"हमारी अधूरी कहानी"
"हमारी अधूरी कहानी"


अमित खोया सा मनु के सिरहाने बैठा था कि तभी डाक्टर ने कमरे मे प्रवेश किया तो उसका ध्यान टूटा।डाक्टर जब मनु को देखकर चले गये तो मनु ने आहिस्ता से अमित का हाथ पकड़ा और मुस्कुराते हुए बोली
"अरे तुम तो कहते थे ना कि इन्सान को कभी भी अपना हौंसला नहीं खोना चाहिए,चाहे कितने भी गम आए जिन्दगी में लेकिन फिर भी उसे हमेशा खुश रहना चाहिए और फिर देखना कि खुदा खुद परेशान हो जायेगा तुम्हें सताते-सताते'और अब तुम खुद हार मान रहे हो।"
ये मनु के कैंसर की लास्ट स्टेज थी और डाक्टर हार मान अमित से कई बार मनु को घर ले जाने के लिए कह चुके थे लेकिन अमित के मन मे अभी भी उम्मीद की कोई किरण बरकरार थी जो उसे बिखरने नहीं दे रही थी लेकिन आज उसे कुछ डर सा लग रहा था।मनु को खो देने का डर,तीन साल के इस संघर्ष मे हार जाने का डर।कहीं न कहीं आज उसके दिल का कोई कोना कह रहा था कि आज तेरी जिन्दगी बिछड़ जायेगी तुझसे।
शाम हो चुकी थी और मनु की हालत बिल्कुल नाजुक हो चुकी थी।पास मे बैठा अमित अपनी पलकों की नमी को छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए दर्द भरी आवाज में मनु से कह रहा था कि"तुम्हें मेरी कसम मनु या तो तुम मुझे बीच सफर में अकेला छोड़कर मत जाओ या मुझे भी अपने साथ ले चलो"
मनु ने बेबस नजरों से उसे देखा और सिसक-सिसक कर रो पडी़।
वो अमित से कुछ कहना चाहती थी लेकिन भगवान ने उसे इतना वक्त नहीं दिया।वो जा चुकी थी अमित से बहुत दूर जहाँ से लौटना मुमकिन नहीं था।
अमित ने पथरायी आँखों से उसे कुछ पल देखा और फिर बोला"मनु मैं तुम्हारा हर सपना पूरा करूंगा और तुमसे जो वादा किया था मैंने कि मैं खुदा की दी हुई इस जिन्दगी को अपने हाथों कभी खत्म नहीं करूंगा वो भी पूरा करूंगा लेकिन इसके बदले तुम्हें मनाना होगा खुदा को कि किसी और जन्म में हमारी इस अधूरी कहानी को वो मुकम्मल कर दे......"