suman singh

Romance

4.1  

suman singh

Romance

वो लम्हें

वो लम्हें

4 mins
500


शालिनी मेरे सामने वाले फ्लैंट में अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती है । वैसे तो हमारी बातचीत नहीं होती लेकिन कभी नजरें मिल जाती है तो एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा लेते है या फिर दूध लेने जाते समय हम दोनो का समय टकरा जाता है ।


शालिनी रोज डेयरी बूथ से दूध लेने जाती है और मैं भी । 

हमारे नीचे वाले दो , तीन फ्लैंट में दूधवाले से भैंस का दूध मंगवाते है अक्सर सुबह दूधवाले के कैन की आवाज सुनाई देती है तब मैं बाहर बाॅलकॅानी में झाड़ू लगा रही होती हूँ और शालिनी अंदर से भागकर बाहर आती है बाॅलकॅानी से झुककर नीचे देखती है और अंदर चली जाती है ।


वह अधिकतर ऐसे ही करती है, पहले तो मैने सोचा कि शालिनी शायद डेयरी बूथ से दूध लाना बंद करना चाहती है और दूधवाले से भैंस का दूध लेना चाहती है इसलिए वह दूधवाले से बात करना चाहती है लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी शालिनी डेयरी बूथ से ही दूध ला रही है ।


शालिनी की प्रतिक्रिया देखकर मुझे जिज्ञासा होने लगी । आखिर क्यों शालिनी ऐसा करती है ? 


महीने में दो -तीन बार सुबह दूध लेने जाते समय हमारा मिलन हो जाता है लेकिन मैं कभी हिम्मत नहीं कर पाई कि शालिनी से इस बारे में कोई बात करुँ ।


मुझे डर था कि कहीं शालिनी को बुरा ना लगे कि मैं क्यों उससे इतनी पूछताछ करती हूँ और क्यों उसकी प्रतिक्रिया पर नजर रखती हूँ ? ये उसका व्यक्तिगत मामला था । लेकिन मैं इस बात को हजम नहीं कर पा रही थी और समझ नहीं पा रही थी कि अगर शालिनी से पूछती भी हूँ तो बात कहाँ से शुरु करु ?


एक दिन मैने हिम्मत कर डाली और शालिनी से बाॅलकाॅनी में खड़ी होकर बातें करने लगी। इन लोगों का भी क्या भरोसा कि शुद्धता वाला दूध लाते हैं । कई बार सुनने में आता है कि इस दूध में भी पचास प्रतिशत पानी मिलाकर लाते है । आजकल शुद्धता कहाँ है ? उधर शालिनी ने भी हाँ में हाँ मिलाई और कहने लगी-- सही बात है ! फिर इन लोगों से रोज बहस करते रहो और कोई हल नहीं निकलता ।


यहीं दो , तीन मिनट तक बातें करके मैं अंदर आ गई और शालिनी के मन में उथल-पुथल मचने लगी ।


वह अपनेआप से प्रश्न करने लगी, आखिर क्यों जाती हूँ मैं रोज बाहर दूधवाले को देखने ? अब पहले जैसा कुछ भी नहीं है । 


शालिनी ने जल्दी से तीनो टिफिन तैयार किए , बच्चों को स्कूल टैक्सी में बिठाकर आई और पति को आफिस भेजकर सोफे पर निढाल हो गई और अपने अतीत में खो गई ।


जब वह कालेज की छात्रा थी तब रोज सुबह बाहर झूले पर बैठकर अखबार पढती थी और मक्खन दूधवाला उनके घर दूध देने आता था । बहुत ही शांत स्वभाव का था भोला-भाला सा ।


अखबार पढते-पढते शालिनी उसको देखने लगती थी जब कभी मक्खन देखना चाहता और नजरे मिल जाती तो तुरंत नजरे झुका लेता था और दूध भगौने में डालकर चला जाता था ।यह उनकी प्रतिदिन की दिनचरया थी कभी देरी से आता था तो शालिनी की मम्मी डाँट देती थी तब वह बस हँसकर कह देता था - साॅरी आण्टी जी आज देर हो गई ।


शालिनी और मक्खन में कभी बातचीत नहीं हुई लेकिन फिर भी शालिनी बाहर झूले पर जब तक बैठी रहती तब तक मक्खन दूध देकर वापिस न चला जाता । 


यह सिर्फ एक अहसास था और शालिनी को लगता था कि यहीं अहसास मक्खन को भी है लेकिन दोनों का यह अहसास निराधार था , क्योंकि शालिनी जानती थी कि बराबरी भी एक सामजिक नियम है जिसे वह तोड़ना नहीं चाहती थी और शहरी जीवन और भौतिक सुख-सुविधाएँ शारीरिक सुख ।


शालिनी की शादी एक बैंक अधिकारी से हो गई और वह एक सुखी जीवन का दावा करती है लेकिन क्यों वह उन लम्हों को भूल नहीं पाती है लोग कहते है कि पहला प्यार भुलाया नहीं जाता । क्या मक्खन उसका पहला प्यार था ? अगर नहीं था तो क्यों वह किसी भी दूधवाले में मक्खन को तलाशती रहती है आखिर क्यों वह दूधवाले के कैन की आवाज सुनकर विचलित हो जाती है और बाहर आकर झाँकने पर मजबूर हो जाती है , क्योंकि वो लम्हें शालिनी की जिंदगी के सबसे अनमोल लम्हें थे। जिन्हें वह चाहकर भी भुला नहीं पा रही थी ।


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