suman singh

Tragedy

4.4  

suman singh

Tragedy

सामाजिक शोषण

सामाजिक शोषण

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मानसी और निखिल दोनो ने एक साथ बारहवीं कक्षा पास की थी । अब मानसी का काॅलेज जाना उसके माता-पिता को नागवारा था। वो मानसी की शादी करके उसका घर बसाना चाहते थे । और निखिल ने कालेज में एडमिशन ले लिया था । दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे । निखिल मानसी को लेकर सपने देखने लगा कि मैं पढ़-लिखकर एक अच्छी सी नौकरी करूँगा और मानसी को भी अपने साथ ले जाऊँगा ।शायद मानसी भी मेरे बारे में ही सोचती होगी ।


एक दिन रात का खाना खाने के बाद निखिल की मानसी से मिलने की इच्छा हुई तो वह उनके घर पहुँच गया और डोरबैल बजाईं , तभी मानसी का भाई दरवाजा खोलने के लिए आया और निखिल से आने का कारण पूछा । निखिल के मन में कुछ भी भाव नहीं थे उसने सीधे से कहा- "मानसी से मिलना चाहता हूँ उससे बात करनी है ।"


यह सुनकर मानसी का भाई आग-बबूला हो उठा। उसने निखिल की काॅलर पकड़ ली और मारपीट करने लगा ।शोरगुल सुनाई देने पर मानसी और उसके माता-पिता भी बाहर आए कि इस समय कौन झगड़ा करने आ गया है ।मानसी ने देखा कि उसका भाई निखिल को लात-घूसे से मार रहा है तो उसने बीच बचाव करने की कोशिश की लेकिन अधिक शोर होने पर सभी पड़ौसी भी बाहर आ गए और सभी ने अपने-अपने हिस्से के हाथ साफ कर लिए ।


मानसी को दुख तो बहुत हुआ लेकिन माता पिता के सामने निखिल का पक्ष लेने की हिम्मत नहीं हुई ।मानसी के पिताजी ने निखिल का फोन जेब से निकाला और उसके पिता जी के नंबर निकालकर उलाहना देते हुए फोन किया कि अपने बेटे को ले जाओ यहाँ से । वरना जिंदा नहीं बचेगा ।हम शरीफ लोग है हमारी बेटी को यों बदनाम करना हम बिलकुल बरदाश्त नहीं करेंगे ।निखिल के पिता जी को तो मानो साँप सूंघ गया पत्नी के बार-बार पूछने पर भी जबाव नहीं दे पा रहे थे कि माजरा क्या है ।बाद मे उठे और अपने बड़े बेटे को चिल्लाकर बोले - जाकर लेकर आओ उसे रहीसजादे को । मोहल्ले में नाक कटवाकर रख दी इस लड़के ने ।पता नहीं कौन से जन्म का बदला ले रहा है ्निखिल के भाई ने गुस्से से गाड़ी निकाली और दोनो बाप-बेटे मानसी के घर पहुँच गए , जहाँ लोगों की भीड़ लगी हुई थी और तरह-तरह की बात बनाने मे लगे हुए थे ।


घर आकर निखिल को कटघरे में खड़ा कर दिया गया और सभी से प्रश्नों की बौछारे होने लगी निखिल बिलकुल खामोश था । वह समझ नहीं पा रहा था मैने ऐसा क्या कर दिया जिसकी मुझे सजा दी जा रही है । उसके शरीर से खून बह रहा था तथा सभी को अपनी इज्जत की पड़ी थी ।


यहीं सोचते-सोचते तीन चार दिन निकल गए और निखिल के शरीर के जख्म थोड़े ठीक होने लगे थे ।टहलते -टहलते निखिल घर से बाहर आ गया तो तभी पिता जी ने तानाशाही कसी- "अभी कहाँ चल दिए आशिकी करने ।" निखिल अपनी बात रखना चाहता था कि पापा आखिर मैने ऐसा क्या कर दिया जो आप लोग मुझसे ऐसा व्यवहार कर रहे हो ? क्या कोई किसी से यूं ही मिल नहीं सकता ? क्या बात करना कोई गुनाह है ? तभी भाई ने आकर पीछे से एक लात जमाई और घसीट कर कमरे में ले गए ।


उस दिन निखिल को जमकर पीटा गया । बीच-बचाव करने पर माँ को भी चोटें आ गई थी। मारपीट की वजह से शायद निखिल के दिमाग पर गहरी चोट लगी जिससे वो अपना मानसिक संतुलन खो बैठा ।वह कोई एक कम करता तो घंटो तक उसी काम पर बैठा रहता । कालेज जाना भी बंद हो गया ।।

मानसी के पिता जी ने बहुत जल्दबाजी में मानसी की शादी किसी दूसरे शहर में कर दी ।कई महीनों तक निखिल इसी अवस्था में रहा ,फिर घरवालों ने आपस में सलाह -मशवरा करके निखिल को मनोचिकित्सक के पास ले गए , उन्होंने दवा के साथ-साथ बिजली के करंट लगवाने की सलाह दी ।बेटे की यह दशा देखकर निखिल की माँ भी बीमार पड़ गई और पंद्रह -बीस दिन बाद वह भी चल बसी ।


अब निखिल का कोई सहारा नहीं था। भाई ने अपना घर बसा लिया और पिताजी वृदावस्था के दिन काट रहे है ।अब निखिल की कई राते शून्य को निहारते -निहारते निकल जाती है ।अब वह किसी और से सवाल जबाब नहीं कर सकता । सिर्फ अपने आप से करता है ।पता नहीं निखिल सचमुच पागल है या जानबूझकर पागल होने का नाटक करता है । क्योंकि उसकी नजर में अब कोई नहीं जो उसके साथ हमदर्दी जता सके । और पता लगा सके कि वह पागल है या नहीं । पिताजी ने उसको खानदान पर कलंक का नाम दे दिया और भाई के बच्चे उसे पागल चाचा कहकर उसकी खिल्ली उड़ाते है । ‌और भाभी को बिना वेतन का एक वफादार नौकर मिल गया है ।



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