वो तुम हो (पार्ट-2)
वो तुम हो (पार्ट-2)
अभी तक आपने पढ़ा कि अंजलि और मयंक की पहली मुलाकात में ही मयंक के दिल ने कहा – “वो तुम हो” लेकिन अंजलि इस बात से बेखबर वहाँ से चली जाती है।मयंक खोया रहता है अंजलि के उस बेबाक अंदाज़ में, उसकी ख़ूबसूरती में।आइये अब आगे पढ़ते हैं:-
अंजलि प्रिंसिपल रूम ढूँढते हुए आख़िरकार वहाँ पहुँच जाती है।लेकिन उस वक़्त प्रिंसिपल रूम में कोई भी नहीं था।अंजलि वापिस अपनी क्लास की तरफ जाने के लिए बढती है और तभी देखती है कि कॉरिडोर में दो लड़के एक लड़की को छेड़ रहे थे।वो लड़की डरी-सहमी खड़ी थी।वो जैसे ही वहाँ से जाने की कोशिश करती थी उनमे से एक लड़का उसके आगे आकर खड़ा हो जाता था।अंजलि को माजरा कुछ खास समझ नहीं आया था सिवाय इसके कि वो लड़की उस लड़के से बात करने में इंटरेस्टेड नहीं थी।अंजलि ने उनके करीब पहुँच कर उस लड़की से कहा "कोई प्रॉब्लम है क्या?" वो लड़की कुछ कहती इससे पहले ही लड़के ने अंजलि को घूरना शुरू कर दिया था।अंजलि ने उसे कहा "क्या कपड़ों के अंदर तक स्कैन कर लेगा क्या? कभी लड़की नहीं देखी या फिर................"
"हाय, मदन नाम है मेरा", उस लड़के ने अंजलि की बात को बीच में ही काटते हुए कहा।अंजलि ने भौंहें चढ़ाते हुए बड़ी बेपरवाही से कहा "तो क्या करूँ मैं और तू इस लड़की को क्यों परेशान कर रहा है?"
मदन ने कहा "ये मान नहीं रही।मैं इससे फ्रेंडशिप करना चाहता हूँ और ये मुझसे बात करने को भी तैयार नहीं है।"अंजलि ने लड़की की तरफ देखा तो वो काफी ज्यादा डरी हुई लग रही थी।अंजलि के देखते ही वो अंजलि के पीछे छुपकर खड़ी हो गयी थी।अंजलि को समझ आ गया था कि वो लड़की उस लड़के से डरी हुई है।उसने कहा "सुन भाई क्या नाम बताया?" मदन उस लड़के ने अजीब तरह से मुस्कुराते हुए कहा "ये लड़की तुमसे फ्रेंडशिप करने में इंटरेस्टेड नहीं है तो उसे परेशान मत करो।" ये कहकर अंजलि उस लड़की का हाथ पकड़ कर वहाँ से जाने लगी।मदन ने उसके आगे आते हुए कहा "तो आप कर लो मुझसे फ्रेंडशिप|"
अंजलि ने जब ये सुना तो त्योरियाँ चढ़ाते हुए कहा "क्यों बे ये कोई मंदिर का प्रशाद है जो तू सबको बाँटने निकला है?" मदन ने बड़ी ही बेशर्मी से कहा "ये मदन का प्यार है जो सबको मिल सकता है।"थोड़ी ही देर में कॉलेज के कॉरिडोर में भीड़ लगी हुई थी और अंजलि मदन को बस लात, घूँसे, थप्पड़ का प्रशाद बाँट रही थी।लड़के और लडकियाँ अंजलि को आँखें फाड़ कर देख रहे थे।लेकिन कोई और भी था जो अंजलि को मुस्कुराते हुए देख रहा था और अपने दोस्त के कंधे पर अपना हाथ टिकाये कह रहा था – “वो तुम हो”।राघव ने कहा "यार इसके सपने देखना छोड़ दे ये तो बड़ी ही खतरनाक लड़की है।जिस लड़के से सारा कॉलेज डरता है देख तो इसने उसकी क्या चटनी बनाई है|"
सीन ये था कि मदन को अपनी जान बचाने के लिए आखिरकार वहाँ से भागना पड़ा था।और लडकियाँ और वहाँ खड़े लड़के अंजलि के लिए तालियाँ बजाने लगे थे।लेकिन तभी कॉलेज के प्रिंसिपल वहाँ आये तो अंजलि की सिट्टी-पिट्टी गुल हो चुकी थी।दरअसल कॉलेज के प्रिंसिपल अंजलि के पापा के दोस्त थे।अंजलि ने उन्हें नमस्ते कहना चाहा लेकिन उससे पहले ही उन्होंने गुस्से में कहा अंजलि ऑफिस में आओ।अंजलि उनके पीछे-पीछे चली गयी।मयंक उसे जाते हुए देख रहा था और मन ही मन कह रहा था-
“वो तुम हो मेरी मोहब्बत,
मेरी उल्फत, मेरी चाहत”
ऑफिस के अंदर- प्रिंसिपल ने कहा "अंजलि ये सब क्या है तुमने आते ही यहाँ मार-पीट शुरू कर दी? तुम्हें पता भी है वो लड़का कितना खतरनाक है?" अंजलि ने कहा "अंकल वो लड़का एक लड़की को परेशान कर रहा था तो इसलिए.........................."अंजलि प्रिंसिपल की तरफ देखकर चुप हो जाती है।प्रिंसिपल ने कहा "यहाँ पर शिकायत की जा सकती थी अगर वो परेशान कर रहा था।तुमने उससे मार-पीट क्यों की? अभी तुम्हारे पापा को फ़ोन कर के बताता हूँ।" अंजलि ने सुना तो कहा "आई एम् रियली सॉरी सर।आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा, आप प्लीज पापा को कुछ ना बताये वरना वो मुझे कॉलेज नहीं आने देंगे|"
तभी प्रिंसिपल का फ़ोन बज उठता है और वो फ़ोन स्क्रीन अंजलि की तरफ कर देते हैं।ये फोन अंजलि के पापा का ही था।अंजलि ने हाथ जोड़ते हुए सॉरी कहा और चुपचाप खड़ी हो गयी।प्रिंसिपल सर ने फ़ोन उठाते ही कहा "हेलो अमिताभ कैसा है?" उधर से अंजलि के पापा "मैं ठीक हूँ मन्नू (मनोज कुमार) यार तू सुना।"
"वो अंजलि मेरी बेटी मिली क्या तुझसे? आज उसका पहला दिन है कॉलेज में।" प्रिंसिपल ने एक नज़र अंजलि की तरफ देखा जो परेशान खड़ी थी।प्रिंसिपल ने कहा "हाँ मिल लिया तेरी बेटी से लेकिन एक बात कहना चाहूँगा तेरी बेटी बिलकुल तेरे ही जैसी है।आते ही एक लड़के को जमकर ठोंक दिया।" अंजलि के पापा ने परेशान होकर "क्या मतलब.........अंजलि ने............. मगर क्यों?"
प्रिंसिपल ने कहा "यार तेरी ही तरह समाज सुधारक है तेरी बेटी।लेकिन इसने जिसे पीटा है वो कोई मामूली लड़का नहीं है।" अंजलि के पापा ने घबराते हुए कहा "यार मुझे इस लड़की की यही आदत पसंद नहीं है ये अपनी आँखों के आगे कुछ भी गलत होते नहीं देख सकती है।" प्रिंसिपल ने फिर कहा "बेटी किसकी है।"
इधर अंजलि मन ही मन घबरा रही थी कि शाम को घर पहुँचते ही अच्छा-खासा लेक्चर मिलने वाला है।प्रिंसिपल ने फ़ोन रखा तो देखा अंजलि अब भी वहीं खड़ी थी।उन्होंने कहा "देखो बेटा अगर वो लड़का दोबारा मिले तो उससे दूर ही रहना।ये कॉलेज है किसी से मार-पीट नहीं करनी।अगर कोई भी दिक्कत हो तो सीधा मेरे पास आकर बताना।" अंजलि ने कहा "जी सर, अब मैं जाऊं?" प्रिंसिपल ने कहा "हाँ बिलकुल लेकिन मैंने जो कहा ध्यान रहे।"अंजलि ने कहा जी सर और वो प्रिंसिपल रूम से बाहर आई तो देखा सामने राघव और मयंक खड़े थे|
अंजलि ने एक नज़र उनकी तरफ देखा और फिर आगे जाने लगी तभी मयंक ने कहा "हेलो मिस अंजलि!" अंजलि ने मुड़कर देखा और कहा "क्या है?" मयंक ने उसके करीब आते हुए उसका बैग दिखाकर कहा वो "ये आपका बैग वहीं रह गया था जहाँ आपने उस मदन की पिटाई की थी।"अंजलि ने उसे घूरा तो मयंक ने कहा "क्या हुआ नहीं चाहिए? इट्स ओके", कहकर वह अंजलि का बैग लेकर वापिस जाने लगा।अंजलि ने कहा "हे मिस्टर????"
" मयंक ..............मयंक नाम है मेरा।"मयंक ने उसे बिना देखे ही जवाब दिया तो अंजलि ने कहा "मेरा बैग प्लीज!" मयंक ने इस बार भी बिना उसकी तरफ देखे ही उसका बैग उसकी तरफ बढ़ा दिया और वहाँ से जाने लगा तो अंजलि ने उसे थैंक यू कहा।मयंक इस बार मुड़ा और अंजलि के पास आकर कहा "क्या कहा आपने? मैंने सुना नहीं।"अंजलि ने मन ही मन कहा बहरा है क्या? मयंक ने फिर कहा कुछ कहा था आपने? इस बार अंजलि ने कहा जी मैंने कहा "थैंक यू!" मयंक ने कहा "ओह्ह मुझे लगा शायद ये वर्ड आपने सीखा ही नहीं है।"अंजलि ने अपनी भौंहे चढाते हुए कहा "क्या मतलब है आपका?" मयंक ने कहा "कुछ नहीं मगर..................”वो तुम ही हो”।ये कहकर मयंक वहाँ से चला गया और अंजलि ने कहा ये क्या बोला इसने, वो तुम ही हो मतलब???????
अंजलि कॉलेज कैंपस में पहले दिन ही फेमस हो गयी थी आखिर उसने कॉलेज के सबसे बदमाश लड़के की हड्डियाँ जो तोड़ दी थी।सभी उससे दोस्ती करना चाहते थे लेकिन वो तो बस अपने में ही मगन थी।अंजलि अपनी क्लास में पहुँची तो उसे वही लड़की दोबारा मिल गई जिसकी वजह से सुबह अंजलि ने मार-पीट की थी।उसने अंजलि को अपने पास बैठने का इशारा किया और कहा हाय माय नेम इस नाज़िया! अंजलि ने कहा माय नेम इस अंजलि.............अंजलि शर्मा! नाज़िया ने कहा तुम्हें ज्यादा डांट तो नहीं पड़ी प्रिंसिपल सर से? अंजलि ने कहा डांट वो तो घर जाकर पड़ेगी पापा-मम्मी से।नाज़िया ने मुस्कुराते हुए कहा यार तुम तो बहुत पावरफुल गर्ल हो।ये फाइट करना सीखा है तुमने या फिर सेल्फ-ट्रेनिंग है? इस बार अंजलि मुस्कुरा गयी थी और उसने कहा बचपन में एक बार किसी से लड़कर और पिटकर जब घर आई थी तो पापा ने कहा था अंजलि तुम्हें मेरी गुड़िया नहीं मेरी शेरनी बेटी बनना है।बस तभी से शेरनी हूँ।
तभी वहाँ टीचर आ गई और उन्होंने आते ही पूछा ये अंजलि शर्मा कौन है? अंजलि ने अपनी सीट पर खड़े होते हुए कहा – "यस मैम!" मिसेस चंद्रा ने अंजलि को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा ओह्ह तो तुम हो जिसने सुबह आते ही कॉलेज में हंगामा कर दिया था।अंजलि ने कुछ नहीं कहा बस मन ही मन कह रही थी लगता है ज्यादा ही फेमस हो चुकी हूँ मैं? मिसेस चन्द्रा जो कि अंग्रेजी विषय की टीचर थी उन्होंने बस बुक पढ़ानी शुरू ही की थी कि तभी मदन अपने कुछ दोस्तों के साथ वहाँ आ धमका और अंजलि को गाली देते हुए कहा कि तुझे तो मैं बताऊँगा मुझ पर हाथ उठाने का अंजाम क्या होता है?
अंजलि चुपचाप खड़ी थी| मिसेस चंद्रा ने मदन को कुछ समझाना चाहा तो उसने मिसेस चंद्रा को धक्का दे दिया।मैडम की सीट के पास ही सीट पर रिया और रागिनी बैठी हुई थी।रिया ने टीचर को संभाला और रागिनी बोल पड़ी तमीज नहीं है क्या? मदन ने उसे घूरते हुए कहा चलो तुम सिखा दो हमें तमीज।रागिनी डरकर पीछे हट गयी।लेकिन तभी फिर मदन के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ आकर लगा।ये अंजलि थी जिसके थप्पड़ से मदन जाकर फर्श पर गिर पड़ा।उसकी कान में जैसे कोई सीटी बजने की आवाज आई थी।वो अपना गाल और कान सहलाते हुए उठा और एक भद्दी सी गाली देकर अंजलि की तरफ बढ़ा ही था कि उसको फिर एक थप्पड़ आकर दूसरे गाल पर पड़ा था।अंजलि ने चौंक कर उस तरफ देखा तो वहाँ मयंक, नितिन, शुभम और राघव खड़े थे।अंजलि ने कुछ कहना चाहा तभी मयंक ने उसे आँख मारी और मदन और उसके साथी मयंक और बाकी सबसे भिड गए थे।अंजलि ने कहा यार ये क्या हो रहा है? आज का दिन ही ख़राब है? लेकिन तभी मयंक ने अंजलि से कहा नहीं आज का दिन तो बहुत ही अच्छा है|
अंजलि ने ये सुना तो मयंक को देखने लगी।मयंक काफी स्मार्ट था।उसकी पर्सनालिटी बहुत ही लाजवाब थी।अंजलि ने कहा यार लगता है इसे कोई जादू-वादू आता है तभी तों दिमाग पढ़ लिया इसने कि मैं क्या सोच रही हूँ? तभी प्रिंसिपल वहाँ पहुँच गए और सब कुछ जानने के बाद उन्होंने मदन और उसके दोस्तों को एक हफ्ते के लिए कॉलेज से सस्पेंड कर दिया।मदन अंजलि को घूरते हुए वहाँ से चला गया और प्रिंसिपल सर भी वापिस चले गए थे।मयंक वहीं खड़ा था तो मिसेस चंद्रा ने कहा बेटा आप तो सेकंड इयर के स्टूडेंट हो? चलो अपनी क्लास में जाओ और पढाई पर ध्यान दो, ये लड़ाई-झगड़े अच्छी बात नहीं होती।मयंक ने कहा सॉरी टीचर लेकिन गर्ल्स के साथ बदतमीजी होते मैं देख नहीं सकता।मयंक ने एक नज़र अंजलि की तरफ देखा, लेकिन वो तो किसी सोच में गुम थी।मयंक वहाँ से चला गया और साथ ही टीचर भी क्योंकि पढाई का टाइम ही ओवर हो गया था।रिया और रागिनी भी अंजलि से बहुत इम्प्रेस हुए थे।अंजलि की आज पहले ही दिन रिया, रागिनी और नाज़िया से दोस्ती हो गयी थी|
उधर घर पर अंजलि के पापा काफी परेशान थे।वो जानते हैं कि अंजलि का स्वभाव बिलकुल उन्हीं के जैसा है।उनकी ही तरह अंजलि भी किसी के साथ गलत होते नहीं देख सकती थी।ये अच्छा स्वभाव है लेकिन वो एक लड़की है ये सोचकर मिस्टर अमिताभ शर्मा काफी परेशान हो जाते थे।आज भी काफी परेशान थे लेकिन अंजलि की माँ को पूछने पर भी उन्होंने कुछ नहीं बताया था।अंजलि की माँ काफी गुस्सा होती थी अंजलि की ऐसी हरकतों पर इसलिए अंजलि के पापा हमेशा से उसकी ऐसी गलतियों पर पर्दा डाल दिया करते थे|
इधर मदन अपने घर पर दोस्तों के साथ बैठा शराब पी रहा था और अपनी आज की बेईज्ज़ती वो भूल ही नहीं पा रहा था।उसने मन ही मन सोच लिया था कि इस अंजलि को तो मैं सबक सिखा कर रहूँगा।लेकिन कैसे ये सोचना अभी बाकी था|
कॉलेज में बैठा मयंक तो जैसे किसी और ही दुनिया में जा चुका था।उसकी उस दुनिया में थी उसके सपनों की रानी और सिर्फ वो।मयंक को तो जैसे और कुछ सूझ ही नहीं रहा था।उसने राघव से एक पेन और पेपर लिया और कुछ लिखने लगा था।राघव ने कहा ओह्ह तो आज फिर तू कुछ ख़ास लिखने वाला है? मयंक मुस्कुराया और कहा लिख लिया है।देख तो कैसा लिखा है? ये कहकर उसने वो पेपर राघव की तरफ बढ़ा दिया था।राघव ने पढ़ा तो कहा यार तू तो सच में बहुत अच्छा लिखता है।तू लेखक क्यों नहीं बन जाता? मयंक मुस्कुराया और तभी शुभम और नितिन वहाँ आ पहुँचे।नितिन ने वो पेपर राघव के हाथ से छीन लिया और जोर-जोर से पढ़ने लगा था।
सोचता था तुम्हें, हरदम ढूँढता रहा तुम्हें,
सपनों में भी हर दिन देखता रहा तुम्हें।
ख़त्म हुई है वो तलाश मिलकर तुमसे,
जुड़ते हैं जाने कब से एहसास ये तुमसे|
खूबसूरत हो तुम, किसी कयामत सी हो,
दिखने में नाजनी हो, उफ़,आफत सी हो|
किस कदर नशीली हैं हाय! आँखें तुम्हारी,
बादलों से भी घनी है काली जुल्फें तुम्हारी|
संगेमर्मर सी श्वेत, धवल चाँदनी सी खूबसूरत,
सूरज की पहली किरण सी नेकदिल सीरत|
किसी शायर की गज़ल, वाहवाही का सबब,
क्या कहूँ हर अदा है मेरे महबूब की गज़ब|
क्या मेरी तरह ही तुम भी ख्यालों में गुम हो,
क्या दिल तुम्हारा भी कहता है “वो तुम हो”?
नितिन वो पेपर जोर-जोर से पढ़ते हुए भाग रहा था और तभी सामने से आती हुई लड़की से जा टकराया।नितिन का दिल जोरों से धड़कने लगा था।वो आपको लगी तो नहीं? रिया ने बड़े ही शांत स्वर में पूछा तो नितिन ने खुद को सँभालते हुए कहा मैं ठीक हूँ।आपको तो कहीं नहीं लगी? सॉरी वो गलती मेरी है, मैं ही अपने दोस्त के साथ मस्ती करते हुए भाग रहा था।आपको देखा ही नहीं और टकरा गया।आई होप आप बिलकुल ठीक है? रिया ने कहा जी मैं बिलकुल ठीक हूँ और वो रागिनी के साथ कॉलेज से निकल गयी।नितिन उसे जाते हुए अपलक निहार रहा था और तभी उसे कुछ सुनाई दिया तो उसकी तंद्रा टूटी|
राघव, शुभम और मयंक एक स्वर में गा रहे थे-
“तुमसे मिलना, बातें करना,
बड़ा अच्छा लगता है,
क्या है ये, क्यों है ये?
हाँ मगर जो भी है,
बड़ा अच्छा लगता है|”
नितिन ने कहा "हाँ यार वो अच्छी है बहुत और उसकी आवाज तो कितनी प्यारी है दिल करता है बस सुनते ही जाओ।"राघव ने उसके हाथ से वो पेपर छीन कर मयंक के हाथ में पकड़ा दिया और नितिन के सिर पर एक हलकी सी चपत लगाते हुए कहा "बस ख्वाबों की दुनिया से बाहर आजा।यहाँ हम एक को नहीं संभाल पा रहे और अब तू भी शुरू हो गया।" राघव ने मयंक की तरफ घूरते हुए कहा "मैं तो इससे ही परेशान हूँ, सुबह से बस यही सुन रहा हूँ “वो तुम हो” वो तुम हो! ऐसा लगता है मुझसे कह रहा है कि मैं कोई क्रिमिनल हूँ।" ये सुनकर सभी जोर से हँस पड़े थे और तभी अंजलि उनके साइड से निकल कर गयी।इत्तेफाक कहें या फिर किस्मत इस बार अंजलि को सिर्फ मयंक ने ही जाते हुए देखा था और वो तब तक देखता रहा जब तक अंजलि उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गयी थी|
क्रमश:

