वो कौन थी? भाग : १
वो कौन थी? भाग : १


मिथ्या
"उदित है?"
उसके सवाल का जवाब देने की बजाय मैं आश्चर्य के साथ उसके चेहरे और ऊँची कद काठी को देखता रहा।
"मिस्टर क्या उदित यहाँ है?" उसने दोबारा पूछा।
"वो कभी-कभी यहाँ आता है।" मैंने उसके चेहरे से आँखें हटाते हुए कहा।
"कहाँ मिल सकता है?"
"कहना मुश्किल है…"
वो खामोश रहकर इधर उधर देखती रही।
"क्यों ढूंढ रही हो उसे?"
"तुम्हें नहीं बता सकती… एक गिलास पानी मिलेगा? उसने अपने चेहरे के पसीने को पोंछते हुए पूछा ।
"जरूर अभी लाता हूँ।"
मैंने रसोई में जाकर फ्रिज से एक बोतल पानी की निकली और एक गिलास लेकर बाहर आया। जैसे ही मैं बाहर जाने के लिए मुड़ा तो उसे अपने पीछे खड़ा पाया।
"बाहर बहुत गर्मी है, उम्मीद है आपने बुरा नहीं माना होगा।"
"नहीं…...नहीं, गलती मेरी है, मुझे आपको अंदर आने के लिए कहना चाहिए था ।" कहते हुए मैंने उसे पानी का गिलास दिया ।
उसने मुश्किल से एक घूंट पानी का पिया। लेकिन इस दौरान उसने तेजी से पूरे घर का मुआयना कर लिया, जैसे उसे किसी चीज़ की तलाश हो ।
फिर अचानक मुड़ कर पूछा, "तुम कौन हो?"
"मैं उसका रूम मेट हूँ, मेरा नाम विजय है।"
"क्या करते हो?"
"मैं एक उपन्यासकार हूँ…"
"कोई उपन्यास छपा अभी तक?"
"नहीं ।"
"यानि बेकार हो ।"
मैंने कंधे उचकाये ।
"गुजारा कैसे चलता है ।"
"ट्यूशन देता हूँ, उसी से गुजारा चल जाता है ।
"हूँ........जब उदित आये तो बता देना मिथ्या आयी हुई है।"
"मिथ्या?"
"नाम है मेरा…….मेरा उससे मिलना बहुत जरूरी है।" कहते हुए वो बाहर निकल गयी ।
हमला
मिथ्या के जाने के दो मिनट बाद तीन हट्टे - कट्टे मुस्टण्डे जबरदस्ती मेरे फ्लैट में घुस आये। उनके हाथों में लंबी-लंबी बैरल वाली रिवॉल्वर्स थी।
उनमें से एक दरवाज़े पर खड़ा हो गया, बाकी दो ने मुझे दीवार के साथ सटा कर तलाशी ली और रिवाल्वर मेरे पेट पर लगाते हुए पूछा, "क्यों बे वो तेरे पास क्यों आयी थी?"
"वो मेरे पास नहीं आयी थी, वो उदित से मिलने आयी थी।" मैंने बताया।
"झूठ बोलता है, बता क्या है तेरे पास जिसे वो लेने आयी थी?" उनमें से एक ने एक जबरदस्त घूसा मेरे पेट में मारते हुए पूछा ।
मैं दर्द से कराहते हुए जमीन पर गिर पड़ा तो उन्होंने मुझे ठोकरे मारनी शुरू कर दी ।
"जल्दी बोल नहीं तो मरने के लिए तैयार हो जा।" उनमे से एक ने अपनी रिवाल्वर का लॉक हटाते हुए बोला।
"मेरे पास कुछ नहीं है बताने को।" मैंने दर्द कराहते हुए जवाब दिया ।
"तो मर.......।"
मैं चलने वाली गोली का इंतजार कर रहा था । गोली तो नहीं चली लेकिन कमरे में कुछ गिरने की और फस्स की आवाज़ आयी और वो मुस्टण्डे बुरी तरह खांसने लगे। तभी एक मजबूत हाथ ने मुझे पकड़ कर उठाया और कहा, “भागो यहाँ से।” आवाज़ मिथ्या की थी।
मैं बुरी तरह खांसते हुए बाहर निकला। बाहर एक कार तैयार खड़ी थी जिसमे बैठ कर हम भाग निकले।
"……...मुझे पता था ये ज़रूर आएँगे इस लिए मैं वापिस आयी और तुम्हारी दुर्गति देखी।" उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
"ये दुर्गत भी तुम्हारी वजह से हो रही थी, न तुम यहाँ आती न ये बदमाश यहाँ आते।
"ये तो ज़रूर आते……...आज तुम्हारा दिन खराब है। अभी इनके और साथी आते होंगे ।”
खतरनाक अभियान
"क्या मुसीबत है; मैं गुस्से में बोला ।"
"तुम्हारी जान बचाई इसी बात की शिकायत है?"
"…...है शिकायत है, आज ही तुम आयी और मैं मरते- मरते बचा। और अब तुम्हारे साथ न जाने कहाँ जा रहा हूँ?"
"ड्राइवर गाड़ी रोको।” मिथ्या ने जोर से कहा।
कार एक झटके से रुक गयी।
"अब नीचे उतर…… भलाई का जमाना ही नहीं है ।" मिथ्या ने कार का दरवाजा खोलते हुए कहा ।
मैं नीचे उतरने वाला था कि एक कार तेजी से उसी और आती हुई देखी और मैं वापिस कार में बैठ गया।
"जब दिल करे उतर जाना, मुझे उदित की तलाश है, मैं तो उसे ढूंढ ही लूंगी लेकिन तू मदद करेगा तो थोड़ा जल्दी ढूंढ लूंगी।" मिथ्या ने कार की खिड़की से बाहर झांकते हुए कहा ।
"मुझे पता नहीं वो लफंगा कहाँ है।"
"गौर से सुन…... मेरा काम पैसा लेकर भगोड़ो को तलाश करना है। तेरा दोस्त एक शरीफ आदमी की लड़की के साथ प्यार का खेल करके भागा है, और लड़की बदकिस्मती से प्रेग्नेंट है। उसी आदमी ने मुझे उसे तलाश करने का काम सौंपा है। इस काम करने के मुझे जो पैसे मिले है अगर तुम मेरी मदद करो तो उनमे से पांच लाख तुम्हें भी दे सकती हूँ।
"लेकिन मुझे वास्तव में पता नहीं की उदित कहाँ है।"
"दस लाख ।” वो दाम बढ़ाते हुए बोली।
"मुझे उसके एक आध ठिकाने के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है।"
"वो जानकारी मुझे बता दो और दस हजार अभी लेकर यहाँ से चले जाओ, अगर वो उन जगहों पर मिल गया तो हम उसे पकड़ कर उस शरीफ आदमी के हवाले कर देंगे और तुम्हारा पांच लाख तुम्हें दे देंगे।" वो बड़े शांत स्वर में बोली।
"……. या फिर हमारे साथ चलकर उसे तलाश करने में मदद करो और उसके मिलने पर दस लाख ले लो ।" वो मुझे सोचता पाकर बोली ।
"आधा पैसा एडवांस दो तभी मैं तुम्हारे साथ चलूंगा।" मैं उसकी ओर देखते हुए बोला ।
"पचास हजार एडवांस में, बाकि तुम्हारी मर्ज़ी…… हम तुम्हारे जैसा कोई और ढूंढ लेंगे।
"पैसा निकालो ।"
मौत के धमाके
पूरे दिन मे उन्हें लेकर उन सभी जगह गया जहाँ उदित मिल सकता था। लेकिन वो कहीं नहीं मिला। फिर मैंने उन्हें उसके यमुना नगर स्थित घर चलने को कहा। मकान पर मोटा ताला लगा पाया। पड़ोसियों ने बतया की मकान के मालिक चार महीने पहले मुम्बई चले गए है ।
"तुम्हें उसका मुम्बई का पता मालूम है?" उसने पूछा ।
मैंने सर हिलाते हुए मना कर दिया ।
"…… कोई और पता मालूम है?"
"एक बार वो मजा मस्ती करने विल सिटी में गया था। उसने बतया था की विल सिटी के पास काली घाटी में काली नदी के तट पर एक ऊँची रिज है वही एक शानदार लॉज है, वही उसने मजा मस्ती की थी।"
"……विल सिटी यहाँ से ८०० कि. मी. है?"
"….. हाँ ।"
"आओ चलते है……"
हम अभी चलने के लिए मुड़े ही थे की सर्र की एक आवाज़ हुई और मकान का पलस्तर उखड कर नीचे आ गिरा।
"नीचे लेट जा ……" कहते हुए मिथ्या ने मुझे नीचे गिरा दिया और खुद नीचे गिरते हुए रिवाल्वर निकाल कर सामने की तरफ दो फायर किये, और किसी के चीखने की आवाज़ आयी।
"निकलो यहाँ से……" कहते हुए वो मेरा हाथ पकड़ कर कार की तरफ भागी ।
कार में हमारे बैठते ही ड्राइवर ने कार दौड़ा दी।
उसके हाथ में बड़ी बैरल की रिवॉल्वर थी जिसे उसने रीलोड किया और बार- बार पीछे की और देखने लगी। तभी एक कार तेज़ी से पीछे आती दिखी।
"तुम नीचे झुको ।" उसने मुझसे कहा।
"राहुल तुम कार को जल्दी से जल्दी हाईवे पर लो ।" उसने ड्राइवर से कहा ।
दस मिनट बाद हम हाईवे पर दौड़ रहे थे और दूसरी कार तेज़ी से हमें ओवरटेक करने की कोशिश कर रही थी।
"राहुल इन्हें ओवरटेक करने दो।" उसने ड्राइवर को इशारा किया ।
दो मिनट बाद पीछा करने वाली कार हमारे बगल में दौड़ रही थी उसमे पांच हथियार बंद आदमी थे। और हमपर निशाना लेने की कोशिश कर रहे थे।
"कार रोको राहुल।" कहते हुए उसने पीछा करने वाली कार के ड्राइवर पर गोली चलाई। जिससे उस कार का बैलेंस बिगड़ गया और वो एक पेड़ से जा टकराई। एक जोर के धमाके के साथ कार में आग लग गयी । उसके सवारों का क्या हुआ देखने के लिए हम नहीं रुके और तेज़ी से आगे बढ़ गए ।
(क्रमशः)