Anita Sharma

Romance

4.8  

Anita Sharma

Romance

वो कुर्सी सब जानती है

वो कुर्सी सब जानती है

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भारत का 'सनशाइन स्टेट' कहा जाने वाला 'गोवा' जिसका नाम सुनते ही आँखों के सामने बेहद हसीं नज़ारे, वो दूर तक फैला समुद्र तट पर हर तरफ बिखरी रेत से टकराती लहरें, लम्बे हरियाली बिखेरते नारियल के वो पेड़, एक स्वच्छंद जीवन जीवन शैली से परिपूर्ण एक खूबसूरत जगह जिसका शांत और सौम्य वातावरण सभी को आकर्षित करता है, कितना करिश्माई दिखता है सब कुछ।

गोवा के ही पश्चिमी तट पर स्थित सालसेते में एक तटीय गाँव हैं कोलवा अपने आप में ही खूबसूरती की मिसाल हैं ये जगह यही शैरी और जेम्स अपनी खूबसूरत सी कॉटेज चलाते थे। शैरी बहुत क्रिएटिव भी थी, बहुत अच्छे से पूरी कॉटेज को सुन्दर सजा के रखा हुआ था आने वाले टूरिस्ट अक्सर कपल्स पॉइंट पर बैठा करते थे। असल में कॉटेज में ही शैरी और जेम्स ने दो चेयर्स और एक टेबल की व्यवस्था कर रखी थी, जो वहां आने वाले हनीमून कपल्स को बहुत पसंद आती थी। वहां घंटो समय बिताना, कपल्स को बहुत भाता था, उस जगह से समुद्र जो देखना बड़ा अच्छा लगता था। खूब फोटोग्राफी करते थे लोग, सबसे बड़ी बात तो ये थी की शैरी और जेम्स की भी सबसे पसंदीदा जगह था कपल्स पॉइंट जो उन्होंने अपने माता पिता की याद में बनवाया था, उसके पीछे छुपी जेम्स के माता पिता 'एना और जॉन ' की प्यार की कहानी।

कोलवा में किसी से छुपी नहीं थी उनके प्यारे रिश्ते की कहानी, यही वो जगह थी जो एना और जॉन को करीब ले कर आयी थी... ये दो पड़ी बम्बू की खूबसूरत कुर्सियां उन दोनों के बीच के वो राज़ भी जानती थी जो शायद कोई भी नहीं जानता था, ४८ साल पहले यहाँ कोई कॉटेज नहीं था। जॉन के पिताजी यहाँ रेस्टोरेंट और बार चलते थे। इनके यहाँ का खाना भी कोलवा के लोगों को ही नहीं, बाहर से आने वाले मुसाफिरों को भी बहुत भाता था, जॉन की उम्र कोई २३ बरस की थी। एना इसी रेस्तरां में खाना बनाने का काम करती थी अनाथ थी। तो जॉन के माता पिता ने ही इसको पाला था, जॉन बचपन से अपनी नानी के पास रहा था। २ साल पहले ही पढ़ाई पूरी करने के बाद कोलवा आया था। शुरू में तो शायद ज़्यादा बात नहीं होती थी दोनों में लेकिन धीरे धीरे जान पहचान हो गयी थी। जॉन अक्सर उसके आसपास ही रहता था उसकी बहुत मदद करता रहता था। उनके घर में एना को प्यार भी बहुत मिलता था। जॉन की बीमार माँ की देखभाल से लेकर पूरे रेस्त्रां का काम संभालती थी एना। देर रात तक काम करना पड़ता था, उसको लेकिन कभी शिकन नहीं लाती थी चेहरे पर, काम ख़त्म होने के बाद सोने से पहले थोड़ी देर इसी जगह पर बैठा करती थी (जहाँ आज कपल पॉइंट बना रखा है ) उसको बहुत पसंद था चाँदनी रात में चमकती लहरों की निहारना। जॉन उसको अक्सर दूर से देखता रहता था, उसका मन तो करता था की उससे बात करे, लेकिन डरता था बात करने से, ऐसा लगता था जैसे एना को शायद पसंद भी करने लगा था, लेकिन अपने पिताजी के सामने डरता था। एक दिन उसके पिताजी दो दिन के लिए अपने दोस्त के यहाँ चले गए थे। रोज़ की तरह एना काम में लग गयी थी। जॉन उससे बार बार बात करने की कहता तो, एना कह देती अभी वो व्यस्त है , काम हो जाए तब बात करते है, पूरा दिन बीत गया ऐसे ही, एना काम समेट कर अपनी जगह पर बैठ गयी थी। रोज़ की तरह, "जाने क्या सोच रही हो तुम एना " दूर खड़ा जॉन मन ही मन सोच रहा था। थोड़ी देर बीती थी जॉन उसके पास ही कुर्सी डाल कर बैठ गया, एना अपने में ही खोयी हुई कुछ गुनगुना रही थी, जॉन उसको यूँ ही देख रहा था, अचानक वो मुड़ी और पूछा ,"क्या हुआ जॉन ऐसा क्या देखता रहता है तुम रोज़" जॉन तुरंत बोला, एना बुरा नहीं मानोगी ना कुछ बोलूँ तो, एना बोली," अरे बाबा बोलो मेरे को थकान है रे, सोने की जाना है अभी बोलो रे प्लीज़।" "आई लव यू एना "कहकर जॉन ने एना को माथे पर किस कर दिया, एना शर्मा गई थी उसको ये अहसास कभी हुआ ही नहीं था इससे पहले जो आज वो महसूस कर रही थी। वो जॉन को मना ही नहीं कर पायी थी। यहीं रोज़ उनकी बातें होने लगी थी। जॉन ने पिताजी के आते ही उनको अपने मन की बात बता दी थी। जॉन के पिताजी ने अपनी रजामंदी दे दी थी, अब तो दोनों घंटो एक साथ इसी तरह साथ बैठे बातें करते रहते थे।

कुछ समय बीता दोनों की शादी हो गई थी, शादी में ही जॉन के दोस्तों ने मिलकर ये बम्बू की खूबसूरत कुर्सियां तोहफे में दी थी, जॉन के लिए तो जैसे तक ही प्रेम का प्रतीक बन गयीं थी। जॉन पढ़ा लिखा था उसने पिताजी से पूछ कर रेस्त्रां की जगह टूरिस्ट कॉटेज बनवा लिया था। सजाने की ज़िम्मेदारी मिली थी एना को, वो बखूबी एना ने कर दिखाया था। फ़िर अपने मिलन की उस ख़ास जगह को चुना था तोहफे में मिली उन दो कुर्सियों के लिए, वहां से बैठकर वाकई सब कुछ बहुत सुन्दर दिखता था , और शुरुआत की खुद से ही एक शाम जॉन को बहाने से कॉटेज से बाहर भेजकर एना ने एक खूबसूरत शाम की तैयारी की, देर शाम जब जॉन वापस आया तो बहुत खुश हुआ हलकी रौशनी में नहायी हुई उसकी कॉटेज, कोने में रखी वो उसकी शादी की निशानी, बीच में रखी वो टेबल पर रेड वाइन एक तरफ सफ़ेद शियर ड्रेस पहने उसकी एना! वो खो गया था पुरानी यादों में वही जगह सब कुछ वैसा ही लग रहा था। जॉन ने दोनों हाथों से प्यार से उसके हाथों को चूमा और अपनी ज़िंदगी में आने के लिए धन्यवाद किया। एना का हाथ पकड़ कर वो कुर्सी तक लाया और बैठा दिया दोनों पहले की तरह बैठे बातें करने लगे खो गए थे पुरानी यादों में ! कुछ साल पहले शुरू हुई कहानी आज भी उसी तरह नई लगती थी उनको अपनी! समय आगे बड़ा, एना बहुत खुश थी अपनी ज़िन्दगी में। दो साल बाद उनके बेटे जेम्स का जन्म हुआ। दोनों बहुत खुश हुए थे जेम्स को अपने ज़िन्दगी में पाकर , कुछ समय बाद जॉन के पिताजी भी चल बसे। जॉन में पास ही पुराना पड़ा कॉटेज भी ले लिया था। इधर जेम्स भी बड़ा हो गया था अपनी शिक्षा पूरी कर चुका था । जॉन ने बेटे को भी काम सिखाना शुरू कर दिया था । धीरे धीरे जेम्स बे पूरा काम सँभाल लिया था। एना और जॉन बहुत खुश थे बेटे को इस तरह काम करते देख कर! एना और जॉन में अपने बेटे के लिए लड़की भी देख ली थी। जेम्स कि शादी शैरी से हो गयी । शैरी बहुत अच्छी लड़की थी बहुत ख्याल रखती थी एना और जॉन का। अब दोनों बहुत खुश थे, ज़िम्मेदारी से भी मुक्त हो गए थे। अब उनका ज़्यादा से ज़्यादा समय साथ ही बीत रहा था। शैरी अक्सर उनसे पूछती थी कि," आप एक दूसरे से कभी लड़ते भी नहीं हो, घंटो बातें करते हो बोर नहीं होते ऐसा क्यों? जेम्स ने भी बताया आप रोज़ ऐसे ही बैठते हो साथ, वो दोनों बस हँस कर टाल देते थे। बहुत कुछ समय के साथ बदला, लेकिन नहीं बदला था तो वो उनका साथ में समय बिताना अपनी सबसे प्यारी जगह, पर जहाँ वो अपने सुनहरे पलों को याद करते थे। आज एना और जेम्स दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके प्यार की मिसाल देती वो दो कुर्सियां आज भी वहीँ मौजूद हैं उनकी खूबसूरत प्रेम कहानी की गवाह बनकर। कोई नहीं जानता कि उनमें क्या बात होती थी, लेकिन शायद कोई जानता है तो बस वो बेजान पड़ी कुर्सियां जो बरसों से गवाह हैं उनकी प्रेम कहानी की ।


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