आसान कहां होता है..लड़का होना
आसान कहां होता है..लड़का होना


सपनो की तलाश में
घर से मीलों दूर
चले जाना,
घर से दूर जाने के
गम को
पलकों मे
छुपाए रखना,
छोटे से कमरे में
किचन बैडरूम सब एडजस्ट करना
या होस्टल का वो
अधपका खाना खाना
सच में...
आसान कहां होता है
लड़का होना।
मौज मस्ती की उम्र मे
दिन रात एक करके पढाई करना,
नयी बाइक के अरमान को
परे रखकर हाॅस्टल
और कोचिंग की फीस भरना,
इस बार फिर
पापा ने
उधार लेकर भेजे है पैसे
इस बात को जानते हुए भी
अपनी किस्मत को
एक मौका और देना,
इस बार भी
नही मिल सकी नौकरी
इस सच को स्वीकार करके
फिर तैयारी करने लग जाना,
मुम्बई की जीवनशैली से भी
तेज दौड़ती
प्रतिस्पर्धा की इस दुनिया मे
मुस्कुराते हुए जीना
सच में...
आसान कहां होता है
लड़का होना।
कोई बात
जब दिल पर लग जाए
तो "यार लड़के रोया नही करते"
ये कहकर खुद को समझाना,
खुद बिखरकर भी
अपने दोस्तो का हौसला बढाना,
अपनी बडी़ सी चोट को भी
छोटी सी बता जाना,
अपनी दोस्ती को
जी जान से निभा जाना
सच मे...
आसान कहां होता है
लड़का होना।
पिछले हफ्ते माँ ने
जो भेजी थी तस्वीर
उस लड़की की
उस तस्वीर को देख
उठे थे जोे जज्बात दिल मे
उन जज्बातों को
परे रख रात भर किताबें पढना,
अपने सपनो के खातिर
शादी से इनकार करके
फिर दुनिया से लड़ जाना,
अफ्रीका महाद्वीप
के मानचित्र मे
नजर आते
उस मासूम सी लड़की के अक्स
को मिटा पाना
सच मे...
आसान कहां होता है
लडका होना।
बस मे
किसी महिला को सीट देकर
खुद खडे़-खड़े
मीलो का सफर तय करना,
खचाखच भरी
बस मे गलती से
किसी लड़की से टकरा जाने पर
उसकी अनगिनत गालियाँ सुनना,
नारीवाद को न मानने वाले
अपने अजीज से दोस्त के साथ
जमकर बहस करना,
चंद हैवानो ने
पुरूष की
जो डरावनी सी तस्वीर बना दी है
दुनिया के जेहन मे
उस तस्वीर को परे हटा
खुद को एक इन्सान साबित करना
सच मे...
आसान कहां होता है
लड़का होना।