विश्वासघाती
विश्वासघाती
काजल ने जल्दी से अपने फ्लेट का दरवाज़ा खोला और पैर पटकते हुए कुर्सी पर आकर बैठ गयी। उसका चेहरा गुस्से से तिलमिला रहा था और आँखें भीगी हुई थी। उसने कदाचित स्वयं को इतना अपमानित नही पाया था। उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढ़का मानो उस अपमान के विष-बाण से बचने का प्रयत्न कर रही हो। अगले ही क्षण उसका क्रोध अश्रु-धारा बन कर उमड़ पड़ा।
"अगर तुम बिना विवाह किए मेरे साथ रह सकती हो तो बहुतों के साथ रह चुकी होगी। मैं कैसे तुम पर विश्वास करूँ?"
रजत की कही हुई बात काजल के कानों पर वज्रपात की तरह पड़ी।
काजल को 3 साल पहले का वह दिन याद आया जब वह अपने कार्यालय में पहली बार रजत से मिली थी। जल्द ही उनकी मित्रता हो गयी। फ़िर एक दिन रजत की आँखों में उसे अपने लिए प्यार नज़र आया। उन दिनों वस कैसे पागलों की तरह काजल के आस-पास घूमा करता था। फूलों और उपहारों से उसे रिझाने की कोशिश करता था। आखिर वह रजत के प्रेम-पाश में बंध ही गयी और उन्होने साथ रहने का फैसला किया।
3 साल साथ रहने के उपरांत काजल अब उसके लिए एकाएक कलंकिनी हो गयी? क्या यही था उसका प्यार ? नहीं, सत्य तो कुछ और ही है। और काजल भली-भाँति अवगत थी सत्य से। रजत के लिए एक धनिक उद्योगपति की इकलोती पुत्री के साथ विवाह का प्रस्ताव आया था। और इस कारणवश वह काजल को अपने जीवन से निकाल फ़ेंकना चाहता था।
"तो ठीक है!" काजल ने अपने आँसू पोछे, "ऐसे विश्वासघाती के लिए मेरे जीवन में भी कोई स्थान नही है!"
काजल उठी और उसने फ्लेट में पड़े रजत के वस्त्र एवं अन्य वस्तुओं को एकत्र किया और उनको अग्नि की भेंट चढ़ा दी। उसे दुख अवश्य हुआ किन्तु वह जानती थी यह अनिवार्य था जीवन में आगे बढ़ने के लिए।