वो दिन...
वो दिन...
एक वो हैँ सनम कि कुछ कहते नहीं,
एक उनकी यादें हैं जो चुप रहती नहीं....
,,,,,, एक बार फिर सब कुछ जेहन में आ गया... जब दोबारा उसी जगह पहुंच गए.... ऐसी ही कुछ ठण्डी कुछ गर्म सी शाम जो थोड़ी गहरी हो चुकी थी,,,, धड़कते दिल से उन्हें कॉल किया था,,,, जैसे ही उनकी आवाज कानों पर पड़ी... लगा कि दिल उछल कर बाहर आ जाएगा,,, उफ्फ,, कितना गम्भीर और निश्छल सा अंदाज था अभिवादन का... हम तो अपनी बेतरतीब सी धड़कनों को सम्भाल ही नहीं पाए... ना जाने उन्होंने क्या क्या पूछा,,, क्या क्या बातेँ की,,, कुछ भी होश नहीं,,
और फिर तो ना दिन का पता न रात का एहसास... जब भी फ्री होते,, बस जुड़ जाते उनसे मोबाइल के द्वारा,,, कल से बेहद याद आ रहे हैं वो दिन वो रात,, जब हमारे बीच कितनी बातें होतीं थी.. एक खूबसूरत रिश्ता परवान चढ़ रहा था,, वैसे जुड़े तो और भी कुछ लोग,, पर इस एक रिश्ते ने हमारी जिंदगी बदल दी,,, जिंदगी के मायने बदल दिए,,, जिंदगी जीने का तरीका बदल दिया,,,
उस रिश्ते के साथ हम इतनी दूर निकल आए की अब बस आगे ही बढ़ते रहना है,, उनका साथ उनका प्यार जिंदगी में बना रहे बस यहि शिव से चाहते हैं,,,
सब कुछ एक चलचित्र की तरह आ रहा है,,, काश! ऐसा होता कि फिर से उन दिनों को जी पाते।