Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy

वासना पूर्ति पात्र

वासना पूर्ति पात्र

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मम्मी पापा और छोटी बहन, मामा जी के बेटे के विवाह कार्यक्रम में तीन दिन के लिए इंदौर गए हुए थे। मेरी परीक्षा, कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 15 दिन बाद होनी थी। अतः मैं आशीष भैया की शादी में जाना चाहते हुए भी नहीं गया था। 

यह ऐसे कम ही अवसरों में से एक था जब मुझे घर में अकेला रहना पड़ा था। 

पापा-मम्मी और बहन स्टेशन के लिए रात 8.30 को घर से निकले थे। 

मैं सोच रहा था कि घर में अगले 3 दिन पढ़ने के लिए बिलकुल अकेला हूँ। क्यों ना आज रात कोई अच्छी सी मूवी देखी जाए और फिर अगले दिनों में लगन से पढ़ा जाए। 

यह तय कर लेने के बाद, मैंने उन मूवी के नाम पर विचार किया था जिनकी अपने फ्रेंड्स के बीच में तारीफ सुनी थी । फिर निर्णय लिया कि घर में सबके होते जो मूवी देखना संभव नहीं होता, उनमें से एक 18+ वाली मूवी देखने का यह सही मौका है। मैंने यह मूवी नेटफ्लिक्स पर लगा ली थी। 

मूवी के बारे में मैंने जैसी फ्रेंड्स से तारीफ सुनी थी, सच में वह वैसी ही थी। यह ग्यारह बजे खत्म हो गई थी। इसके बाद पढ़ने बैठने के पहले, मम्मी ने मेरे लिए बना कर रखे भोजन का डिनर लिया था। फिर जब मैं पढ़ने के लिए रीडिंग टेबल पर बैठा तो मूवी के कुछ दृश्य मेरी आँखों के सामने बार बार आ जाने से, मैं एकाग्र चित्त नहीं हो पा रहा था। 

अंततः पढ़ने का विचार टाल कर मैं सोने चला गया था। बिस्तर पर नींद लगने के पूर्व तक उन्हीं दृश्यों को सोच कर मैं रोमांचित एवं आवेशित होता रहा था। अगली सुबह मेरी नींद डोर बेल की ध्वनि की गूँज से खुली थी। मैं अंगड़ाई लेकर बेड से उठा था। 

आँखें मलते हुए मैंने दरवाजा खोला तो सामने हमारी मैड जिया खड़ी थी। मैंने उसे अंदर आने दिया था। वह मेरी ओर देख कर मुस्कुराई थी और फिर अपने काम करने के लिए किचन की तरफ बढ़ गई थी। मैंने दरवाजा लॉक किया और मैं दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होने के लिए वॉशरूम में आ गया था। टॉयलेट के बाद मैं जब दाँत ब्रश करने लगा तो शीशे में देखते हुए, मुझे पुनः रात देखी मूवी के दृश्य याद आने लगे थे। जो नहीं हुआ था आज वह हुआ था। मैं पहली बार जिया को उन दृश्यों में देखने लगा था। 

जिया मुझसे 6-7 साल बड़ी और लगभग 25 वर्ष की विवाहित युवती थी। मैं उसका विचार झटक देना चाह रहा था मगर वह विचार अब जैसे मेरे मन में जम सा गया था। 

मैं वॉशरूम से आकर काफी बनाने के लिए किचन की तरफ जा रहा था। तब जिया लिविंग रूम में पोछा लगाती दिखी थे। मेरी दृष्टि उसकी देहयष्टि पर जम सी गई थी। फिर सप्रयास मैंने अपनी दृष्टि हटाई और स्वयं को धिक्कारते हुए किचन में आ गया था। फ्रिज से पतीली में दूध लेकर, मैंने गैस बर्नर ऑन किया था। इस सब की ध्वनि सुनकर जिया किचन में आ गई। 

उसने पूछा - बाबा क्या बनाना है, क्या मैं बना दूँ? 

जिया सामान्यतः किचन में इस तरह के काम नहीं करती है। शायद उसने मेरी आदत न होने का ध्यान रखकर यह पूछा था। 

मैंने कहा - मैं कॉफी बना रहा था अगर आप बना देती हो तो एक कप अपने लिए भी बना लो और फ्रिज से कुछ स्लाइस लेकर ब्रेड-बटर तैयार कर लो।  

जिया ने कहा - जी, बाबा। 

फिर वह इस काम में लग गई थी। मैं तिरछी नजरों से पुनः उसे निहारते हुए, किचन से निकल कर सोफे पर आ बैठा था। बैठे हुए भी मैं जिया के ख्यालों में ही था तब ट्रे में लेकर वह मेरी कॉफी एवं ब्रेड का नाश्ता सेंटर टेबल पर रख रही थी। 

उसके झुके शरीर पर मेरी नजर चिपक गई थी। फिर जब वह जाने को मुड़ी तो अचानक मैं अपने पर से नियंत्रण खोकर उठ खड़ा हुआ एवं जिया की कलाई पकड़ कर, मैंने अपने सीने से भींच लिया था। 

जिया के लिए मेरी यह हरकत अप्रत्याशित थी। वह जब समझ पाई तो उसने कहा - बाबा, मुझे छोड़ो। मैं पीरियड्स से हूँ। 

इन शब्दों से जैसे मैं होश में आया था। मैंने उसे छोड़ा और अपनी आँखे झुका लीं थीं। अपनी बड़ी गलती का एहसास होते ही, मैं उससे आँखे मिलाने की स्थिति में नहीं रहा था। वह उदास सी होकर मेरे सामने से चली गई थी। 

बाद में उसने गंभीर रहकर अपने काम किए थे। इस बीच मेरे नाश्ते-कॉफी के खाली किए डिश भी उठा ले गई थी। मैं अनमना होकर अपनी रीडिंग टेबल पर आ बैठा था। कई तरह की चिंताओं में पड़ जाने से, मैं पढ़ने में ध्यान नहीं लगा पा रहा था। 

जिया का जब काम पूर्ण हुआ तो वह जाने के पहले मेरे सामने आकर, मुझसे रूखे स्वर में बता रही थी - बाबा, सब काम हो गए हैं, मैं जा रही हूँ। 

उत्तर में मेरी वाणी मुखरित ही नहीं हो पाई थी। मैंने सिर हिला कर हामी भर दी थी। 

फिर दिन भर मेरे मन में रह रहकर बुरे विचार आ रहे थे। जिया लगभग पाँच वर्षों से हमारे घर काम कर रही थी। मैं सोच रहा था कि मेरी आज की करतूत के कारण इसने अगर काम छोड़ दिया तो मम्मी को बहुत परेशानी हो जाएगी। 

मैं इस बात की चिंता में भी डूबा रहा था कि जिया ने यदि मम्मी या किसी से यह बता दिया तो मैं कितना निकृष्ट लड़का सिद्ध हो जाऊँगा। 

मैं दिन भर स्वयं को धिक्कारते रहा था कि यदि मैं अपने पर यूँ नियंत्रण खो देने वाला लड़का हूँ तो मुझे उत्तेजना से भर देने वाली कोई भी मूवी देखने से बचना चाहिए। 

मैं सोच रहा ऐसी मूवी को भारत में 18+ के लिए नहीं अपितु “विवाहितों के लिए उपयुक्त” श्रेणी का सर्टिफिकेट देना चाहिए। 

मैं आशीष भैया के विवाह में इसलिए नहीं गया था ताकि मैं क्लैट के लिए अधिक पढ़ पाऊँ। मैंने अपनी ओछी हरकत से पूरा एक दिन और दो रात खराब कर दी थी। मुझे यह चिंता भी रही थी कि जिया कल सुबह काम के लिए आती है या नहीं। 

रात मुझे बहुत देर में नींद आ पाई थी। अगली सुबह डोर बेल की ध्वनि गूँजी और मैं उठा था। उठते ही मुझे जिया का विचार आ गया था। मैं यह मनाते हुए दरवाजे पर गया था कि भगवान यह जिया ही हो। 

दरवाजा खोला तो मैं निराश हुआ था। बिग बास्केट वाला व्यक्ति दूध के पैकेट्स लिए खड़ा था। मैंने उदास भाव से उससे पैकेट्स लिए एवं दरवाजा बंद करके पैकेट्स फ्रिज में रखे थे। तभी फिर डोर बेल गूँजी थी। दरवाजा खोला तो इस बार जिया थी। वह अपने मुख पर गंभीरता ओढ़े हुए थी। अंदर आकर वह नित्य की तरह अपने काम करने लगी थी। 

इससे मैं इस बात से आश्वस्त हो गया था कि वह कल की घटना से, कम से कम हमारे घर का काम तो नहीं छोड़ने वाली है। मैं वॉशरूम चला गया था। वहाँ से जब आया तो आज मैंने कॉफी बनाने का प्रयास नहीं किया था। मुझे आशा थी कि जिया कल की तरह कॉफी नाश्ता बनाने के लिए पूछेगी। जिया ने यह नहीं पूछा था। चुपचाप सभी काम किए थे। 

फिर जाने के पहले मेरे कमरे में बताने आई और रुखाई से कहा - बाबा, काम हो गए हैं। मैं जा रही हूँ।  

मैंने साहस बटोरा था। वह जब दरवाजे से बाहर निकलने ही वाली थी। मैंने मिमियाते स्वर में कहा - जिया, रुको मेरी बात सुनो। 

जिया रुकी थी। मैंने कहा - कल के लिए मुझे माफ कर दो। और आप कृपया वह सब मम्मी या किसी और से नहीं बताना। अब कभी मैं ऐसा गलत काम नहीं करूँगा। 

इसे सुनकर वह रोने लगी थी। यह देख मैं हक्का बक्का सा रह गया था। एक दो मिनट में वह संयत हुई थी। फिर कहा - बाबा, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी, मगर मुझे आपसे ही कुछ कहना है। 

मैं सोच में पड़ गया था कि जिया क्या कहना चाहती है। मुझे चुप देख कर उसने ही कहा - 

बाबा, मुझे यह शिकायत है कि आप इस गरीब जिया को अपनी ‘वासना पूर्ति का पात्र’ ही क्यों देखते हैं। आप यह क्यों नहीं देखते हैं कि यह ‘गरीब जिया’ कितनी मजबूर औरत है जो आपके जैसे घरों में, झाड़ू, पोछा, बर्तन आदि के काम करने आती है। आप सोचिए मजबूर न हो तो किसको यह करना पसंद आएगा। 

मैं शर्मिंदा खड़ा रह गया था। 

जिया ने कहा - बाबा, आप अभी छोटे हो। आप अब फिर कभी ऐसा काम, उसके साथ नहीं करना जिससे, आपको खुद और जिसके साथ करो उसको भी, यूँ शर्मिंदा होना पड़े, जैसे आप और मैं अभी हो रहे हैं। 

यह कहकर जिया चली गई थी। 


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