Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Jisha Rajesh

Drama

4  

Jisha Rajesh

Drama

मेरोजी राजवंश

मेरोजी राजवंश

10 mins
24K


एक ज़ोरदार चीख सुनकर रिया ने झट से आंखें खोलीं। उसके दिल की धड़कने तेज़ थी और वो पसीने में नहायी हुई थी। उसकी सांसें भी तेज़ी से चल रहीं थी। रिया ने कमरे की बत्तियाँ जलाई और चारों तरफ देखा।

"क्या हुआ, रिया ?" रिया के साथ वाले बिस्तर पर सोई हुई सोनिया उठ गयी और उसने आँखें मलते हुए पूछा।

"मैंने अभी कईं लोगों को एक साथ चीखते हुआ सुना।" रिया हाँफते हुए बोली।

"तुमने कोई सपना देखा होगा।" सोनिया ने रिया के कंधे पर हाथ रखा और कहा, "यहाँ कोई नहीं है। रात बहुत हो चुकी है। अब सो जाओ। कल सुबह हमें जल्दी उठना है। आज तो स्टडी टूर का पहला दिन ही हुआ है। और, भी तो बहुत सारी जगह जाना है।"

"हाँ, तुम ठीक कहती हो।" रिया ने कमरे की लाइट बंद कर दी और सोने की कोशिश की।

 रिया अपने कॉलेज की दूसरी छात्राओं के साथ स्टडी टूर पर आयी थी। वे लोग पुराने किले और इमारतों पर शोध कर रहे थे। आज उन्होंने एक बहुत पुराना किला देखा था। उस किले में घूमते हुए रिया को ऐसा लगा जैसे उस किले से रिया का कोई बहुत पुराना रिश्ता है। रात को उनके ठहरने का इंतज़ाम किले के पास वाले होटल में ही किया गया था। रिया को बहुत कोशिश करने के बाद भी जब नींद न आयी तो वो उठी और खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गयी। खिड़की से वो किला साफ़ नज़र आ रहा था। न जाने वो कितने वर्षों से, वो किला, गुमनामी की चादर के पीछे छुपा बैठा था। रिया ने उस किले को देखा तो ऐसा लगा जैसे वो किला उसे सम्मोहित कर रहा हो। अँधेरे की घनी परत के पीछे, वो किला चुप-चाप खड़ा था। रिया न जाने कितनी देर, उस किले को बस देखती ही रह गयी। अचानक, उसे बहुत सारे लोगों के एक साथ चीखने की आवाज़ फिर से सुनाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे उन लोगो को बहुत निर्मम यातनाएं दी जा रहीं हों और वे दर्द से कराह रहे हों। रिया से उनका दर्द बर्दाश्त न हुआ और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिया। फिर, उसने पलटकर सोनिया को देखा। सोनिया आराम से सो रही थी जैसे ये चीखें उसे सुनाई ही ना दे रही हों। ये ख़याल आते ही रिया का दिल और ज़ोरों से धड़कने लगा की उन चीखों को सिर्फ वो ही क्यों सुन सकती थी। रिया ने इस राज़ पर से पर्दा हटाने की ठान ली। उसने कानों पर से हाथ हटाया और ध्यान से सुना। वो चीखें किले की तरफ से आ रहीं थीं।

"मैं उस किले में जाकर देखती हूँ।" रिया ने अपने गाउन के ऊपर शॉल ओढ़ते हुए खुद से कहा, "देखूं तो सही की आखिर वहां हो क्या रहा है।"

बाहर अँधेरा काफी घना था और रात भी काफी हो चुकी थी। इस वक़्त, उसे अकेले बाहर जाते हुए डर लग रहा था। पहले उसने सोचा की सोनिया को साथ ले चले। पर फिर उसे ख़याल आया की जब सोनिया ये चीखें सुन ही नहीं सकती तो वो उससे क्या कहे ? रिया पल भर के लिए हिचकिचाई। लेकिन, फिर उसने हिम्मत की और हाथों में टोर्च लिए, अकेले ही होटल से बाहर निकल आयी।

बाहर ठंडी हवा चल रही थी। चारों तरफ सन्नाटा था। रिया जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाते हुए किले की तरफ चली। किला अब एकदम खामोश खड़ा था। पल भर के लिए रिया को लगा की उसने जो चीखें सुनी, कहीं वो उसका वहम तो नहीं। लेकिन, तब तक वह किले के अंदर प्रवेश कर चुकी थी। अंदर अँधेरा और भी ज़्यादा था। रिया ने टोर्च जलाई और चारों तरफ देखा। किला एकदम शांत था और कहीं कोई हलचल नहीं थी। कुछ पल बीत जाने के बाद रिया को विश्वास हो गया की वहां कुछ भी नहीं है। रिया वापस होटल लौटने को मुड़ी ही थी वे चीखें रात के सन्नाटे को चीरती हुई फिर से गूंजी। उन चीखों को सुनकर रिया का दिल दहल गया। दो क्षण बाद, वे चीखें रुक गयीं और सारा वातावरण फिर से शांत हो गया। वो चीखें किले के निचले भाग से आ रहीं थी। सुबह जब वे लोग इस किले में आये थे तो उनके साथ आये गाइड ने बताया था की नीचे तहखाना है। रिया की तहखाना देखने की बड़ी इच्छा थी मगर उसकी प्रोफेसर ने मना कर दिया। अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था।

रिया नीचे की तरफ जाती सीढ़यां उतरने लगी। सीढ़ियाँ उतरने के बाद वो एक गलियारा से होकर गुज़री और एक बड़े से कमरे में आ गयी। रिया ने उस कमरे को टोर्च की रोशनी में ध्यान से देखा। वो कमरा जालियों से भरा हुआ था और उसकी छत से चमगादड़ लटके हुए थे। अचानक, वे चीखें फिर से गूँज उठी और रिया के हाथों से टोर्च गिर गया। चीखों के बंद होते ही उसने टोर्च उठा लिया। कमरे के एक तरफ, एक बड़ा सा दरवाज़ा था। वो भयानक चीखें दरवाज़े के पीछे से ही आ रही थी। रिया ने डरते हुए, धीरे से, उस और कदम बढ़ाये। रिया ने उसे खोलने की बहुत कोशिश की पर वो खुला नहीं। रिया ने बहुत ज़ोर लगाया और आखिर में, वो दरवाज़ा एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ खुल गया। उस दरवाज़े के पीछे कईं डिब्बियां रखी हुई थी। उन डिब्बियों से अलग-अलग रंग का प्रकाश निकल रहा था। रिया ने उन्हें छूकर देखने को हाथ बढ़ाया ही था की वो दर्दनाक चीखें फिर से गूँजी। लेकिन, इस बार वे बहुत तीव्र थीं। रिया को लगा वो चीखें उसे पागल कर देंगीं। उसका सर चकराने लगा। उसने अपने कानों पर हाथ रखा और उस कमरे से बाहर भाग गयी। कमरे के दरवाज़े पर वो अँधेरे में किसी से टकराई और डर के मारे चिल्लाने लगी।

"रिया," सोनिया ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, "मैं हूँ, सोनिया। घबराओ मत।"

"ओह ! सोनिया," रिया ने रोते हुए सोनिया को गले से लगा लिया। "अच्छा हुआ, तुम आ गयी।"

"लेकिन तुम इतनी रात गए यहाँ क्या कर रही हो ?"

"मैं तुम्हे सब बताती हूँ," रिया ने घबराई हुई नज़रों से किले की उन टूटी-फूटी दीवारों को देखा और कहा, "पहले यहाँ से बाहर निकालो।"

"मैंने तो कुछ नहीं सुना," वापस अपने कमरे में पहुँचने के बाद सोनिया ने कहा।

"लेकिन, मुझे वो भयानक चीखें, साफ़-साफ़ सुनाई देतीं हैं।" रिया परेशान होकर कमरे में चहल-कदमी करने लगी। "उन चीखों ने मेरी आत्मा को छलनी कर के रख दिया है। वो चीखें न मुझे चैन से जीने देती हैं, न ही आराम से सोने देती हैं। लेकिन, सवाल ये है की ये चीखें मुझे ही क्यों सुनाई देती हैं ?"

"अब तो केवल एक ही व्यक्ति हमारी मदद कर सकते हैं।"

"कौन ?"

"मेरे पापा के एक दोस्त यहाँ पास ही के कॉलेज में पढ़ाते हैं।" सोनिया ने रिया का हाथ पकड़कर उसे अपने पास बिठाया और कहा, "वो वास्तु शस्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्होंने ऐसी अलौकिक शक्तियों पर काफी अनुसंधान किया है। उनके पास ऐसे कईं उपकरण हैं, जिनके ज़रिये वे इन अदृश्य शक्तियों के साथ संपर्क स्थापित कर सकते है। उनका नाम प्रोफेसर केदारनाथ शास्त्री हैं। एक काम करते हैं, हम कल ही उनसे मिलने चलते हैं।"

"हाँ, ये ठीक रहेगा।" रिया को उम्मीद की एक किरण दिखाई दी।

अगले दिन सुबह ही सोनिया, रिया को साथ लेकर प्रोफेसर शास्त्री से मिलने गयी। उसने, रिया के साथ बीती रात हुई अद्भुत घटना का पूरा ब्यौरा, उन्हें दिया| प्रोफेसर शास्त्री, उन लड़कियों की मदद करने को फ़ौरन तैयार हुए। उन्होंने अपने कुछ विशेष उपकरणों को एक बक्से में डाला और उनके साथ किले की तरफ रवाना हो गए। वे तीनों सीधा तहखाने गए। वहां दिन में भी अँधेरा था। प्रोफेसर शास्त्री ने अपने बक्से में से कुछ मोमबत्तियाँ निकाली और उन्हें तहखाने की फर्श पर जला दिया। वे तीनों उन मोमबत्तियों के पास ही घेरा बनाकर बैठ गए। प्रोफेसर शास्त्री ने बक्से में से कुछ उपकरण निकाले और उन्हें फर्श पर रख दिया। फिर, उन्होंने अपने हाथ उन उपकरणों पर रखे और आँखें बंद कर ध्यान में लीन हो गए। कुछ देर बाद, उन उपकरणों से तेज़ प्रकाश आने लगा और पूरा तहखाना रोशन हो गया। कुछ क्षण बाद, प्रोफेसर शास्त्री का शरीर इस तरह काँपने लगा जैसे उन्हें बिजली के झटके लग रहे हो। ये देखकर सोनिया और रिया डर गए। परन्तु, प्रोफेसर शास्त्री ने उन्हें पहले से ही हिदायत दे रखी थी की जब वे उन अलौकिक शक्तियों के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हों, तब वे दोनों किसी प्रकार की बाधा न डालें। इसलिए, रिया और सोनिया, डरी हुई नज़रों से उन्हें देखती ही रही। थोड़ी देर में उनकी कंप -कँपी शांत हो गयी और वे फिर से पूर्वस्थिति में आ गये। शास्त्री ने धीरे से आंखें खोली और उन दोनों लड़कियों को देखकर मुस्कुराये।

"मुझे उन चीखों का रहस्य पता चल गया है, रिया।" शास्त्री ने कहा।

"वो रहस्य क्या है ?" सोनिया अपनी उत्सुकता को नियंत्रित नहीं कर पायी और फट से बोली, "बताई ना, प्रोफेसर साहब।"

"इन चीखों का सम्बन्ध तुम्हारे पिछले जन्म से है।"

"पिछला जन्म ?" दोनों लड़कियों ने एक साथ पूछा।

"हाँ," शास्त्री ने तहखाने की दीवारों को देखते हुए कहा, "सदियों पहले, यहाँ मेरोजी राजवंश राज करता था। ये किला उनका है। मेरोजी राजवंश अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात था। उन्होंने अपनी प्रजा के कल्याण के लिए कोई कार्य नहीं किया। कभी उनके हित की नहीं सोची। और केवल इतना ही नहीं, वे अपनी प्रजा पर तरह - तरह के जुल्म करते थे। उन पर तरह-तरह के कर लगते और अपना राजकोष भरते थे। बेचारी जनता का गुज़ारा बहुत मुश्किल से होता था। वो अपना पेट काट-काटकर कर भरती थी।" 

"तुम्हारा नाम, राजकुमारी नूपुरमणि था। तुम्हारे पिता, चन्द्रसेन, मेरोजी राजवंश के क्रूर राजाओं में सबसे घृणित थे। उनसे उनकी प्रजा त्रसित थी। इसलिए, प्रजा की रक्षा करने का बीड़ा तुमने उठाया। तुमने अपने कुछ विश्वस्त सैनिकों को साथ लिया और राजकोष में चोरी की। तुम्हे जो धन प्राप्त हुआ वो तुमने गरीब प्रजा में बाँट दिया। ये सिलसिला कईं वर्षों तक चला। आखिर, राजा चनद्रसेन को शक हुआ और उन्होंने राजकोष की सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम कर दिये। एक दिन, तुम जब अपने सैनिकों के साथ राजकोष में चोरी करने गयी तो उन्होंने तुम्हे डाकू समझा और मौत के घाट उतार दिया। जब तुम्हारे पिता को इस बात का पता चला तो उन्होंने आत्महत्या कर ली। उनके बाद जो राजा आये, उन्होंने भी प्रजा पर अत्याचार ही किये। एक राजा का सबसे बड़ा धर्म होता है, प्रजा का पालन करना। राजधर्म न निभाने की वजह से, मेरोजी राजवंश के राजाओं की आत्माओं को मुक्ति न मिली और वे इसी किले में कैद हो गयीं। प्रजा पर उन्होंने इतने अत्याचार किये, की यहाँ की प्रजा ने उन्हें शाप दे डाला। इस शाप के कारण, इन राजाओ ने अपने जीवन काल में जो पीड़ा अपनी प्रजा को दी थी, अब वही पीड़ा, किले में कैद उनकी आत्माएं भुगत रहीं हैं। वो उनके ही चीखने की आवाज़ें है, जो तुमने कल रात को सुनी।"

"पर, वो चीखें मुझे क्यों सुनाई देती हैं ?" रिया ने पूछा, "मैंने तो प्रजा पर कोई ज़ुल्म नहीं किया, बल्कि उनकी सहायता ही की है।"

"इसके दो कारण हैं।" शास्त्री बोले, "पहला ये, की अपने पुरखों को इस पीड़ा से तुम्हे मुक्त करना होगा। तुम्हे उनके पापों का प्रयश्चित करके, उनकी आत्माओं को इस यातना से मुक्त करना होगा। दूसरा ये, की प्रजा - कल्याण का जो बीड़ा तुमने उठाया था वो असमयिक मृत्यु हो जाने के कारण, तुम पूरा नहीं कर सकी। अब, तुम्हे वो काम, इस जन्म में करना होगा।"

"लेकिन, " रिया ने बड़े आश्चर्य से शास्त्री को देखा, "इस जन्म में, मैं क्या कर सकती हूँ। मैं अब राजकुमारी नहीं रही। राज-काज देखने का मुझे कोई अधिकार नहीं। मैं तो केवल एक आम नागरिक हूँ।"

"हम आम नागरिकों के चाहने से ही इस देश की पिछड़ी जनता का उद्धार होगा, रिया।" शास्त्री ने बड़े प्यार से रिया के सर पर हाथ फेरा और कहा, "यहाँ आस-पास के गाँवों में न बिजली है, न पानी, न ही कोई और सुविधायें हैं। वे लोग पढ़े - लिखे भी नहीं हैं। इसलिए, वे अपने हक़ के लिए आवाज़ नहीं उठा सकते। उन्हें नहीं मालूम की उनके क्या अधिकार हैं और इन्हे पाने के लिए क्या करना होगा। सरकारी योजनाओ का लाभ, ऐसे पिछड़े इलाकों की गरीब जनता तक पहुँच ही नहीं पता। सरकार और इन अनपढ़ लोगो के बीच जो खायी है, तुम्हे उस पर पुल बनाने का काम करना होगा। तुम्हे इन्हे, इनके अधिकारों से अवगत करना होगा और सरकार को इनकी आवश्यकताओं से।"

"आप ठीक कहते है, सर।" रिया को लगा जैसे उसके जीवन को एक नयी दिशा मिल गयी हो।

रिया, सोनिया और उनके सहपाठियों ने घर-घर जाकर, लोगों को सरकारी योजनाओ के बारे बताया और उनका लाभ उठाने का मार्ग भी बताया। और साथ ही, उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की जिसमे इन गरीब गाँववालों की ज़रूरतों का पूरा ब्यौरा था। उन्होंने ये रिपोर्ट सरकारी अफसरों तक पहुंचाई। कुछ ही सालों में, इन गावों में बिजली, पीने का स्वच्छ पानी, स्कूल, अस्पताल, सब की व्यवस्था हो गयी। किसानों के पास अब अच्छी पैदावार देने वाले बीज, खाद व खेती के आधुनिक उपकरण पहुंचा दिए गए थे। अब, उन गावों में, चारों और लहराते हरे-भरे खेत थे और गावंवालों के मन मे ढेर सारी खुशियां थी। रिया भी खुश थी क्यूंकि अब उसे मेरोजी किले से चीखें नहीं सुनाई देती थी। आखिरकार, उसने अपने अथक परिश्रम से अपने पुरखों को उस यातना से मोक्ष दिला ही दिया।


Rate this content
Log in

More hindi story from Jisha Rajesh

Similar hindi story from Drama