ न देख राघव ने उसे फ़ोन किया। मयंक ने कहा बस 10 मिनट में वो पहुँच जायेगा। राघव ने जैसे ही फ़ोन रखा उसकी नज़र एक लड़की पर गई। नितिन ने उसे यूँ देखते हुए देखा तो कहा किसे देख रहा है? यार ऐसा लगा मैंने अंजलि को वहाँ देखा? क्या शुभम और नितिन भी उधर देखने लगे, और उन्होंने देखा वहाँ सच में अंजलि ही खड़ी थी। अंजलि को वहाँ देख वो तीनों खुश हो गए थे लेकिन उन्होंने एक-दूसरे से कहा मयंक को सरप्राइज देंगे। उधर अंजलि अपने पापा से कह रही थी पापा आप मुझे यहाँ क्यों लाये, कितनी बोरिंग पार्टी है? अमिताभ जी ने कहा बेटा मेरे दोस्त ने तुम्हें बहुत छोटे में देखा था और उसी ने बहुत जिद की आज की पार्टी में मैं तुम्हारी माँ और तुम्हें लेकर आऊँ। अंजलि ने कहा माँ को देखो क्या मजे से बात कर रही है अपनी सहेली से, और आप भी अभी अपने दोस्त के साथ बिजी हो जाना। मैं पागलों की तरह यहाँ बस बोर होती रहूंगी। अमिताभ जी ने कहा नहीं बेटा अपने दोस्त से नहीं मिलोगी? अंजलि ने कहा कौन-सा दोस्त? तभी अर्जुन जी वहाँ आ गए और उन्होंने कहा हेलो माय डिअर फ्रेंड कैसा है तू?


दोनों दोस्त काफी समय बाद मिले थे तो बस गले लगे तो अलग ही नहीं हुए, और अंजलि मुंह फाड़े ये भारत-मिलाप देख रही थी। आखिरकार दोनों अलग हुए और अर्जुन जी का ध्यान अंजलि पर गया तो उन्होंने कहा ये..............??????? अमिताभ जी ने कहा ये पहचानो कौन? अर्जुन जी ने उसे देखा और उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा ये हमारी शैतान गुड़िया अंजलि है। अर्जुन जी और अमिताभ जी हँस पड़े लेकिन अंजलि हैरान हो रही थी। अर्जुन जी ने कहा अंजलि ने मुझे पहचाना नहीं? अंजलि अमिताभ जी की तरफ देखने लगी थी। अमिताभ जी ने कहा कैसे पहचानेगी मात्र पाँच साल की थी ये और उसके बाद तू मिला ही कहाँ हमसे, बिज़नेस के चक्कर में ऐसा बिजी हुआ कि तूने तो पलट कर देखा ही नहीं। अर्जुन जी की आँखें थोड़ी नम हो चुकी थी उसने कहा माफ़ करना यार लेकिन कामयाबी इंसान से बहुत कुछ छीन भी लेती है। अर्जुन जी ने कहा लेकिन तुझे याद हमेशा किया है मैंने, तेरे जैसा दूसरा दोस्त मिला ही नहीं।

अमिताभ जी ने कहा मैंने भी तुझे बहुत मिस किया है। जब तेरा फ़ोन आया तो मैं तुझे बता नहीं सकता मुझे कितनी ख़ुशी हुई थी। अंजलि अब भी हैरान खड़ी थी। तभी उसकी माँ नैना जी अनुराधा जी के साथ वहाँ आई और उन्होंने अंजलि से कहा बेटा इधर आओ ये अनुराधा आंटी हैं नमस्ते करो। अंजलि ने उन्हें नमस्ते किया बेचारी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये मैं किन रिश्तेदारों से मिल रही हूँ। अनुराधा जी ने अपनी आँख से काजल निकाल कर अंजलि के कान के पीछे लगाते हुए कहा बहुत सुंदर है हमारी गुड़िया किसी की नज़र नहीं लगे। अंजलि बस मुस्कुरा दी थी लेकिन दिमाग पर बहुत जोर डालने के बाद भी उसे ये लोग याद नहीं आये थे।


अंजलि ने देखा कि उसके डैड अपने दोस्त के साथ बातें कर रहे हैं और उसकी मॉम भी अपनी फ्रेंड के साथ बिजी हैं। वो चुपचाप खड़ी कभी अपने डैड और कभी अपनी मॉम को देख रही थी जो अंजलि को लगभग भूल ही गये थे। उधर मयंक जैसे ही पार्टी में पहुँचा राघव और नितिन ने उसे कहा यार कितनी देर लगा दी? कब से वेट कर रहे हैं और तभी शुभम ने बीच में ही कूदते हुए कहा भाई तेरे लिए सरप्राइज है? कैसा सरप्राइज मयंक ने कहा तो तीनों ने ऊँगली के इशारे से उसे अंजलि को दिखाया। मयंक ने देखा तो उसके कदम अनायास ही अंजलि की तरफ बढ़ चले थे। अंजलि ने आज पीले रंग का पटियाला सूट पहना था, बालों की गुथ बनाई हुई थी, एक हाथ में प्लैटिनम की घड़ी और दूसरे हाथ में एक ब्रेसलेट पहना हुआ था। मेकअप के नाम पर उसकी आँखों में काजल, होठों पर हलकी लिपस्टिक और माथे पर एक छोटी सी काली बिंदी थी जो कि उसकी मॉम ने जबरदस्ती लगा ली थी। लेकिन अंजलि बहुत खूबसूरत बिलकुल एक पंजाबी कुड़ी लग रही थी। मयंक जैसे ही उसके नजदीक पहुँचा तो बस उसे देखता ही रह गया था लेकिन अगले ही पल उसने सोचा ये कोई भ्रम है ये अभी गायब हो जाएगी।

मयंक अपनी सोचो में गुम वहीं खड़ा था तभी अनुराधा जी ने उसे आवाज दी और मयंक उधर जाने लगा। उसने पलट कर देखा तो अंजलि अब वहाँ नहीं थी। उसने मन ही मन कहा पता था मुझे ये अंजलि नहीं है मेरा भ्रम है। लेकिन जैसे ही वह अनुराधा जी के पास पहुँचा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया। अनुराधा जी के साथ अंजलि खड़ी थी। अनुराधा जी ने कहा बेटा कहाँ रह गया था? मयंक ने कोई जवाब नहीं दिया था। अनुराधा जी ने कहा इनसे मिलो ये तुम्हारी नैना आंटी याद है ना? मयंक अब भी उसी अवस्था में खड़ा था। अनुराधा जी ने उसके कंधे पर हाथ मारते हुए कहा कहाँ खोया हुआ है? मयंक ने कहा कहीं नहीं मॉम बस उसने झुककर नैना जी के पैर छुए और कहा आप कैसी है आंटी? मयंक मन ही मन बडबडा रहा था तू पागल हो गया है हर जगह वो ही दिखाई दे रही है। तभी अनुराधा जी ने कहा और मयंक इससे मिल ये याद है तुझे तेरी नकचढ़ी बिल्ली, यही कहता था ना तू अंजलि को? नैना जी ने हँसते हुए कहा कितना लड़ते थे ये दोनों और अंजलि तो इसे बंदर कहकर बुलाया करती थी। मयंक ने कहा मतलब ये सच में सामने खड़ी है? अनुराधा जी ने उसे आँखें दिखाते हुए कहा क्या मतलब है तेरा? तभी अंजलि ने कहा हेलो मयंक! अब चौंकने की बारी अनुराधा जी और नैना जी की थी, वो दोनों कभी अंजलि और कभी मयंक की तरफ देखने लगे थे। मयंक भी अंजलि की आवाज से जैसे किसी नींद से जागा था। उसने देखा अंजलि ने हेल्लो करने के लिए हाथ आगे किया हुआ था। मयंक ने भी हाथ आगे बढाया और उसके हाथों में इस वक़्त अंजलि का हाथ था। उसे अब जाकर यकीन हुआ कि अंजलि सच में उसके सामने खड़ी है।


नैना जी ने कहा "तुम दोनों एक-दूसरे को कैसे पहचानते हो?" अंजलि ने कहा "माँ हम एक ही कॉलेज में हैं!" अनुराधा जी ने सुना तो वो बहुत खुश हुई और उन्हें समझते देर नहीं लगी कि ये उनके बेटे की “वो तुम हो ” वाली मोहब्बत है। मयंक ने अपनी मॉम की तरफ देखा और कहा "मॉम एक मिनट मुझे आपसे कुछ बात करनी है!" अनुराधा जी ने कहा "नैना मैं बस 2 मिनट में आती हूँ।" मयंक ने उन्हें थोड़ी दूर ले जाकर कहा "माँ ये अंजलि वो बचपन वाली अंजलि है वही नकचढ़ी बिल्ली?" अनुराधा जी ने कहा "हाँ बेटा तुझे याद है?" मयंक ने कहा "तभी उससे मिलकर हर बार ऐसा लगता था कि मैं उसे जानता हूँ और पहले भी मिल चुका हूँ।" अनुराधा जी ने कहा "अच्छा चल अभी तू उससे बात कर बाकी बातें हम घर जाकर करेंगे।" मयंक ने अंजलि से कहा "हे अंजलि अगर बोर हो रही हो तो मेरे साथ आओ वहाँ नितिन, राघव और शुभम भी हैं। तुमसे मिलकर सभी खुश होंगे। आखिर सभी तुम्हारे फैन हो चुके हैं।" अंजलि ने एक नज़र नैना जी की तरफ देखा तो उन्होंने उसे कहा "जाओ बेटा बातें करो मिलो सबसे, हमेशा बस अकेले ही रहती है।"


अंजलि मयंक के साथ वहाँ आई तो नितिन, शुभम और राघव सभी हैरान होकर देखने लगे थे। मयंक और अंजलि को एक साथ देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो एक-दूसरे के लिए ही बने हो। राघव ने नितिन के कान में कहा यार परफेक्ट कपल है। नितिन मुस्कुराया और कहा हाँ यार क्या मस्त जोड़ी है। मयंक ने कहा इन सबको तुम पहचानती हो? अंजलि ने कहा हाँ ये राघव है और ये नितिन और ये शुभम। वो चारों हैरान थे कि अंजलि ने कभी उनसे ढंग से बात तक नहीं की लेकिन उसे सबके नाम अच्छे से पता थे। उन सभी ने साथ मिलकर खाना खाया और अंजलि काफी चुपचाप थी। मयंक ने कहा तुम हमेशा ही इतना चुप रहती हो? अंजलि ने कहा हाँ मुझे ज्यादा बात करना पसंद नहीं है। मयंक ने कहा लेकिन मुझे तो बचपन का जो थोड़ा-बहुत याद है उसके हिसाब से तो तुम हर समय बोलती रहती थी। अंजलि ने सुना तो मयंक की तरफ देखने लगी थी। दोनों की आँखें आपस में टकराई थी जैसे अंजलि पूछ रही हो कि तुम तो मुझे याद नहीं फिर मैं तुम्हें कैसे याद हूँ?


उसी पल मयंक अंजलि की आँखों का खालीपन देख ये सोच रहा था आखिर इतना दर्द क्यों है इसकी आँखों में? राघव, नितिन और शुभम अपना खाना छोड़ उन दोनों को एक-दूसरे में खोया देख खुश हो रहे थे। तभी अमिताभ जी की आवाज से अंजलि का ध्यान उधर गया। उनकी वापसी की तैयारी हो चुकी थी। अर्जुन जी ने कहा यार किसी दिन घर पर आ सबको लेकर, आराम से बैठकर पुरानी यादें ताजा करेंगे। तभी नैना जी ने कहा भाईसाहब इस बार आप और अनुराधा, मयंक को भी लेकर हमारे घर आइये, हमें अच्छा लगेगा। अर्जुन जी ने कहा ठीक है भाभी जी आप बुलाये और हम ना आये ऐसा तो हो ही नहीं सकता। सभी खिलखिलाकर हँस पड़े थे। अंजलि भी धीरे से मुस्कुरा दी थी। मयंक का ध्यान तो अब भी अंजलि की आँखों पर था , वो काजल से सजी आँखें खूबसरत होने के बावजूद अपने अंदर कोई तकलीफ छुपाये हुए थी। मयंक की बेचैनी अब फिर से बढ़ने लगी थी वजह शायद अंजलि एक बार फिर उससे दूर जा रही थी या फिर अंजलि की आँखों का वो खालीपन उसके दिल को बेचैन कर रहा था।


अंजलि अपने घर पहुँच चुकी थी और मयंक भी अपने कमरे की बालकनी में जाकर खड़ा हो गया था। वो लगातार अंजलि के बारे में सोच रहा था। तभी अनुराधा जी उसके पास आई और उन्होंने क्या हुआ तू खुश नहीं है? मैं तो बहुत खुश हूँ, कितनी प्यारी है अंजलि? मेरी तो उस पर से नज़र ही नहीं हट रही थी। मयंक ने सुना तो मुस्कुरा दिया था। अनुराधा जी ने कहा मैं सोच रही हूँ अगली मुलाकात में भाईसाहब और नैना से बात करूँ कि अंजलि को हमारे घर की बहू बना दें। मयंक ने सुना तो चौंक गया और उसने कहा मॉम इतनी भी क्या जल्दी है? वैसे भी मैं अंजलि को अच्छे से जानना चाहता हूँ। मैं उसकी आँखों में बसे उस खालीपन को समझना चाहता हूँ। उससे अपने प्यार का इजहार करना चाहता हूँ। उसकी मर्जी जानना चाहता हूँ। उससे पूछना चाहता हूँ कि जैसे मेरा दिल उसे देखते ही कहता है “वो तुम हो”. क्या उसका दिल भी उसे ऐसे ही कहता है? अनुराधा जी आँखें फाड़कर मयंक की तरफ देख रही थी और उसकी कही बातों को समझने की कोशिश कर रही थी। मयंक ने उन्हें ऐसे देखा तो हँस पड़ा और कहा "मॉम क्या हुआ?"


अनुराधा जी ने एक लम्बी साँस लेकर कहा "कुछ नहीं बेटा मुझे लग रहा है जब तक तू ये सब करेगा कहीं मैं ज्यादा बुड्ढी तो नहीं हो जाऊँगी? वो क्या है ना अपने इकलौते बेटे की शादी में मैं थोड़ा यंग दिखना चाहती थी।" मयंक ने सुना तो हँसते हुए अनुराधा जी के गले लग गया और कहने लगा "माँ आप जानती हो ना, मुझे कैसे मोहब्बत चाहिए?" अनुराधा जी ने अपना सिर पकड़ कर कहा "हाँ जानती हूँ बेटा लेकिन देख ये अपनी प्लानिंग को जल्दी अंजाम दे वरना फिर मैं खुद बात करने पहुँच जाऊँगी।" मयंक अनुराधा जी से कहने लगा "ओके मॉम बस थोड़ा टाइम।" अनुराधा जी ने कहा "हाँ, हाँ ठीक है अब सो जा जाकर।"

अनुराधा जी वहाँ से चली गयी और मयंक भी आकर अपने बिस्तर पर लेट कर अंजलि को याद करनें लगा। उसे रह-रह कर अंजलि की आँखों का खालीपन बेचैन कर रहा था। कुछ सोच कर उसने अंजलि को फ़ोन किया। अंजलि न फ़ोन उठाया हेलो! हेलो कौन बोल रहा है? मयंक ने कहा हेलो अंजलि मैं बात कर रहा हूँ? मैं कौन अंजलि ने तुरंत ही कहा? मैं..मयंक बात कर रहा हूँ। ओह्ह आप कहिये कैसे फ़ोन किया? मयंक ने कहा अंजलि क्या तुम्हें मैं बिलकुल भी याद नहीं? अंजलि ने कहा क्या मतलब? मयंक ने कहा मेरा मतलब हम बचपन में भी मिल चुके हैं क्या तुम्हें ये याद नहीं? अंजलि ने कहा नहीं मुझे तो कुछ याद नहीं है। ये सुनकर मयंक उदास और चुप हो गया था। तभी अंजलि ने कहा क्या हुआ बंदर सो गए क्या? मयंक ने सुना तो मुस्कुरा दिया था, उसने कहा गुड नाईट नकचढ़ी बिल्ली! उधर अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा गुड नाईट!


अंजलि ने अपनी डायरी ली और जाकर अपनी बालकनी में बैठ गयी थी, उसने देखा आसमान में आज पूरा चाँद निकला हुआ था। अंजलि मुस्कुराई और एक नज़र चाँद को देखकर अपनी डायरी में लिखने लगी थी, जो कुछ इस तरह था:-

एक अधूरी-सी ख्वाहिश है दिल में सुनो जरा,

बैठो हो संग हम तकते हो चाँद को इस तरह,

उस चाँदनी रात में बहती हो शीतल मंद हवा,

मेरी जुल्फें लहराएँ तुम संवारो उन्हें जरा-जरा।

एक अधूरी-सी ख्वाहिश है दिल में सुनो जरा!

इक-दूजे की बाँहों में भूल जायें हम ये जहाँ,

चाहते हों, राहते हों, ख्वाहिशों का हो समां,

तुम मेरी आँखों में दिखो, मैं तुम्हारी बातों में,

यूँ ही सिलसिले चाहतों के बढ़ते रहे जरा-जरा।

एक अधूरी-सी ख्वाहिश है दिल में सुनो जरा!

तुम हाथ मेरा थामकर कोई गज़ल गुनगुनाना,

मेरी आँखों में पढ़ मेरा हाले दिल समझ जाना,

मेरी रूह को छू लेना कुछ ऐसा तुम कह जाना,

रूहानी इश्क की हदों से गुज़र जाना जरा-जरा।

एक अधूरी-सी ख्वाहिश है दिल में सुनो जरा!


अगली सुबह अंजलि अपने कमरे से तैयार होकर निकली तो अमिताभ जी ने कहा बेटा कहाँ जा रही हो? कॉलेज पापा अंजलि ने नाश्ते की टेबल पर बैठते हुए कहा। नैना जी ने इशारे से अमिताभ जी को अंजलि को कुछ नहीं कहने की हिदायत दी थी। अमिताभ जी ने कहा बेटा ध्यान से किसी से लड़ना-झगड़ना मत और दूसरों के झगड़ों में मत पड़ना। अंजलि ने कुर्सी से उठते हुए कहा जी पापा, ध्यान रखूंगी। अंजलि चली गयी थी और अमिताभ जी ने नैना जी से कहा मुझे बहुत फिक्र होती है। नैना जी ने कहा फिक्र मत करो मयंक होगा वहाँ, मेरी अनुराधा से बात हुई थी। उसने मुझसे कहा है मयंक अंजलि का ख्याल रखेगा। अमिताभ जी ने सुना तो कहा मयंक अच्छा लड़का है। नैना जी ने कहा लेकिन बड़े होकर दोनों बच्चे कितने शांत स्वाभाव के हो गए हैं। याद है बचपन में कैसे शोर मचाते रहते थे। जब तक सोते नहीं थे घर में शोर मचा रहता था। अपनी अंजलि वो तो मयंक की हर समय बस शिकायत ही किया करती थी।

अमिताभ जी सुनकर मुस्करा रहे थे और याद कर रहे थे अंजलि और मयंक का बचपन और उनकी शरारतें। अमिताभ जी ने कहा नैना जी याद है जब बचपन में अंजलि से कहते थे मयंक से उसकी शादी कर देंगे तो अंजलि कहती थी मैं इसकी दुल्हन बिलकुल भी नहीं बनूँगी। नैना जी ने कहा कितना अच्छा होगा अगर मयंक और अंजलि की....................कहते-कहते नैना जी अमिताभ जी की तरफ देखने लगी थी। अमिताभ जी ने कहा अगर अंजलि को कोई ऐतराज नहीं होगा तभी इस बारे में सोचेंगे। तब तक आप अंजलि से इस बारे में कोई बात नहीं करेंगी। नैना जी ने कहा जैसा आप ठीक समझें, वैसे भी मेरी तो कोई सुनता भी नहीं है, नैना जी ने गुस्से में वहाँ से जाते हुए कहा। अमिताभ जी ने कहा अरे श्रीमती जी हम तो आज भी आपकी ही सुनते हैं। नैना जी जाते-जाते मुस्कुरा दी थी। अमिताभ जी ने कहा ऐसे ही मुस्कराती रहा करे आप हमें बहुत अच्छा लगता है। नैना जी ने सुना तो शरमा गयी थी और कहने लगी आप भी ना..........अमिताभ जी ने कहा हम तो आज भी आपके आशिक हैं और आप हमारी आशिकी। इसी बात पर एक गरमा-गरम चाय हो जाए, अभी लायी कहकर नैना जी रसोई में चली गयी थी।


उधर अंजलि जैसे ही कॉलेज के गेट पर पहुँची तो उसे उस दिन हुई घटना का ध्यान आया। उसने घबराकर अपने चारों तरफ देखा तो उसे सामने से आता हुआ मयंक दिखाई दिया। अंजलि के चेहरे पर खुद-ब-खुद एक मुस्कराहट आ गयी थी। वो मयंक को देखकर भी कॉलेज के अंदर जाने के लिए बढ़ गयी। तभी मयंक पीछे से आया और अंजलि के बिलकुल करीब आकर धीरे-से कहा हाय अंजलि! हाय कहकर अंजलि चलती रही तो मयंक ने एकदम से कहा सुनो तो मुझे कुछ बात करनी थी। लेकिन अंजलि चलती ही जा रही थी, जैसे कि वो जानती हो कि मयंक उससे क्या कहने वाला है? जब अंजलि नहीं रुकी तो मयंक मुस्कुराया और उसने जोर से कहा अरे ओह्ह नकचढ़ी बिल्ली! अंजलि के कदम अचानक ही रुक गए थे। उसने देखा चारों तरफ काफी स्टूडेंट्स थे लेकिन मयंक की आवाज पर किसी ने इतना ध्यान नहीं दिया था। अंजलि ने एक गहरी साँस ली और जैसे ही वो पीछे मुड़ी मयंक वहाँ नहीं था। अंजलि चुपचाप अपनी क्लास की तरफ बढ़ गयी थी। रिया और नाज़िया ने उसे देखते ही हाय कहा था, लेकिन रागिनी ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया था। अंजलि ने रिया से इशारों में पूछा इसे क्या हुआ? रिया ने कहा बाद में बताती हूँ, तू बता तबियत ठीक है तेरी? अंजलि ने कहा हाँ एकदम फिट हूँ।


उधर मयंक एक दीवार के पास खड़ा हँसने में लगा था तभी उसने अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया। उसने पलट कर देखा तो वहाँ राघव, शुभम और नितिन खड़े मुस्कुरा रहे थे। यार तू तो एकदम फ्लैट हो चुका है उस पर, ऐसा कर जाकर कह दे उससे। राघव ने कहा तो शुभम ने कहा हाँ और जब वो इस पर अपनी कराटे स्किल दिखाएगी तो हम मजे लेंगे। नितिन ने उसके कंधे पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाते हुए कहा चुप कर जब देखो बडबड ही करता रहता है। शुभम ने अपने होठों पर ऊँगली रखते हुए कहा भाई मैं तो चुप ही रहूँगा अब भी और मयंक के पिटने के बाद भी। ये सुनकर नितिन उसके पीछे भागा और शुभम बार-बार कहने लगा कि मजाक कर रहा हूँ यार।


तभी नितिन ने देखा सामने से रिया और रागिनी चली आ रही थी। नितिन वहीं खड़ा हो गया और रिया को देखने लगा। शुभम ने देखा तो कहने लगा अरे रिया जी एक मिनट जरा सुनिए। रिया उनके पास आकर रुकी तो शुभम ने देखा नितिन अब भी रिया को एकटक देख रहा था। शुभम ने कहा ये मेरे दोस्त आपसे कुछ कहना चाहता है। रिया ने नितिन की तरफ देखा और कहा क्या कहना था नितिन जी आपको? नितिन ने सुना तो सकपका गया उसने घबराहट में कहा आप बहुत खूबसूरत हैं। रिया ने सुना तो नितिन को देखने लगी। रिया को अपनी तरफ देखता पाकर नितिन ने कहा रागिनी जी आप भी बहुत सुंदर लग रही है। रिया और रागिनी एक-दूसरे की तरफ देखने लगे तो रागिनी ने कहा हमें पता है कि हम बहुत खूबसूरत हैं अब हटो रास्ते से।


तभी मयंक और राघव वहाँ आ गए। रागिनी की नज़र अब राघव पर पड़ी तो उसका चेहरा गुस्से में तमतमा उठा था। उसने रिया का हाथ पकड़ा और कहा चलो यहाँ से। रिया और रागिनी वहाँ से जा चुके थे। शुभम ने कहा ये रागिनी अपने राघव को इतने प्यार से देखा करती थी लेकिन आज तो ऐसे घूर रही थी जैसे इसे खा ही जायेगी। मयंक ने भी नोटिस किया था तो उसने राघव से कहा कुछ बात हुई है? राघव ने कहा नहीं यार बस वो उसे ..............चल छोड़ जाने दे। मयंक ने कहा तुझे मेरी कसम बता क्या हुआ है? राघव ने अब उन सबको उस दिन का किस्सा और रागिनी को हुई ग़लतफहमी का बताया तो मयंक के साथ नितिन और शुभम भी हँस पड़े थे। इसकी प्रेम कहानी का तो शुरू होने से पहले ही अंत हो गया है। मयंक ने सुना तो कहा टेंशन मत ले मैं उसे बता दूँगा। राघव ने कहा नहीं कोई बात नहीं वैसे भी मैं शायद उसके लायक नहीं हूँ और वैसे भी मैं प्यार-व्यार में यकीन नहीं कर पाता हूँ।

मयंक ने कहा –

“यकीन भी होगा, देखना इबादत भी होगी,

किसी दिन किसी से तुम्हें मोहब्बत भी होगी,

सदके उतारोगे उनकी आँखों के कसम से,

जब उनमें खुद को देखने की बेताबी भी होगी।”

क्रमश:



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