उसकी याद
उसकी याद
एक वक्त की बात हैं
जब बारिश हुआ करती थी
हमारे शहर में,
हम दोनों जाया करते थे
नुक्कड़ के उस चाय वाले ठेले पर,
हाथों में हाथ डाले
महसूस किया करते थे
उस पल को,
एक दूसरे की मौजूदगी के
अहसास को,
ठंडी हवा की उस
हल्की-हल्की ठिठुरन को,
चाय की प्याली की उस
गरमाहट को,
पर अब सब बदल गया है
ऐसा नहीं है कि
अब बादल नहीं गरजते
मेरे शहर में,
या बारिश नहीं होती
मेरे शहर में,
बादल भी गरजते है।
बारिश भी होती हैं।
चाय के उस ठेले पर
चाय भी पीते है
फर्क बस इतना है कि
आज साथ नही है वो मेरे
अब उसकी गैर मौजूदगी
खलती है दिल को
चाय की वो प्याली,
20-20 का वो पैकेट,
भीगी हुई गलियाँ और
हवा की वो ठिठुरन
आज बहुत याद दिलाती है उसकी
इसलिए आजकल
थोड़ी ही देर ठहर पाती हूं
उस ठेले पर।