वाह रे किसान !
वाह रे किसान !
धरती से सोना उपजाने के बदले आधुनिक किसान पराली जलाने में आज मगन हैं । खेत रो रहा है
आसमान स्याह दिख रहे हैं, लेकिन किसान को कोई परवाह नहीं है । वो मगन हो गा रहा है,
" हम पराली जलाये, जलाये देश की धरती ।"
सुनकर धरती फटी जा रही है। मिट्टी प्राण त्याग रहा है।
परंतु किसान बेखबर अपनी आधुनिक तकनिकी पर ठहाका लगा रहा है।