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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Others

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

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भारतीय समाज में नारी जीवन

भारतीय समाज में नारी जीवन

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यह बात लगभग 24 वर्ष पुरानी है। मैं छिंदवाड़ा में पदस्थ था। वहाँ मेरे अधीनस्थ कर्मचारियों में से, एक वह था। उस समय उसकी उम्र लगभग 30 वर्ष रही होगी। वह अपने दायित्वों के प्रति ईमानदार था तथा अपने आवंटित समस्त कार्य, निष्ठा एवं परिश्रम से किया करता था, इसलिए मेरा अति प्रिय था। मैं उससे आत्मीयता से व्यवहार करता था। अतः सामान्य चर्चा के बीच हास-परिहास में कई बार वह या मैं, परस्पर मजेदार बातें भी कह देते थे। 


एक बार की ऐसी ही चर्चा में उसने मुझसे कहा - सर, यदि भगवान ने मेरे अगले जीवन में मुझसे विकल्प माँगा तो मैं नारी जन्म माँगूंगा एवं कहूँगा की वे मुझे किसी उच्च अधिकारी की पत्नी बनाएं। 


तब मैंने हँसते हुए उससे पूछा - आप ऐसा क्यों चाहते हो?


उसने उत्तर दिया - सर अफसरों के प्रभाव एवं उनकी भ्रष्टाचार से कमाए धन से, सबसे अधिक मजे में उनकी पत्नियाँ रहतीं हैं। मैं भी ऐसी पत्नी बनकर मजे का जीवन जीना चाहूँगा।  

तब उसकी बातों का इशारा समझ कर मैं और साथ ही वह भी, हँस पड़े थे। आज मैं उस बात को स्मरण, अपने अभी आए विचार के तारतम्य में कर रहा हूँ। 


वास्तव में अब तक के अपने 38 वर्ष के वैवाहिक जीवन मे

ं, मैंने एक पति के रूप रहते हुए, अपनी पत्नी (रचना) का जीवन देखा और समझा है। मुझे पता नहीं रचना क्या सोचती हैं, मगर मैं हमारा पूरा साथ देखता हूँ तो मुझे लगता है, रचना के जीवन में संघर्ष, अपनी सुख सुविधा को लेकर त्याग और प्रतिकूलताएं मेरी तुलना में अधिक रहे हैं। 

अपने अनुभव से आज मैं यह लिखना चाहता हूँ कि कम से कम हमारे भारतीय समाज में एक नारी का जीवन, पुरुष की तुलनाओं में अधिक कठिन होता है - चाहे वे केवल गृहिणी हों या जॉब करती हों। चाहे नारी विवाहित हो या अविवाहित, चाहे वह बालिका, युवा या वृद्धा हो, चाहे वह यात्रा कर रही हो, बाजार में हो या घर में हो, चाहे वह धनवान हो या निर्धन हो, चाहे वह अग्रणी हो या पिछड़ी हो, चाहे जो भी वह हो, निश्चित और निर्विवाद रूप से नारी का जीवन, अपने परिजन पुरुषों की तुलना में अधिक कठिन है।   


अपने उस अधीनस्थ रहे मित्र से आज मेरा सम्पर्क नहीं रहा है, अन्यथा मैं उससे इस बारे में अब उसके विचार क्या हैं, यह अवश्य जानना चाहता। मुझे लगता है अब जब वह अधेड़ हुआ है, इस बारे में उसके विचार निश्चित ही बदले होंगे।  


मेरे मित्र, इस आलेख के पाठक गण, कृपया इस बारे में कुछ मिनट विचार अवश्य करें।  


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