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Anita Sharma

Tragedy

4.3  

Anita Sharma

Tragedy

प्यार के रंग हज़ार

प्यार के रंग हज़ार

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चुलबुल नाम के अनुसार बहुत चुलबुली लड़की थी। बचपन से ही बड़े बड़े सपने देखा करती थी।बड़ी ज़िंदादिल लड़की थी, लेकिन कभी ज़िन्दगी ऐसे मोड़ पर ला देती है जहाँ रास्ते तो कई दीखते हैं,पर कदम ठिठक जाते हैं..ज़िन्दगी थम सी जाती चुलबुल भी क्या जानती थीं,जब उसकी शादी हो गयी।

ब्याह तो हो गया था पर गौना नहीं किया था,पिताजी ने!

बाल विवाह जो हुआ था चुलबुल का,जब विदाई का वक़्त करीब आया चुलबुल बहुत खुश थीं। आखिर पिया घर जो जाना था उसको ।जवानी की दहलीज़ पर अभी कदम जो रखा था उसने,हज़ारों सपने लिए विदाई हो गयी थीं उसकी,लेकिन शायद होनी को कुछ और ही मंज़ूर था, सफर ज़िन्दगी का शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो जाएगा उसको इस बात का इल्म ही नहीं था।

रास्ते में ही डाकुओं ने धावा बोल दिया था,जिसमें उसके पति को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा,जहाँ स्वागत सत्कार की तैयारियां चल रही थीं,वहां सन्नाटा पसर गया था कोई आवाज़ आती तो बस करुण क्रंदन की, ऐसी चीत्कार सुनकर दिल दहल जाए, बेचारी चुलबुल जो हज़ारों सपने लेकर खुशियां समेटे घर से निकली थी,आज सारे रंग उतर गए थे उसकी ज़िन्दगी मिली तो बस मनहूस होने की ज़िल्लत और सफ़ेद वस्त्र मुडा हुआ सर और घर की काल कुठरिया सब कुछ शुरू होने से पहले ख़तम हो गया। कैसी विडम्बना है एक स्त्री की ज़िन्दगी में वो बस यही सोचती रहती?कुछ साल ऐसे ही बीत गए बस घर में काम के अलावा उसकी ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं था ।लेकिन शायद ईश्वर ने उसकी ज़िन्दगी में कुछ और भी लिखा था। गाँव का ही एक युवक शहर से डॉक्टरी पढ़ कर लौटा था। एक दिन चुलबुल के ससुर कि अचानक तबीयत ख़राब होने के कारण उसके घर पर डॉक्टर का आना हुआ,यही से पहली मुलाकात हुई डॉक्टर कि चुलबुल से हालाँकि चुलबुल को देखा नहीं था । डॉक्टर

ने फिर भी न जाने क्यों उसको चुलबुल का एहसास उसको महसूस होने लगा था उसने मन बना लिया था कि वो बात करके ही रहेगा ।बस एक दिन उसने निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाने की घोषणा करवा दी और सभी से आग्रह किया की ज़रूर इसका लाभ उठाएं बस वो पल भी आ गया जब उसका सामना चुलबुल से हो गया जांच करते समय अचानक चुलबुल का घूँघट उतर गया और डॉक्टर केशव उसको देखता रह गया बेहद खूबसूरत थी चुलबुल।


यहीं डॉक्टर केशव ने ठान लिया था कि चुलबुल की ज़िन्दगी मैं अब वो रंग भरेगा बस अब तो जैसे किसी न किसी बहाने वो चुलबुल से मिलने की कोशिश करने लगा । कहते हैं न गांव मैं बात का बतंगड़ बनते देर नहीं लगी लोगों मैं सुगबुगाहट शुरू हो गयी थी। बात उड़ते उड़ते उसके ससुर के कानो तक पहुँच गयी थी चुलबुल पर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था । गांव मैं पंचायत बुलायी गयी बहुत शर्मिन्दगी महसूस कर रही न जाने कैसे कैसे ताने उसको दिए जा रहे थे ।एक कोने मैं खड़ी चुलबुल रो रही थी ।उसकी गलती कोई थी ही नहीं बस डॉक्टर केशव को बुलाया गया तो वो दंग रह गया उसने तपाक सीधे जवाब"आखिर किस दुनिया मैं जी रहे हैं आप लोग क्या स्त्री का वजूद नहीं है इसमें उसकी क्या गलती है की उसके पति की मृत्यु हो गयी उसको ज़िम्मेदार ठहराने का क्या मतलब? और रही प्यार की बात तो हाँ मैं करता हूँ उससे प्यार और मैं उससे विवाह करने के लिए तैयार हूँ ।इसमें उसको बदचलन कुलटा कहने से आप सम्मानित नहीं हो जाएंगे। माफ़ कीजियेगा लेकिन में इन रूढ़िवादी विचारों की नहीं मानता। केशव ने ये कहते हुए चुलबुल का हाथ थामा और निकल गया उसको लेकर सारी बेड़ियों से दूर उस पिंजरे से आज़ाद चुलबुल की ज़िन्दगी में ज़िन्दगी के सारे रंग भर दिए थे डॉक्टर केशव ने देर से ही सही चुलबुल आज केशव के प्यार में पूरी तरह से रंग चुकी थी।




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