suman singh

Tragedy

3.5  

suman singh

Tragedy

कलयुग का राम

कलयुग का राम

2 mins
230


मधु दीदी एक पोलियोग्रस्त लड़की थी। वैसे तो सुंदर और समझदार थी लेकिन चलने में उनके पैर में लचक थी इसी वजह से उनकी शादी होने में मुश्किलें आ रही थी और इसी कारण उनके माता-पिता बहुत परेशान थे क्योंकि गाँव में असुविधा के कारण वे उसे कालेज नहीं भेज सकते थे। लेकिन मधु दीदी निःसहाय नहीं थी वह घर के सभी कार्य बहुत सफाई और शालीनता से करती थी।


बहुत कशमकश के बाद उनकी शादी एक विदुर से कर दी गई जो उनसे पन्द्रह साल बड़े थे और दो बच्चों के पिता थे।

मधु दीदी को किसी भी बात से कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने खुशी-खुशी सब स्वीकार कर लिया। मधु दीदी अपने पति से अधिक उनके बच्चों के बारे में सोचती थी कि मैं एक अच्छी माँ बनकर दिखाऊँगी। पता नहीं क्यूं लोग सौतेली माँ का नाम सुनकर बच्चों का कष्टकारी जीवन की कल्पना करने लगते है ऐसे लोगों पर शायद यशोदा का कम और कैकयी का अधिक प्रभाव है। 


शादी के बाद मधु दीदी बहुत खुश थी वह अपनी शारीरिक कमज़ोरी अपनी जिम्मेदारियों के बीच में नहीं लाना चाहती थी।

मधु दीदी के पति की दो संतानें १०साल का लड़का रवि और ८ साल की लड़की नीमा थी। नीमा तो अपनी नई माँ के साथ बहुत खुश थी लेकिन रवि जब भी मधु दीदी को देखता तो उसे अपनी स्वगीॅय माँ की याद आ जाती। अपनी माँ के गहने और कपड़े जब मधु दीदी को पहने हुए देख लेता था तो उसका खून खोलने लगता था। मधु दीदी जितना रवि के पास जाने की कोशिश करती, रवि उनसे उतना ही दूर जाने की कोशिश करता। अब वह स्कूल से लौटने के बाद अपने घर में कम और दोस्तों के घर अधिक रहने लगा। 


यह देखकर मधु दीदी को बहुत दुख होता था कि वह जैसा सोचकर इस घर में आई थी बिल्कुल उसके विपरीत हो रहा था। पाँच-छः साल ऐसे ही निकल गए, मधु दीदी का अपना खुद का बेटा भी हो गया लेकिन उनके व्यवहार में बिल्कुल भी परिवर्तन नहीं आया। वह हमेशा की तरह ही रवि के सभी काम करती रही और रवि की स्कूल खत्म हो गई। अब रवि हाॅस्टल जाने की जिद करने लगा। शायद घर के लोगों से पीछा छुड़वाना चाहता था। वह हाॅस्टल में चला गया।


अब रवि तो हाॅस्टल में जाकर अपने दोस्तों के साथ बहुत खुश है लेकिन मधु दीदी खुश नहीं है। वह मन ही मन अपनी गलतियां ढूँढती रहती है कि किस वजह से वह रवि की नफरत का शिकार हुई ? कभी -कभी अपने मन को तसल्ली देती रहती है काश ! रवि को एक ऐसी लड़की मिल जाये जो मेरी ममतामयी आँखों को पढ़ सके। रवि के दिल में मेरी निदोॅषता स्थापित कर सके।


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