उतरायण
उतरायण
"चाचाजी नमस्कार, कल से हमारे स्कूल खुल रहे हैं।आपसे लगभग दो सप्ताह से हमें अपने देश भारत के बारे में जितनी जानकारी मिली, उससे हमारी जिज्ञासा और भी बढ़ गई है, मगर अब हम कैसे समय निकालेंगे ?"
"क्यों, टी वी देखने का समय कम करेंगे !"
"हां, यह सही है, चाचाजी आज आप किस विषय पर चर्चा करेंगे?"
"बच्चों, आज मकर संक्रांति है, आज इस पर्व पर चर्चा करेंगे।यह शास्त्रीय , लौकिक , कृषि और ऋषि पर्व है।" "यह पर्व संपूर्ण भारत में अलग- अलग रूपों , अलग -अलग नामों से मनाया जाता है। कृप्या उस बारे में बताइए।"
"बच्चो, यह तमिलनाडु में पोंगल, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल में माघी, असम में भोगली बिहू, जम्मू -कश्मीर में शिशिर संक्रांति, उत्तर प्रदेश, बिहार में खिचड़ी, पंजाब में लोहड़ी तो बंगाल में पौष संक्रांति के नाम से मनाया जाता है।पौड़ी गढ़वाल में इस दिन कई जगह गिंदी का मेला यानी की गेंद का मेला होता है। इस मेले में गेंद का खेल दो दलों के बीच होता है और दोनों दलों के खिलाड़ी चमड़ी से मढ़ी गेंद को छीनने की कोशिश में लगे रहते हैं
कुमाऊँ में इस दिन तरह -तरह के आकर की घुघुती बना कर खाते हैं । घुघुती बना कर उनकी माला बच्चे गले में डाल लेते हैं और पूरे दिन मजे से ख़ुद भी खाते हैं और कौवों को भी खिलाते हैं - 'काले कौवा काले, घुघुति माला खा ले' की आवाज़ दे दे कर। आटे में सूजी, घी , सफ़ेद तिल , सौंफ, काजू -बादाम डाल कर गुड़ की चाशनी और दूध से गूँध कर - अलग अलग आकर में घुघुती बनती है।
त्यौहार का दिन है सो इस दिन सुबह तवा नहीं लगाते , नाश्ते में पूरी , पकौड़े खाते हैं।
मिथिला में एक परंपरा है-- ‘तिले-तिले बहब’... कहते हुए , काले तील और गुड़ का गीला मिश्रण, बड़े अपने से छोटे को हाथ में देते हैं जिसके द्वारा छोटोंकी
कर्तव्य निर्वहन की याद दिलायी जाती है।
इस दिन भोजन के रूप में ...खिचड़ी, चिवड़ा-दही, तिल, लाई , तिलकुट आदि खाया जाता है।
उत्तराखंड में इसे नव वर्ष की शुरुआत भी मानते हैं।"
"चाचाजी , पहले तो 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती थी, मगर पिछले कुछ वर्षों से 15 जनवरी को क्यों मनाई जाती है ?"
"इस दिन सूर्य मकर रेखा को संक्रांत करता है।धनु से मकर में जाता है। 15 वर्ष पूर्व तक उत्तरायण भी इसी के साथ होता था। मकरसंक्रांति अभी तक 14 या 15 तारीख को होती थी 70 या 75 साल पहले 13 या 14 तारीख को आती थी और 100 साल पहले 12 या 13 तारीख को। विवेकानंद का जन्म मकर सक्रांति के दिन हुआ था यानी तब मकर सक्रांति 12 तारीख को होती थी, पर अब 12 तारीख को ना होकर 15 तारीख को होती है या 14 तारीख की रात को होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अयान खिसकता है। सक्रांति विशुद्ध खगोलीय घटना है।"
"चाचाजी इन घटनाओं का मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी कुछ प्रभाव पड़ता है ?"
"अतुल, संक्रांति के साथ सूर्य की किरणें सीधी होने लगती हैं, परिणामस्वरूप ऊष्मा बढ़ती है, गर्मी बढ़ती है, दिन बड़ा होने लगता है। पूरे देश में कृषि का वातावरण निर्मित होता है। जब ऊष्मा बढ़ती है तो सिंचन के लिए जल की आवश्यकता होती है, इसलिए मकर सक्रांति के अवसर पर जल का विशेष महत्व है ।जल में स्नान का और जल से सिंचन का, कुंभ में जल भरने का और पूर्ण कुंभ को जल में मिलाने का महत्व है। इसमें अनाजों को मिलाते हैं। दाल और चावल मिलाते हैं, दोनों को मिलाकर एक रस करते हैं , फिर दोनों पोषक तत्व के रूप में परिवर्तित होते हैं।इस लिए इस दिन खिचड़ी कहना सेहत के लिए अच्छा होता है।
इसके पीछे समाज समरस होने की भावना है। जीवन के समरस होकर प्रकाशित होने से सर्वत्र कल्याण की, भद्र की सृष्टि होती है।"
"सक्रांति का क्या अर्थ है, चाचाजी?"संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना अर्थात गतिशील होना, आगे बढ़ना ।प्रकाश का गतिशील होना।"
"चाचाजी, मौसम में कब बदलाव है?"
"बच्चो, ऋतुराज के आगमन के साथ संक्रांति के दिन स्नान और दान किया जाता है ।सूर्य रात्रि में संक्रमित होता है इसलिए मकर सक्रांति पर पुण्य कार्य रात्रि में नहीं होता, दिन में होता है।"
"चाचाजी, क्या यह धार्मिक पर्व है ?"
"मुकुल, यह धार्मिक पर्व है लेकिन इसमें जो करणीय है, वह धार्मिक कृत्य कम और सामाजिक अधिक है।इसमें उपवास नहीं है, पूजा है ।पुरोहित नहीं है , क्रियाएं हैं ।कर्मकांड नहीं है, स्नान है। पवित्रता है लेकिन छुआछूत नहीं है। समरसता है , समता है ।"
"चाचाजी, यह पर्व हमें क्या प्रेरणा देता है? "
"इस पर से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सभी प्रकार के अज्ञान, सभी प्रकार की अशुचिता तिरोहित हो और सूर्य की रश्मि जैसा तेजस्वी जीवन हो।"
इस दिन तिल का दान किया जाता है। तिल का उबटन लगाकर, पवित्र होकर दूसरों के लिए तर्पण किया जाता है।
उत्तरायण का दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। उत्तरायण का अर्थ है उत्तर की ओर चलना। जिस मार्ग में प्रकाश स्वरूप अग्नि, दिनाधिपति देवता तथा शुक्ल पक्षाधिपति देवता विद्यमान हैं, वही छः मास का उत्तरायण है।"
"चाचाजी, गुजरात में पतंग प्रतियोगिता भी होती है, कल टी वी पर गृहमंत्री और गुजरात के मुख्य मंत्री को पंतग उड़ाते देखा था।"
"हां, गुजरात में उत्तरायण के दिन पतंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, तरह - तरह की, रंग - बिरंगी पतंग से आसमान सज उठता है। इस दिन तिल के
लड्डू खाए जाते हैं।इसलिए आज आप सब के लिए यहां तिल के लड्डू, रेवड़ी, गुड मुंगफली की पट्टी, खजूर आए हैं।चलें सब मिल बांट कर खाएं।"
